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केंद्र सरकार द्वारा 23 राज्यों में पर्यटन स्थलों की विकास योजना को मंजूरी

Lokesh Pal December 02, 2024 03:40 5 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्र ने ‘पूँजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता’ (Special Assistance to States for Capital Investment-SASCI) के तहत पर्यटन स्थलों और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 23 राज्यों में पहचानी गई 40 नई परियोजनाओं हेतु राज्यों को 3,295 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण को मंजूरी दी है।  

‘पूँजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता’ (Special Assistance to States for Capital Investment-SASCI)

  • इसे कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों के जवाब में वर्ष 2020-21 में लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: राज्यों को 50 वर्षीय ब्याज-मुक्त ऋण प्रदान करना, जिससे वे महत्त्वपूर्ण पूँजी निवेश कर सकें।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

  • सिद्धांत: यह योजना गुणक प्रभाव के सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ यह माना जाता है कि पूँजीगत व्यय के रूप में खर्च किए गए प्रत्येक ₹1 का परिणाम ₹3 के बराबर होगा।
  • पूँजी निवेश क्षेत्र: स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, जलापूर्ति, बिजली, सड़क, पुल और रेलवे में परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
  • फोकस क्षेत्र: योजना के तहत लक्षित प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं:
    • व्हीकल स्क्रैपेज नीति: पुराने, प्रदूषणकारी वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन देना।
    • शहरी नियोजन सुधार: शहरों में शासन और बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना।
    • पुलिस कर्मियों के लिए आवास: सुरक्षा बलों के लिए बेहतर रहने की स्थिति सुनिश्चित करना।
    • यूनिटी मॉल परियोजनाएँ: इन सांस्कृतिक केंद्रों के विकास के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना।
    • पुस्तकालय: शैक्षणिक पहुँच में सुधार के लिए पंचायत और वार्ड स्तर पर डिजिटल पुस्तकालयों की स्थापना करना।
  • राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए समर्थन
    • यह योजना महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा पहलों के कार्यान्वयन में तेजी लाने में मदद करती है, जैसे:
      • जल जीवन मिशन (जल आपूर्ति)।
      • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी)।

SASCI के तहत वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों के विकास के बारे में

  • कार्यान्वयन
    • राज्यों को 50 वर्ष की अवधि के लिए ऋण प्रदान किया जाएगा और यह ब्याज मुक्त होगा।
    • परियोजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराने, उन्हें लागू करने और पूरा होने के बाद उनके संचालन का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
    • सभी परियोजनाओं को दो वर्ष की समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। राज्य सरकार परियोजना के संचालन और रखरखाव के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है, संभवतः सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड के माध्यम से।
  • निधि वितरण
    • व्यय विभाग पहली किस्त के रूप में 66% धनराशि सीधे राज्यों को जारी करेगा।
    • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय
    • राज्य एक से अधिक परियोजनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं, जिनमें से प्रत्येक परियोजना के लिए अधिकतम 100 करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया जा सकता है।
  • परियोजना पहचान
    • इन परियोजनाओं में उत्तर प्रदेश में बटेश्वर, गोवा में पोंडा, आंध्र प्रदेश में गंडिकोटा और गुजरात में पोरबंदर जैसे कम ज्ञात पर्यटन स्थल शामिल हैं।

भारत में पर्यटन

  • भारत का पर्यटन क्षेत्र एक प्रमुख उद्योग है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देता है और रोजगार सृजित करता है।
    • पर्यटन क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 9% का योगदान देता है।

  • वृद्धि और स्थिति
    • पिछले दो दशकों में भारत के पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • वर्ष 2023 में, भारत में 9.24 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया, जो वर्ष 2022 की तुलना में 43.5% की वृद्धि है।
    • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (World Travel and Tourism Council-WTTC) का अनुमान है कि भारत का यात्रा और पर्यटन क्षेत्र वर्ष 2024 में अर्थव्यवस्था में लगभग 21.15 ट्रिलियन रुपये का योगदान देगा।
    • विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा प्रकाशित यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक (Travel and Tourism Development Index-TTDI) 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत 119 देशों में 39वें स्थान पर है।
  • विदेशी पर्यटकों के आगमन (Foreign Tourist Arrivals-FTAs) में वृद्धि: भारत ने वर्ष 2023 में 9.24 मिलियन FTA दर्ज किए, जो वर्ष 2022 में 6.44 मिलियन की तुलना में 43.5% की वृद्धि दर्शाता है।
    • इस वृद्धि ने महत्त्वपूर्ण विदेशी मुद्रा आय (FEEs) में योगदान दिया।
  • घरेलू पर्यटक यात्राओं (Domestic Tourist Visits-DTVs) में वृद्धि: घरेलू पर्यटन ने उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई है, वर्ष 2023 (अनंतिम) में 2509.63 मिलियन घरेलू पर्यटक यात्राएँ (DTVs) दर्ज की गईं, जो वर्ष 2022 में 1731.01 मिलियन DTVs थीं।

भारत में पर्यटन का प्रभाव

  • आर्थिक
    • आर्थिक योगदान
      • रोजगार: वर्ष 2022 में पर्यटन भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 7% होगा और इसी अवधि में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 76.17 मिलियन नौकरियाँ उत्पन्न हुईं।
      • विदेशी मुद्रा आय: पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय (FEE) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2023 में ₹2.3 लाख करोड़ तक पहुँच गई है, जो इसके आर्थिक महत्त्व को दर्शाता है।
    • रोजगार सृजन: पर्यटन क्षेत्र ने वर्ष 2022-23 में 76.17 मिलियन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए, जो वर्ष 2021-22 में 70.04 मिलियन रोजगारों से अधिक है।
    • बुनियादी ढाँचे का विकास: पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने पर्यटन बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाने के लिए 1 बिलियन डॉलर (₹7,000 करोड़) का निवेश किया है, जिससे आगंतुकों के लिए समग्र अनुभव में वृद्धि हुई है।
    • प्रचार के प्रयास: सरकार भारत को एक अग्रणी वैश्विक यात्रा गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत के पर्यटन उत्पादों को समग्र रूप से बढ़ावा दे रही है।
  • सांस्कृतिक प्रभाव
    • पर्यटन सांस्कृतिक आदान-प्रदान और विरासत संरक्षण को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, आगरा में स्थित ताजमहल प्रत्येक वर्ष लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है, जिससे संरक्षण के लिए धन जुटाया जाता है।
  • सामाजिक प्रभाव
    • पर्यटन रोजगार और कौशल विकास के माध्यम से स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाता है।
    • ओडिशा के रघुराजपुर जैसे ग्रामीण पर्यटन पहलों से कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता मिलती है, जिससे पट्टचित्र चित्रकला जैसे पारंपरिक कौशल का संरक्षण संभव होता है और 2,000 से अधिक परिवारों की आजीविका में वृद्धि होती है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव
    • यद्यपि पर्यटन से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, लेकिन इससे अपशिष्ट और प्रदूषण जैसी पर्यावरणीय चिंताएँ भी उत्पन्न होती हैं।
      • उदाहरण के लिए, वर्ष 2023 में लेह-लद्दाख में 1.2 मिलियन से अधिक पर्यटकों के आगमन के परिणामस्वरूप प्लास्टिक अपशिष्ट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई तथा चरम पर्यटन समय में मासिक रूप से 200 टन से अधिक अपशिष्ट एकत्र किया गया।
    • पर्यटन ने भारत में पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने और संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा दिया है।
      • उदाहरण के लिए, असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पारिस्थितिकी पर्यटन के कारण वन्यजीव संरक्षण के लिए वित्तपोषण में वृद्धि हुई है।

भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

  • स्वदेश दर्शन योजना (2014): इस योजना का उद्देश्य सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक विरासत का लाभ उठाते हुए पूरे भारत में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करना है। यह विश्व स्तरीय पर्यटन अवसंरचना और अनुभव बनाने पर केंद्रित है।
  • प्रसाद (PRASAD) योजना (2014): तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन अभियान (प्रसाद) योजना, भारत में तीर्थ स्थलों के विकास और सौंदर्यीकरण पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए समग्र तीर्थयात्रा अनुभव को बढ़ाना है।
  • पर्यटन पर्व (2015): यह राष्ट्रव्यापी अभियान देश भर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, त्योहारों और गतिविधियों का आयोजन करके घरेलू पर्यटन को प्रोत्साहित करता है। इसका उद्देश्य भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना और विभिन्न क्षेत्रों की खोज करने के लिए घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करना है।
  • देखो अपना देश पहल (2015): यह पहल भारत के विविध परिदृश्यों और सांस्कृतिक विरासत की खोज को बढ़ावा देकर घरेलू पर्यटन को प्रोत्साहित करती है। इसका उद्देश्य कम ज्ञात स्थलों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और घरेलू यात्रा को बढ़ावा देना है।
  • एक भारत श्रेष्ठ भारत (2015): यह पहल भारत के विभिन्न राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और एकीकरण को बढ़ावा देती है। यह राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, त्योहार और गतिविधियाँ आयोजित करने, एकता की भावना और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • ई-वीजा (2014): भारत सरकार ने ई-वीजा प्रणाली लागू की है, जिससे विदेशी पर्यटकों के लिए वीजा प्राप्त करना और भारत की यात्रा करना आसान हो गया है। इसने वीजा प्रक्रिया को काफी हद तक सुव्यवस्थित किया है और इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए अधिक सुविधाजनक बनाया है।
  • धर्मशाला घोषणा (2022): इसमें महामारी के बाद पर्यटन को पुनर्जीवित करने की भारत की योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक 150 बिलियन डॉलर का GDP योगदान, 30 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा आय और 15 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन है।
    • वर्ष 2030 तक इसका लक्ष्य 250 बिलियन डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद योगदान, 137 मिलियन नौकरियाँ, 56 मिलियन विदेशी पर्यटक और 56 बिलियन डॉलर की कमाई करना है, जिससे भारत एक वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित हो सके।

भारत के पर्यटन क्षेत्र की संभावनाएँ

  • विविध आकर्षण
    • भारत की विविध भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताएँ हिमालय और केरल के बैकवाटर जैसे प्राकृतिक चमत्कारों से लेकर ताजमहल और हम्पी जैसे ऐतिहासिक स्थलों तक की विविधता प्रदान करती हैं।
    • 40 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के साथ, भारत सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत में वैश्विक बढ़त रखता है।
    • उदाहरण के लिए, सारनाथ जैसे बौद्ध स्थलों के साथ एकीकृत वाराणसी में पर्यटन सर्किट घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • घरेलू पर्यटन में वृद्धि
    • देखो अपना देश और स्वदेश दर्शन 2.0 जैसी सरकारी पहलों ने घरेलू यात्रा को बढ़ावा दिया है।
    • वर्ष 2023 में घरेलू पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2509.63 मिलियन हो गई, जो इन अभियानों की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
  • विदेशी पर्यटकों का आगमन (Foreign Tourist Arrivals- FTAs)
    • वर्ष 2023 में 9.24 मिलियन आगंतुकों (वर्ष 2022 में 6.44 मिलियन से ऊपर) के साथ FTA में वृद्धि, वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में भारत की बढ़ती अपील को उजागर करती है। 
    • ई-वीजा उपलब्धता और बहुभाषी पर्यटक हेल्पलाइन​ ने इसे और बढ़ावा दिया।
  • निकेत पर्यटन (Niche Tourism)
    • एडवेंचर टूरिज्म, इको-टूरिज्म, मेडिकल और वेलनेस टूरिज्म में वृद्धि स्पष्ट है, जिसमें केरल के आयुर्वेद और योग रिट्रीट सबसे प्रमुख हैं।
    • भारत हिमालयी ट्रेकिंग के लिए भी एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है।

भारत के पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी
    • कई पर्यटन स्थलों, खासकर पूर्वोत्तर जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में, बुनियादी ढाँचे की कमी है। 
    • उदाहरण के लिए, अरुणाचल प्रदेश के सुंदर स्थान अपर्याप्त सड़क और हवाई संपर्क के कारण कम खोजे गए हैं।
  • सुरक्षा और स्वच्छता
    • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, विशेषतौर पर महिलाओं के लिए और स्वच्छता संबंधी मुद्दे पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
    • वाराणसी, एक आध्यात्मिक केंद्र होने के बावजूद, अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों का सामना करता है, जिससे कई पर्यटक यहाँ आने से कतराने लगते हैं।
  • अल्प उपयोगिता संबंधी विरासत
    • हालाँकि जयपुर और आगरा जैसे स्थलों पर अत्यधिक पर्यटक आते हैं, वहीं खजुराहो और हम्पी जैसे अन्य स्थल उपेक्षा और खराब प्रचार के कारण वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के अवसर से वंचित रह जाते हैं।
  • मौसमी पर्यटन
    • शिमला और मनाली जैसे लोकप्रिय स्थलों पर पीक सीजन के दौरान अत्यधिक भीड़ होती है, लेकिन ऑफ सीजन में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कोई रणनीति नहीं होती है, जिसके कारण आर्थिक लाभ असमान होता है।
  • कुशल कार्यबल
    • आतिथ्य और पर्यटन में प्रशिक्षित कर्मियों की कमी से सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसमें कई पर्यटन केंद्रों में कुशल गाइड और प्रबंधकों की कमी शामिल है।

आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे का विकास: दूरस्थ क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी विकसित करना, जैसे कि पूर्वोत्तर में नए हवाई अड्डे और रेल नेटवर्क को बढ़ाना, पर्यटन की संभावनाओं को खोल सकता है।
    • उदाहरण के लिए, लद्दाख में बेहतर सड़कें और परिवहन ने आगंतुकों की संख्या में वृद्धि की है।
  • संधारणीय पर्यटन: केरल की जिम्मेदार पर्यटन पहल सामुदायिक विकास को पारिस्थितिकी पर्यटन के साथ एकीकृत करती है, जो अन्य राज्यों के लिए एक सफल मॉडल प्रदान करती है।
  • केंद्रित विपणन अभियान: आध्यात्मिक पर्यटन और आयुर्वेद जैसे विषयों के साथ अतुल्य भारत अभियान को नया रूप देने से विशिष्ट यात्री समूह आकर्षित हो सकते हैं।
    • राजस्थान में रेगिस्तानी संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसी तरह के प्रयासों ने सफलता दिखाई है।
  • सुरक्षा और संरक्षा उपाय: मुख्य आकर्षण स्थलों पर पर्यटक पुलिस की तैनाती, साइनेज में सुधार, तथा यात्रियों, विशेषकर महिलाओं के लिए डिजिटल सुरक्षा को बढ़ाना, भारत की वैश्विक छवि को बेहतर बना सकता है।
  • ऑफ-सीजन पर्यटन को बढ़ावा देना: लद्दाख विंटर फेस्टिवल जैसे आयोजन या कम भीड़-भाड़ वाले समय में छूट वाले यात्रा पैकेज वर्ष भर पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं​।

निष्कर्ष

भारत के पर्यटन क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति देने, रोजगार सृजन करने और वैश्विक सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं। बुनियादी ढाँचे की कमी, मौसमी निर्भरता और सुरक्षा संबंधी चिंताओं जैसी चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ अपनी विविध विरासत और प्राकृतिक आकर्षणों का लाभ उठाकर भारत खुद को वैश्विक पर्यटन महाशक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है, जो इसके विकास लक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।

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