प्रश्न की मुख्य माँग
- ब्रिक्स पे को लागू करने में चुनौतियाँ।
- आगे की राह।
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उत्तर
ब्रिक्स सीमा पार भुगतान पहल (ब्रिक्स पे) का उद्देश्य एक ऐसा डिजिटल भुगतान तंत्र स्थापित करना है, जो सदस्य देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में लेन-देन को सक्षम बनाकर पश्चिमी संस्थानों द्वारा नियंत्रित SWIFT नेटवर्क पर निर्भरता को कम करे। यद्यपि यह पहल वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ाने की क्षमता रखती है, परंतु आंतरिक मतभेद, तकनीकी जटिलताएँ और भू-राजनीतिक दबाव इसके कार्यान्वयन में प्रमुख बाधाएँ हैं।
ब्रिक्स पे के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ
- भिन्न राष्ट्रीय प्राथमिकताएँ और मुद्रा प्रतिस्पर्द्धा: प्रत्येक सदस्य देश अपनी स्वयं की भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देता है, जिससे सहमति और समन्वय में कठिनाई होती है।
- उदाहरण: चीन की CIPS प्रणाली 120 देशों में कार्यरत है, जबकि भारत की UPI प्रणाली नौ देशों में लागू है।
- तकनीकी अंत:संचालन की कमी: भारत की UPI, चीन की CIPS, रूस की SPFS और ब्राजील की Pix जैसी प्रणालियों की तकनीकी संरचनाएँ अलग-अलग हैं, जिससे एकीकरण जटिल हो जाता है।
- उदाहरण: ब्रिक्स भुगतान कार्य बल अभी भी इन प्रणालियों के अंत:संचालन हेतु तकनीकी मार्ग खोज रही है।
- भू-राजनीतिक तनाव और बाहरी दबाव: रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का जोखिम BRICS के भीतर सहमति को कमजोर करता है।
- उदाहरण: ईरान की सदस्यता और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 100% शुल्क लगाने की धमकी ने सदस्य देशों पर बाहरी दबाव डाला।
- समान कानूनी एवं नियामक ढाँचे का अभाव: वित्तीय विनियमों और डेटा संरक्षण कानूनों में विविधता एक साझा नियामक प्रणाली बनाने में बाधक है।
- संस्थागत समन्वय और आपसी विश्वास की कमी: सदस्यों के बीच आर्थिक निर्भरता और राजनीतिक अविश्वास नीति समन्वय को धीमा करता है।
- उदाहरण: रूस ब्रिक्स पे के प्रति उत्साही है, जबकि भारत और ब्राजील सतर्क रुख अपनाए हुए हैं, जिससे सामूहिक प्रगति में विलंब हो रहा है।
आगे की राह
- एकीकृत तकनीकी संरचना का विकास: ब्रिक्स भुगतान कार्य बल के तहत एक सामान्य डिजिटल ढाँचा तैयार किया जाए, जो राष्ट्रीय प्रणालियों को सुरक्षित और मानकीकृत इंटरफ़ेस के माध्यम से जोड़े।
- उदाहरण: वर्ष 2024 में मॉस्को में अनावरण किया गया ब्रिक्स पे प्रोटोटाइप इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
- संस्थागत समन्वय को सशक्त बनाना: केंद्रीय बैंकों के बीच नियमित नीति संवाद हेतु BRICS वित्तीय समन्वय परिषद की स्थापना की जाए।
- उदाहरण: रियो समिट घोषणा (वर्ष 2024) में अंत:संचालन और शासन मानकों पर निरंतर सहयोग की आवश्यकता बताई गई।
- स्थानीय मुद्रा निपटान को बढ़ावा देना: व्यापार बिलिंग और भुगतान को घरेलू मुद्राओं में प्रोत्साहित किया जाए ताकि डॉलर पर निर्भरता घटे।
- उदाहरण: वर्ष 2015 से BRICS देशों ने आंतरिक व्यापार हेतु मुद्रा स्वैप और स्थानीय निवेश को प्रोत्साहन दिया है।
- साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण मानकों को मजबूत करना: साझा डिजिटल सुरक्षा प्रोटोकॉल स्थापित किए जाएँ ताकि लेन-देन सुरक्षित और विश्वसनीय बनें।
- उदाहरण: BRICS सदस्यों के बीच संयुक्त साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क डेटा गोपनीयता और डिजिटल जासूसी की रोकथाम में मदद कर सकते हैं।
- BRICS वित्तीय संस्थानों का एकीकरण: न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और कंटिंजेंट रिजर्व अरेंजमेंट (CRA) को ब्रिक्स पे से जोड़ा जाए ताकि तरलता सहायता और निगरानी सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष
ब्रिक्स पे एक वैकल्पिक वैश्विक भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का अवसर प्रदान करता है, जो पश्चिमी-नियंत्रित नेटवर्क पर निर्भरता घटा सकता है। इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए BRICS देशों को तकनीकी अंत:संचालन, संस्थागत विश्वास और साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। एक समन्वित, पारदर्शी और समावेशी वित्तीय ढाँचा BRICS को वैश्विक वित्तीय शासन को पुनर्परिभाषित करने वाली प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।
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