Q. विभिन्न सरकारी हस्तक्षेपों के बावजूद, भारत वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक सड़क मृत्यु दर रिपोर्ट की जा रही है। सड़क सुरक्षा शासन में संरचनात्मक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए और प्रणालीगत सुधार के लिए एक रोडमैप सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • अनेक सरकारी मध्यक्षेपों के बावजूद विश्व स्तर पर भारत की उच्च सड़क मृत्यु दर के पीछे के कारकों का विश्लेषण कीजिए।
  • सड़क सुरक्षा प्रशासन में संरचनात्मक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
  • सड़क सुरक्षा प्रशासन में प्रणालीगत सुधार के लिए रोडमैप सुझाइए।

उत्तर

भारत गंभीर सड़क सुरक्षा संकट का सामना कर रहा है, जहाँ वर्ष 2023 में लगभग 1.73 लाख मौतें दर्ज की गईं, यानी प्रतिदिन 474 मौतें। कई सरकारी मध्यक्षेपों के बावजूद, देश में सड़क दुर्घटनाओं की दर वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है, जो सड़क सुरक्षा प्रशासन में प्रणालीगत चुनौतियों को उजागर करती है।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं में उच्च मृत्यु दर के पीछे के कारण

  • तेज गति और यातायात उल्लंघन: दुर्घटनाएँ ओवर-स्पीडिंग, शराब पीकर वाहन चलाने और गलत दिशा में वाहन चलाने के कारण होती हैं।
  • खराब सड़क अवसंरचना: सड़कों की खराब स्थिति, जैसे कि क्षतिग्रस्त स्पीड ब्रेकर और गैरचिह्नित निर्माण क्षेत्र, दुर्घटना के जोखिम को बढ़ाते हैं।
  • पैदल यात्रियों की सुरक्षा के उपायों का अभाव: शहरों में सिग्नल-फ्री कॉरिडोर जैसी पहलों ने पैदल यात्रियों की सुरक्षा के बजाय वाहनों के आवागमन को प्राथमिकता दी है, जिससे लोगों को खतरनाक क्रॉसिंग से गुजरना पड़ता है। 
    • उदाहरण: पुणे की सिग्नल-रहित सड़कों ने पैदल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं, क्योंकि यहाँ पैदल यात्रियों की अपेक्षा वाहनों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • सुरक्षा प्रवर्तन में लापरवाही: निर्देशों के बावजूद, संस्थाएँ अक्सर सुरक्षा उपायों को लागू करने में लापरवाही बरतती हैं।
  • विलंबित बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ: अंडरपास जैसी परियोजनाएँ, विलंब और सुरक्षा प्रतिष्ठानों की कमी के कारण अधूरी रह जाती हैं।

सड़क सुरक्षा प्रशासन में संरचनात्मक चुनौतियाँ

  • खंडित संस्थागत ढाँचा: सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारियाँ विभिन्न एजेंसियों के मध्य विभाजित हैं, जिसके कारण समन्वय और जवाबदेही संबंधित समस्याएँ सामने आती हैं।
  • अपर्याप्त डेटा संग्रह और विश्लेषण: व्यापक और समय पर डेटा की कमी, प्रभावी सड़क सुरक्षा नीतियों के निर्माण में बाधा डालती है। 
    • उदाहरण: इंडिया स्टेट्स रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2024, अपर्याप्त डेटा सिस्टम के कारण मृत्यु दर को कम करने में धीमी प्रगति को उजागर करती है।
  • अपर्याप्त निधि और संसाधन: सीमित वित्तीय और मानव संसाधन, सुरक्षा उपायों व अवसंरचनात्मक सुधार के कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं। 
    • उदाहरण: केरल में 55 रोड ओवरब्रिजों के लिए दक्षिणी रेलवे द्वारा पूर्ण निधि उपलब्ध कराना, अन्यत्र पर्याप्त निधि जुटाने की चुनौती को दर्शाता है।
  • कमजोर प्रवर्तन तंत्र: यातायात कानूनों का प्रवर्तन अक्सर असंगत होता है, जिससे उल्लंघनकर्ताओं पर उनका निवारक प्रभाव कम हो जाता है।
  • सीमित जन जागरूकता और शिक्षा: सड़क सुरक्षा मानदंडों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर जनता को शिक्षित करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियानों का अभाव है। 
    • उदाहरण: सेवलाइफ फाउंडेशन जैसी पहल सड़क सुरक्षा पर सार्वजनिक शिक्षा बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर करती है।

सड़क सुरक्षा प्रशासन में प्रणालीगत सुधार के लिए रोडमैप

  • एकीकृत सड़क सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना: सड़क सुरक्षा पहलों की निगरानी और समन्वय के लिए एक केंद्रीय निकाय बनाने से जवाबदेही तथा दक्षता में वृद्धि हो सकती है। 
    • उदाहरण: विश्व बैंक ने भारत में सड़क सुरक्षा प्रयासों को एकीकृत और समन्वित करने के लिए एक प्रमुख एजेंसी की सिफारिश की है।
  • व्यापक डेटा सिस्टम लागू करना: मजबूत डेटा संग्रह और विश्लेषण तंत्र विकसित करने से लक्षित हस्तक्षेप और नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी। 
    • उदाहरण: इंडिया स्टेट्स रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी, 2024 व्यापक डेटा सिस्टम की आवश्यकता पर बल देती है।
  • बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ाना: सड़क रखरखाव, साइनेज और पैदल यात्री सुविधाओं के लिए अधिक धन आवंटित करने से समग्र सुरक्षा में सुधार होगा।
  • कानून प्रवर्तन को मजबूत करना: यातायात कानून प्रवर्तन की क्षमता और निरंतरता को बढ़ाने से उल्लंघनों को रोका जा सकेगा और अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा। 
    • उदाहरण: मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 का उद्देश्य कठोर दंड के माध्यम से प्रवर्तन में सुधार करना है।
  • जन जागरूकता अभियान को बढ़ावा देना: राष्ट्रव्यापी शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने से सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा। 
    • उदाहरण: गुड सेमेरिटन लॉ अभियान ने दुर्घटना पीड़ितों को बचाने में जन जागरूकता और भागीदारी में सुधार किया है।

भारत के समक्ष आने वाली सड़क सुरक्षा चुनौतियों का कारण बुनियादी ढाँचे की कमियाँ, प्रवर्तन में खामियाँ और शासन संबंधी समस्याएँ हैं। इनका समाधान करने के लिए संस्थागत सुधार, निवेश में वृद्धि और सुरक्षित सड़कें बनाने हेतु सार्वजनिक भागीदारी को शामिल करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.