प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत के कॉर्पोरेट बॉण्ड बाजार के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
- उन तरीकों पर चर्चा कीजिए, जिनसे लक्षित वित्तीय क्षेत्र सुधार बाजार को मजबूत बनाते हैं।
|
उत्तर
भारत का कॉरपोरेट बॉण्ड बाजार अविकसित है, सीमित भागीदारी, विनियामक बाधाओं और कम तरलता जैसी समस्याओं से बाधित है। इन चुनौतियों का समाधान दीर्घकालिक व्यावसायिक वित्तपोषण को सक्षम करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। लक्षित सुधार, सतत् आर्थिक विकास प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं।
भारत के कॉरपोरेट बॉण्ड बाजार के समक्ष चुनौतियाँ
- कम तरलता: ट्रेडिंग वॉल्यूम कम है, जिससे कीमतों में बड़ी रियायतों के बिना बॉण्ड को तुरंत खरीदना या बेचना मुश्किल हो जाता है।
- उदाहरण: वित्त वर्ष 2023-24 में, केवल 2% कॉर्पोरेट बॉण्ड सार्वजनिक रूप से जारी किए गए (19,000 करोड़ रुपये), जबकि वर्ष 2014 में यह 12% था। निजी प्लेसमेंट 8.38 लाख करोड़ रुपये के साथ हावी रहा।
- हाई एन्ट्री बाधाएँ: विशाल, मिनिमम लॉट साइज और उच्च लेन-देन लागत, खुदरा निवेशकों और छोटे संस्थानों को बाहर कर देते हैं।
- अस्पष्ट जानकारी: असंगत प्रकटीकरण मानदंड और सीमित ऋण अनुसंधान, जारीकर्ता की गुणवत्ता के बारे में अनिश्चितता उत्पन्न करते हैं।
- अविकसित द्वितीयक बाजार: सक्रिय बाजार-निर्माण का अभाव बोली-माँग अंतर को व्यापक बनाता है और भागीदारी को हतोत्साहित करता है।
- संकेंद्रित निवेशक आधार: बीमा और पेंशन फंडों का प्रभुत्व वित्तपोषण में बाधा उत्पन्न करता है।
- उदाहरण: अकेले LIC ने मई 2025 में अडानी पोर्ट्स के संपूर्ण ₹50 बिलियन के 15-वर्षीय बॉण्ड की सदस्यता ली।
बाजार को मजबूत करने के लिए लक्षित वित्तीय क्षेत्र सुधार
- मिनिमम लॉट साइज और लागत कम करना: खुदरा और छोटे संस्थागत निवेशकों का स्वागत करने के लिए निवेश सीमा कम करनी चाहिए और निपटान शुल्क को सुव्यवस्थित करना चाहिए।
- प्रकटीकरण को मानकीकृत और अनिवार्य बनाना: पारदर्शिता और मूल्य निर्धारण को बढ़ाने के लिए एक समान, बॉण्ड स्तरीय रिपोर्टिंग लागू करना चाहिए व बाह्य क्रेडिट रेटिंग का विस्तार भी करना होगा।
- बॉण्ड फंडों के लिए कर प्रोत्साहन लागू करना: संस्थागत और खुदरा निवेश को आकर्षित करने के लिए दीर्घकालिक बॉण्ड फंड लाभ को छूट देनी चाहिए।
- उदाहरण: अमेरिकी म्यूनिसिपल बॉण्ड फंड की संघीय कर छूट, 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार का समर्थन करती है।
- एक संप्रभु कॉरपोरेट प्रतिफल वक्र का निर्माण करना: मूल्य निर्धारण बेंचमार्क और जोखिम प्रबंधन में सुधार के लिए रेटिंग श्रेणियों में बेंचमार्क प्रतिफल वक्र प्रकाशित करना चाहिए।
- निवेशक आधार को व्यापक बनाना: विदेशी और घरेलू निवेशकों के लिए भागीदारी नियमों को आसान बनाना चाहिए- जैसे कि खुदरा बॉण्ड फंड और पूरी तरह से विनिमयीय रुपया खाते, ताकि माँग में विविधता लाई जा सके और वित्तपोषण को स्थिर किया जा सके।
कॉर्पोरेट बॉण्ड बाजार को मजबूत करने से वित्तपोषण विकल्पों में विविधता आएगी और आर्थिक लचीलापन बढ़ेगा। बेहतर बुनियादी ढाँचे और निवेशकों का विश्वास बाजार की वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है। एक जीवंत बॉण्ड बाजार समावेशी और सतत् विकास को प्राप्त करने की कुंजी है ।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments