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युवा सशक्तीकरण

Lokesh Pal October 06, 2025 04:02 41 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 62,000 करोड़ रुपये से अधिक की युवा-केंद्रित पहलों का शुभारंभ किया।

संबंधित तथ्य

  • केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री ने ऑनलाइन युवा नेतृत्व एवं सामाजिक सहभागिता मंच तथा ‘माई भारत’ मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च किया।

माई भारत मोबाइल एप्लिकेशन के बारे में

  • माई भारत, केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत एक डिजिटल युवा संबद्ध मंच है।
  • यह स्वयंसेवा, इंटर्नशिप, कौशल निर्माण और नेतृत्व के अवसर प्रदान करता है, जिससे भारत के युवाओं में समावेशी भागीदारी, नागरिक जुड़ाव और राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा मिलता है।
  • डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
  • युवाओं के लिए माई भारत मोबाइल ऐप के लाभ
    • मोबाइल एक्सेस: स्वयंसेवा, इंटर्नशिप, मेंटरशिप और अनुभवात्मक शिक्षा के सत्यापित अवसरों तक मोबाइल-आधारित पहुँच प्रदान करता है।
    • मान्यता: युवाओं की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए डिजिटल बैज, प्रमाण-पत्र और व्यक्तिगत प्रोफइल प्रदान करता है।
    • कॅरियर सशक्तीकरण: पेशेवर विकास के लिए निर्देशित मार्ग, कौशल-निर्माण संसाधन और AI-सक्षम निर्माण को सक्षम बनाता है।
    • सक्रिय भागीदारी: प्रमुख राष्ट्रीय अभियानों में भागीदारी को सुगम बनाता है, जिससे युवा भारत की विकास यात्रा में सीधे योगदान कर सकते हैं।

हाल ही में शुरू की गई पहल

  • राष्ट्रीय पहल
    • पीएम-सेतु (उन्नत ITI के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल और रोजगार परिवर्तन)
      • उद्देश्य: पूरे भारत में 1,000 सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) का ‘हब-एंड-स्पोक मॉडल’ के तहत आधुनिकीकरण और उन्नयन करना, रोजगार क्षमता बढ़ाने और कौशल अंतराल को पाटने के लिए उद्योग साझेदारी को एकीकृत करना।
      • मुख्य विशेषताएँ
        • हब-एंड-स्पोक मॉडल: 200 हब ITI और 800 स्पोक ITI को जोड़ा जाएगा, जिससे उन्नत बुनियादी ढाँचे, आधुनिक ट्रेड, डिजिटल शिक्षण प्रणाली, नवाचार केंद्र, इनक्यूबेशन इकाइयाँ और प्लेसमेंट सेवाओं से सुसज्जित क्लस्टर निर्मित किए जाएँगे।
        • उद्योग सहयोग: सरकारी स्वामित्व वाली लेकिन उद्योग-प्रबंधित ITI, प्रमुख उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर बाजार की माँगों के अनुरूप परिणाम-आधारित कौशल विकास सुनिश्चित करेंगी।
        • वित्तीय परिव्यय: विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से सह-वित्तपोषण सहायता सहित ₹60,000 करोड़।
        • प्रशिक्षक विकास और डिजिटल एकीकरण: दूरस्थ पहुँच के लिए डिजिटल शिक्षण प्लेटफॉर्म के साथ 50,000 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
        • फोकस क्षेत्र: पहले चरण में पटना और दरभंगा में ITIs निर्माण पर बल दिया जाएगा, जो बिहार के युवा-केंद्रित हस्तक्षेपों के अनुरूप होंगे।
      • अपेक्षित परिणाम
        • उच्च माँग वाले क्षेत्रों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना।
        • नौकरी के लिए तैयार उम्मीदवारों तक पहुँच के साथ MSMEs को मजबूत बनाना।
        • भारत की वैश्विक कौशल प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि।
    • विद्यालयों में व्यावसायिक कौशल प्रयोगशालाएँ: 34 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के नवोदय विद्यालयों और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में 1,200 प्रयोगशालाएँ, 12 उच्च-माँग वाले क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करेंगी और 1,200 व्यावसायिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगी।
  • बिहार-केंद्रित पहल
    • मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना: 5 लाख स्नातकों को 2 वर्षों तक प्रतिवर्ष ₹1,000 मासिक भत्ता, साथ ही शिक्षा से रोजगार में परिवर्तन के लिए निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण।
    • ब्याज मुक्त छात्र क्रेडिट कार्ड योजना: उच्च शिक्षा के लिए ₹4 लाख तक के ऋण; ₹7,880 करोड़ वितरित कर 3.92 लाख छात्रों को लाभान्वित किया गया।
    • जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय: विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी कार्यबल तैयार करने के लिए उद्योग-उन्मुख और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • बिहार युवा आयोग: रोजगार, कौशल और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वैधानिक निकाय (18-45 वर्ष)।
    • उच्च शिक्षा एवं अवसंरचना: 4 विश्वविद्यालयों—पटना विश्वविद्यालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, जय प्रकाश विश्वविद्यालय और नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय में सुविधाओं के लिए ₹160 करोड़ (27,000 छात्र लाभान्वित करना); NIT पटना बिहटा परिसर में 5G लैब, इसरो अंतरिक्ष केंद्र, इनोवेशन हब

राष्ट्रीय युवा दिवस: यह दिवस प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के सम्मान में मनाया जाता है, जो एक आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक और विचारक थे तथा युवाओं की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास करते थे।

‘युवा’ के बारे में 

  • परिभाषा: सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए, संयुक्त राष्ट्र,  सदस्य देशों की अन्य परिभाषाओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए बिना, 15 से 24 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को ‘युवा’ के रूप में परिभाषित करता है।
  • राष्ट्रीय युवा नीति (2014) के अनुसार, युवा 15-29 वर्ष की आयु के होते हैं, जो जनसांख्यिकीय रूप से एक महत्त्वपूर्ण समूह है, जो समावेशी विकास, राष्ट्र-निर्माण और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति प्रदान करने में सक्षम है।
  • भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश: भारत वर्तमान में अपने जनसांख्यिकीय लाभांश चरण में है, जो एक ऐसा दौर है, जब एक बड़ी कार्यशील आयु वर्ग (15-64 वर्ष) एक छोटी आश्रित आबादी का समर्थन करती है, जिससे आर्थिक विकास की संभावना बढ़ जाती है।
    • भारत में विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी है, जिसके लगभग 65% लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।

युवा सशक्तीकरण के लिए सरकारी पहल

  • आर्थिक सशक्तीकरण: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (2015) द्वारा सूक्ष्म उद्यमों को ₹33.65 लाख करोड़ के ऋण प्रदान किए गए हैं; जिसमें 40% लाभार्थी महिलाएँ थी।
    • स्टार्ट-अप इंडिया (2016) ने 1.6 लाख से अधिक स्टार्ट-अप को मान्यता दी, जिससे 17.6 लाख रोजगार सृजित हुए।
  • शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 100% स्कूल नामांकन सुनिश्चित करना है।
    • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 14,500 स्कूलों को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (NEP) के अनुरूप संस्थानों में उन्नत किया।
  • कौशल विकास और रोजगार: ‘कौशल भारत मिशन’ और PMKVY द्वारा 1.63 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। 
    • रोजगार मेले के दौरान लगभग 10 लाख सरकारी नौकरी के नियुक्ति-पत्र जारी किए गए।
  • खेल और नेतृत्व: ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ (NSS) और ‘नेहरू युवा केंद्र संगठन’ (NYKS) ने समाज सेवा के लिए लाखों लोगों को प्रेरित किया।
    • खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करने में मदद के लिए टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (TOPS) और खेलों की शुरुआत की गई। 
  • नए युग के युवाओं की भागीदारी: ‘मेरा युवा भारत’ (2023) ने स्वयंसेवा और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से 1.5 करोड़ से अधिक युवाओं को जोड़ा।
  • राष्ट्र सेवा: अग्निपथ योजना (2022) युवाओं के लिए अल्पकालिक सैन्य सेवा प्रदान करती है।

हाल की युवा पहलों का महत्त्व और बहुआयामी प्रभाव

  • जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन: भारत की युवा-केंद्रित नीतियों का उद्देश्य अपनी विशाल युवा आबादी को एक दीर्घकालिक राष्ट्रीय संपत्ति में परिवर्तित करना है, जिससे नवोन्मेषी, उद्यमशीलता और नेतृत्व क्षमता का दोहन हो सके।

  • कौशल विकास और रोजगार: उन्नत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (पीएम-सेतु) के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल विकास और रोजगार परिवर्तन जैसे कार्यक्रम उद्योग-संरेखित कौशल को बढ़ावा देते हैं, रोजगार-बाजार असंतुलन को कम करते हैं और युवाओं को एआई, मशीन लर्निंग तथा उद्योग 4.0 जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए तैयार करते हैं।
  • समावेशी विकास और क्षेत्रीय समानता: बिहार और अन्य अविकसित क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेपों का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को समाप्त करना, शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता के अवसरों तक समान पहुँच को बढ़ावा देना है।
  • उद्यमिता संवर्द्धन: व्यावसायिक शिक्षा, इनक्यूबेशन केंद्रों और स्टार्ट-अप सहायता का एकीकरण आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करता है, स्टार्ट-अप संस्कृति का विकास करता है और आत्मनिर्भर भारत में योगदान देता है।
  • शासन और संस्थागत आयाम
    • संघीय संरचना: सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद केंद्र-राज्य तालमेल को सशक्त करता है, जिसमें पीएम-सेतु जैसी केंद्रीय योजनाएँ राज्य-विशिष्ट पहलों के पूरक के रूप में कार्य करती हैं।
    • अंतर-मंत्रालयी समन्वय: अंतर-मंत्रालयी समन्वय के लिए युवा मामले और खेल, कौशल विकास एवं उद्यमिता, श्रम एवं रोजगार और शिक्षा मंत्रालयों के बीच एक सुसंगत ढाँचा स्थापित करना, जिससे दोहराव और विखंडन को कम किये जा सके।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम
    • मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण: बढ़ते तनाव, बेरोजगारी और डिजिटल समावेशन के कारण टेली-मानस, मानसिक स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे और अलगाव-मुक्ति अभियानों जैसी पहलों का विस्तार आवश्यक हो गया है।
    • समावेशीता और समानता: समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), एलजीबीटीक्यू+ व्यक्तियों, दिव्यांगजनों और हाशिए पर स्थित  समुदायों को लक्षित करना चाहिए।
    • सामाजिक पूँजी और सामुदायिक सहभागिता: नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), और राष्ट्रीय युवा वाहिनी (NYC) जैसे मंच नागरिक उत्तरदायित्व, स्वयंसेवा की भावना और सामुदायिक अनुकूलन को विकसित करते हैं।
    • युवा पहचान और मूल्य: माई भारत जैसी पहल देशभक्ति, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देती हैं, और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देती हैं।

भारतीय युवाओं के सामने चुनौतियाँ

  • शिक्षा की गुणवत्ता और कौशल की कमी: भारत की शिक्षा प्रणाली खराब शिक्षण परिणामों, अपर्याप्त शिक्षकों और पुराने पाठ्यक्रम से जूझ रही है।
    • असर (ASAR), 2023 से ज्ञात होता है कि 14-18 वर्ष की आयु के 25% बच्चे कक्षा 2 की पाठ्य पुस्तकें नहीं पढ़ सकते। स्नातक युवा प्रायः ‘दस्तावेजी योग्यता’ के बावजूद बेरोज़गार हैं, WEF 2020 के अनुसार केवल 20% इंजीनियर ही रोजगार योग्य हैं।
  • आधुनिक अर्थव्यवस्था से असंगति: शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), बिग डेटा और इंडस्ट्री 4.0 जैसी उभरती तकनीकों के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अधिगम कौशल और उद्योग की आवश्यकताओं के मध्य अंतर उत्पन्न होता है।
  • क्षेत्रीय और सामाजिक असमानताएँ: प्राय: महानगरों पर केंद्रित हैं, जिससे ग्रामीण और आदिवासी जिले वंचित रह जाते हैं। लिंग, जाति और सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ शिक्षा, कौशल और उद्यमिता के अवसरों तक पहुँच को सीमित करती हैं।
    • जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षिक अंतराल: जनजातीय साक्षरता दर 58.96% है, जो राष्ट्रीय औसत 72.99% से काफी कम है।
    • आर्थिक कठिनाई: 46% से अधिक स्थानिक समुदाय गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं, जिसके कारण स्थानीय रोजगार और कौशल विकास के अभाव में पलायन होता है।
    • जाति-आधारित शैक्षिक असमानता: हाशिये पर स्थित समुदायों को शिक्षा और रोजगार में प्रणालीगत बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे एक प्रकार का सामाजिक स्तरीकरण बना रहता है।
    • उच्च शिक्षा में लैंगिक असमानता: महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, आय और सामाजिक गतिशीलता में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • जाति और लिंग का अंतर्संबंध: हाशिये पर स्थित जातियों की महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक पहुँचने में जटिल बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
  • शिक्षा से जुड़ाव में कमी: विगत दो वर्षों में स्कूल नामांकन में 20.7 मिलियन की गिरावट आई है (UDISE+ 2023-24)। ‘मध्याह्न भोजन योजना’ जैसे प्रोत्साहनों के बावजूद, शिक्षा को लगातार अनाकर्षक माना जा रहा है, जो दीर्घकालिक कौशल विकास को प्रभावित कर रहे हैं।
  • सामाजिक असंतोष का जोखिम: युवाओं की एक बड़ी संख्या (65% 35 वर्ष से कम आयु के) के साथ-साथ बेरोजगारी और हताशा, उग्रवाद, आपराधिक भर्ती और सामाजिक अशांति के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाती है। ऐतिहासिक रुझान 30 वर्ष से कम आयु की 60% से अधिक आबादी वाले देशों में संघर्ष के उच्च जोखिम का संकेत देते हैं।
  • संस्थागत और राजनीतिक कमजोरी: कमजोर शासन, भ्रष्टाचार और विभाजनकारी राजनीति युवाओं की क्षमता को कमजोर करती है। राजनीति और प्रशासन में नेतृत्व की कमी, राष्ट्र निर्माण में युवाओं की सक्रिय भागीदारी के अवसरों को कम करती है।
  • डिजिटल युग और सामाजिक अलगाव: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और डिजिटल विश्व में रहने से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, सामाजिक अलगाव और पारस्परिक कौशल में कमी आ सकती है। ऑनलाइन फेक न्यूज, साइबर धोखाधड़ी और अनुचित तुलना भी प्रेरणा और करियर विकल्पों को प्रभावित करती है।
    • वर्तमान समय में 15 से 29 वर्ष की आयु के भारतीय युवाओं में आत्महत्या मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत की आत्महत्या दर प्रति 1,00,000 पर 12.6 थी, जो वैश्विक औसत 9.2 से काफी अधिक है।

सतत् विकास लक्ष्य और वैश्विक संदर्भ

  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ संबंध
    • पीएम-सेतु और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) सतत् विकास लक्ष्य 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) और सतत् विकास लक्ष्य 8 (उत्कृष्ट कार्य और आर्थिक विकास) में योगदान देती हैं।
    • ‘मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना’, सतत् विकास लक्ष्य 1 (गरीबी उन्मूलन) और सतत् विकास लक्ष्य 10 (असमानताओं में कमी) में योगदान देती है।
    • खेलो इंडिया सतत् विकास लक्ष्य 3 (उत्कृष्ट स्वास्थ्य और कल्याण) में योगदान देती है।
  • युवा जलवायु कार्रवाई: पर्यावरण के लिए जीवनशैली (LiFE) मिशन युवाओं को पर्यावरण संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने में संलग्न करता है।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ: जर्मनी, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देश उच्च-तकनीकी कौशल, व्यावसायिक संरेखण और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के प्रभावी प्रबंधन  पर केंद्रित हैं, जिसका भारत अनुकरण कर सकता है।

आगे की राह

  • एकीकृत कौशल और शिक्षा दृष्टिकोण: समग्र युवा विकास के लिए उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता को एक साथ लाना। पीएम-सेतु जैसे कार्यक्रमों को उद्योग की आवश्यकताओं और AI, ML और नवीकरणीय ऊर्जा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ संरेखण सुनिश्चित करना चाहिए।
    • उदाहरण: जर्मनी की दोहरी शिक्षा प्रणाली, व्यावसायिक प्रशिक्षण को उद्योग के अनुभव के साथ जोड़ती है, जिससे नौकरी के लिए तैयार स्नातक तैयार होते हैं।
  • विकेंद्रीकृत और क्षेत्र-विशिष्ट फोकस: जिला और राज्य-स्तरीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजनाएँ तैयार करना, जिससे क्षेत्रीय समानता सुनिश्चित हो सके। शिक्षा, कौशल और रोजगार के अवसरों में शहरी-ग्रामीण असमानताओं को समाप्त करने के लिए न्यूनतम  सुविधा वाले ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े जिलों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी: व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण, प्लेसमेंट और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए उद्योग सहयोग का लाभ उठाना। हब-एंड-स्पोक ITIs क्लस्टरों में ‘एंकर उद्योग भागीदार’ बाजार-संरेखित और परिणाम-संचालित कौशल सुनिश्चित कर सकते हैं।
    • उदाहरण: दक्षिण कोरिया के युवा रोजगार कार्यक्रम, श्रम बाजार की आवश्यकताओं के साथ कौशल को संरेखित करते हुए सरकार-उद्योग सहयोग को दर्शाते हैं।
  • डिजिटल और प्रौद्योगिकी एकीकरण: देश भर में पहलों को बढ़ाने के लिए डिजिटल शिक्षण प्लेटफॉर्म, एआई-आधारित कौशल मूल्यांकन और ऑनलाइन मार्गदर्शन का उपयोग करना। युवाओं में सामाजिक अलगाव, फेक न्यूज और साइबर जोखिमों को रोकने के लिए डिजिटल साक्षरता और जिम्मेदारी से उपयोग को बढ़ावा देना।
  • गिग अर्थव्यवस्था की तैयारी: यह सुनिश्चित करना कि पीएम-सेतु और पीएमकेवीवाई जैसे कौशल विकास कार्यक्रम युवाओं को फ्रीलांसिंग, अस्थायी अनुबंधों और डिजिटल अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्रों के लिए तैयार करना।
  • निगरानी और परिणाम-आधारित कार्यान्वयन: प्रभावशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सभी युवा-केंद्रित कार्यक्रमों के लिए मजबूत मूल्यांकन तंत्र स्थापित करना। परिणामों पर नजर रखने के लिए युवा अवसर सूचकांक और जिला-स्तरीय प्रदर्शन मीट्रिक लागू करना।
  • समावेशिता और समान पहुँच: समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं, हाशिए पर स्थित समुदायों और आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता देना। ब्याज-मुक्त ऋण, छात्रवृत्ति और वजीफे का विस्तार करना, जिससे शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता तक पहुँच आसान हो सके।
  • नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा देना: शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार केंद्रों, इनक्यूबेशन केंद्रों और अनुसंधान सुविधाओं में निवेश करना। रचनात्मकता, समस्या-समाधान कौशल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी प्रतिभा को पोषित करने के लिए स्टार्ट-अप, एमएसएमई और युवा-नेतृत्व वाले उद्यमों को प्रोत्साहित करना।
    • उदाहरण: संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य 8 (सभ्य कार्य और आर्थिक विकास) सतत् विकास के वैश्विक मानक के रूप में युवा रोजगार, उद्यमिता और कौशल विकास पर बल देता है।

निष्कर्ष

युवा-केंद्रित ₹62,000 करोड़ की पहल भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। शिक्षा, कौशल, उद्यमिता और बुनियादी ढाँचे को एकीकृत करके, भारत का लक्ष्य आत्मनिर्भरता, समावेशी विकास और सतत् विकास को बढ़ावा देना है, जिससे राष्ट्रीय प्रगति में युवा को एक प्रेरक बल के रूप में उपयोग किया जा सके।

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