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पश्चिमी अफ्रीकी देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से अलग होने की घोषणा

Lokesh Pal September 25, 2025 03:33 13 0

संदर्भ

हाल ही में बुर्किना फासो, माली और नाइजर ने संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) से अलग होने की घोषणा की और इसे साम्राज्यवाद का एकनव औपनिवेशिक’ उपकरण बताया है।

संबंधित तथ्य

  • सदस्यता त्यागने की प्रक्रिया: कोई भी देश औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र महासचिव को सूचित करने के एक वर्ष बाद अपनी सदस्यता औपचारिक रूप से त्याग सकता है।

कारण

  • नव औपनिवेशिक’ संबंधी आरोप: तीनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की आलोचना करते हुए इसे साम्राज्यवादी शक्तियों के नियंत्रण में नव औपनिवेशिक दमन का एक उपकरण’ (Neo-Colonialist Repression In The Hands Of Imperialism)’ बताया।
  • ICC की विफलता: उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध, नरसंहार और आक्रामकता के अपराधों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने तथा उन पर कार्यवाही करने में सक्षम नही है।
  • स्थानीय तंत्र: जुंटा (एक सैन्य प्राधिकरण) ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर निर्भर रहने के बजाय शांति और न्याय स्थापित करने के लिए स्थानीय तंत्र निर्माण का सुझाव दिया है।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय  (ICC) के बारे में

  • ICC एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय अधिकरण है, जो वर्ष 2002 में रोम संविधि के तहत स्थापित किया गया था।
  • मुख्यालय: हेग, नीदरलैंड।
  • अधिकार क्षेत्र: 1 जुलाई, 2002 या उसके बाद के अपराध।
  • सदस्य देश: 125 (भारत, अमेरिका, चीन, रूस और इजरायल सदस्य नहीं हैं)।
  • आधिकारिक भाषाएँ: अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, चीनी, रूसी, स्पेनिश।
  • न्यायाधीश: सदस्य देशों द्वारा चुने जाते हैं, जिनका कार्यकाल नौ वर्ष का होता है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंध: अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय स्वतंत्र निकाय है, लेकिन इसका संयुक्त राष्ट्र के साथ एक सहयोग समझौता है।

संगठनात्मक संरचना

  • असेंबली ऑफ स्टेट्स पार्टीज’ (ASP): यह एक विधायी निकाय है, जिसमें सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह न्यायालय के प्रशासन, बजट और न्यायाधीशों तथा अभियोजकों के चुनाव की देख-रेख करता है।
  • प्रेसिडेंसी: इसमें न्यायाधीशों द्वारा चुने गए एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष शामिल होते हैं, जो न्यायिक प्रशासन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
    • वर्तमान अध्यक्ष: जापान की न्यायाधीशतोमोको अकाने’
  • न्यायिक प्रभाग: इसमें 9 वर्ष के कार्यकाल के लिए निर्वाचित 18 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें प्री-ट्रायल, ट्रायल और अपील प्रभाग में बाँटा गया है।
  • अभियोजक का कार्यालय (OTP): यह एक स्वतंत्र संस्था है, जो अपराधों की जाँच करने और न्यायालय में मामले के संचालन हेतु उत्तरदायी है।
  • रजिस्ट्री: यह प्रशासनिक और परिचालन सहायता प्रदान करती है, जिसमें गवाहों की सुरक्षा और प्रचार-प्रसार शामिल है।

ICC के कार्य और अधिकार क्षेत्र

  • अधिकार क्षेत्र में आने वाले अपराध
    • नरसंहार: नस्ल, धर्म, नृजातीयता या राष्ट्रीयता के आधार पर जानबूझकर किसी समूह के लोगों की हत्या।
    • मानवता के विरुद्ध अपराध: आम नागरिकों पर बड़े पैमाने पर और व्यवस्थित तरीके से हमले, जिसमें हत्या एवं यातना शामिल हैं।
    • युद्ध अपराध: युद्ध के नियमों का उल्लंघन, जैसे नागरिकों की हत्या, संपत्ति का नुकसान और प्रतिबंधित हथियारों का प्रयोग।
    • आक्रमण के अपराध (वर्ष 2010 के कांपला संशोधनों में शामिल): बिना किसी उचित कारण के एक देश द्वारा दूसरे देश के विरुद्ध सशस्त्र बल का गैर-कानूनी प्रयोग।
  • ICC में मामला आने के संबंधित कारण
    • एक सदस्य देश किसी मामले का उल्लेख करता है।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद किसी स्थिति का उल्लेख करती है।
    • राष्ट्रीय न्यायालय मुकदमा संचालित करने को तैयार नहीं हैं या सक्षम नहीं हैं।
    • अपराध रोम चार्टर के सदस्य देश में हुआ हो, या आरोपी उस देश का नागरिक हो।
  • पूरकता का सिद्धांत (Principle of Complementarity): ICC तब ही कार्रवाई करता है, जब राष्ट्रीय कानूनी प्रणाली गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए मुकदमा चलाने में विफल रहते हैं।
  • आदेश का प्रवर्तन: गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण के लिए यह राज्य के सहयोग पर निर्भर करता है। इसका अपना पुलिस बल नहीं है।

ICC की कमियाँ

  • सीमित प्रवर्तन शक्ति: ICC गिरफ्तारी के लिए राष्ट्रीय सरकारों पर निर्भर है, जिससे वह स्वतंत्र रूप से वारंट लागू करने में असमर्थ रहता है।
  • विलंबित वारंट: कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी वारंट जैसे कि व्लादिमीर पुतिन और बेंजामिन नेतन्याहू के मामले लागू नहीं किए गए हैं।
  • गैर-सदस्य देश: अमेरिका, चीन और रूस जैसे देश ICC के अधिकार क्षेत्र को नहीं मानते, जिससे इसकी वैश्विक पहुँच कम हो जाती है।
  • राजनीतिक प्रभाव: वारंट लागू करने पर प्रायः राजनीतिक हितों पर प्रभाव पड़ता है, जिससे न्यायालय की निष्पक्षता प्रभावित होती है।
    • ICC की कुछ जाँचों में अफ्रीकी देशों को अनुचित तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगा है।
  • लंबी कानूनी प्रक्रिया: ICC में मुकदमे का निर्णय आने में प्रायः कई वर्ष लग जाते हैं, जिससे न्याय मिलने में देरी होती है।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) vs अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)

विशेषता

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC)

स्थापना वर्ष 1945, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत वर्ष 2002, रोम चार्टर के अनुसार
मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स हेग, नीदरलैंड्स
प्रकृति UN का मुख्य न्यायिक अंग स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल, संयुक्त राष्ट्र का अंग नहीं (हालाँकि इसका संयुक्त राष्ट्र से संबंध है)।
क्षेत्राधिकार राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करता है; संयुक्त राष्ट्र के अंगों/एजेंसियों को सलाह देता है। लोगों को अपराधों (जनसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध, आक्रामकता) के लिए दंडित करता है।
संबंधित पक्ष केवल राज्य ही ICJ के समक्ष पक्षकार बन सकते हैं। व्यक्ति (राज्य नहीं) को ICC के समक्ष मुकदमा चलाया जा सकता है।
अनिवार्य अधिकार क्षेत्र? यह स्वचालित नहीं है – यह राज्य की सहमति पर निर्भर करता है (संधियों, घोषणाओं या विशिष्ट मामलों पर समझौतों के माध्यम से)। सदस्य देशों के लोगों के लिए यह स्वतः लागू होगा या जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा इसकी सिफारिश की जाएगी।
मामलों के प्रकार संप्रभुता, सीमा और समुद्री विवाद, व्यापार, प्राकृतिक संसाधन, मानव अधिकार, संधि की व्याख्या और उल्लंघन। जनसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध, आक्रामकता के अपराध।
भारत की भागीदारी  हाँ नहीं

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