Q. ‘साइबर वारफेयर’ युद्ध के पाँचवें क्षेत्र के रूप में उभरा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए अनूठी चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। इसके मद्देनजर, साइबर वारफेयर की अवधारणा की व्याख्या कीजिये और इसकी प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये जो इसे संघर्ष के पारंपरिक रूपों से अलग करती हैं। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • साइबर वारफेयर की अवधारणा को समझाइए।
  • साइबर वारफेयर की उन प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिए जो इसे संघर्ष के पारंपरिक रूपों से अलग करती हैं।

 

उत्तर:

साइबर वारफेयर का तात्पर्य साइबरस्पेस में राज्य या गैर-राज्य अभिकर्ताओं द्वारा की जाने वाली शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों से है, जो सूचना प्रणालियों, नेटवर्क और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को लक्षित करती हैं। यह भूमि, समुद्र, वायु और अंतरिक्ष के साथ युद्ध के पाँचवें क्षेत्र के रूप में उभरा है। पारंपरिक युद्ध के विपरीत, साइबर हमले बिना किसी भौतिक उपस्थिति के व्यापक व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय  संबंधों के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। नागरिक और सैन्य दोनों तरह के डिजिटल बुनियादी ढाँचे पर बढ़ती निर्भरता ने देशों को साइबर वारफेयर के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बना दिया है, जिससे संप्रभुता और वैश्विक स्थिरता को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

साइबर वारफेयर की अवधारणा

  • साइबरस्पेस में डिजिटल संघर्ष: साइबर वारफेयर में दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर, हैकिंग और नेटवर्क व्यवधानों का उपयोग करके विरोधी प्रणालियों को लक्षित करना शामिल है जिसका उद्देश्य महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे, संचार और रक्षा प्रणालियों को नुकसान पहुँचाना या उनमें हेरफेर करना है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2010 में स्टक्सनेट वर्म हमले ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाया और सेंट्रीफ्यूज की जानकारी चोरी करने के लिए कोड का उपयोग किया। यह दर्शाता है, कि साइबर वारफेयर कैसे किसी देश की प्रमुख प्रणालियों को दूर से ही निष्क्रिय कर सकता है।
  • असममित युद्ध: साइबर वारफेयर छोटे देशों या गैर-राज्य अभिकर्ताओं को उनकी डिजिटल कमजोरियों का लाभ उठाकर बड़ी शक्तियों को चुनौती देने की अनुमति देता है। 
    • उदाहरण के लिए: उत्तर कोरिया पर सोनी पिक्चर्स हैक (2014) जैसे साइबर हमलों का आरोप लगाया गया है, जिससे यह उजागर होता है कि कैसे कमजोर देश डिजिटल माध्यमों से शक्तिशाली संस्थाओं पर हमला कर सकते हैं।
  • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाना: साइबर वारफेयर के मुख्य लक्ष्यों में पावर ग्रिड, बैंकिंग प्रणाली, परिवहन नेटवर्क और सैन्य बुनियादी ढाँचे शामिल हैं। 
    • उदाहरण के लिए: यूक्रेन पावर ग्रिड हैक (2015) ने सैकड़ों हजारों लोगों को होने वाली विद्युत आपूर्ति बाधित कर दी, जिससे आवश्यक सेवाओं को अस्थिर करने के लिए साइबर वारफेयर की क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
  • हमलों की गोपनीय प्रकृति: साइबर वारफेयर गोपनीय रूप से संचालित किया जाता है और अक्सर तत्काल पता लगाए बिना, जिससे हमला किए गए देश के लिए अपराधी की पहचान करना या प्रभावी ढंग से जवाब देना कठिन हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2016 के अमेरिकी चुनावों के दौरान रूसी साइबर ऑपरेशन से पता चलता है, कि कैसे गोपनीय डिजिटल रणनीतियाँ, प्रत्यक्ष सैन्य जुड़ाव के बिना राजनीतिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर सकती हैं।
  • वैश्विक साइबर जासूसी: साइबर वारफेयर में अक्सर सरकारों, निगमों और रक्षा नेटवर्क से
    संवेदनशील जानकारी चुराने के लिए जासूसी अभियान शामिल होते हैं। 

    • उदाहरण के लिए: ऑपरेशन क्लाउड हॉपर जैसे चीन के साइबर जासूसी अभियानों ने व्यापार रहस्यों और सरकारी सूचनाओं को चुराने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों को निशाना बनाया।
  • विनाश से ज्यादा व्यवधान: पारंपरिक युद्ध के विपरीत, साइबर वारफेयर भौतिक विनाश के बजाय ऐसे व्यवधान पर केंद्रित होता है जिसका उद्देश्य दीर्घकालिक अराजकता और आर्थिक नुकसान पहुँचाना होता है। 
    • उदाहरण के लिए: वानाक्राई हमले (2017) जैसे रैनसमवेयर हमलों ने डेटा को एन्क्रिप्ट करके और फिरौती की माँग करके 150 देशों में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों और व्यवसायों को निष्क्रिय कर दिया।
  • साइबर वारफेयर में गैर-सरकारी अभिकर्ता: गैर-सरकारी अभिकर्ता, जैसे हैकटिविस्ट समूह या साइबर अपराधी, साइबर वारफेयर में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो अक्सर स्वतंत्र रूप से या गोपनीय तरीके से राज्य के समर्थन के साथ कार्य करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: हैकिंग समूह एनोनिमस ने सरकारी संस्थानों पर कई साइबर हमले किए हैं, जो साइबर संघर्षों में गैर-सरकारी अभिकर्ताओं के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

साइबर वारफेयर की प्रमुख विशेषताएँ जो इसे पारंपरिक संघर्ष से अलग करती हैं:

  • संघर्ष की गैर-भौतिक प्रकृति: साइबर वारफेयर के लिए भौतिक उपस्थिति या क्षति की आवश्यकता नहीं होती है। यह डिजिटल बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाता है, डेटा में हेरफेर करता है और भौतिक बल का उपयोग किए बिना नेटवर्क को अक्षम करता है। 
    • उदाहरण के लिए: नॉटपेट्या हमला (2017) ने यूक्रेन की वित्तीय और सरकारी प्रणालियों को निशाना बनाया, जिससे बिना किसी भौतिक भागीदारी के महत्त्वपूर्ण आर्थिक नुकसान हुआ।
  • गुमनामी और जिम्मेदारी तय करने की चुनौतियाँ: साइबर हमले गुमनाम तरीके से किए जा सकते हैं जिससे इनकी उत्पत्ति का पता लगाना या जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराना मुश्किल हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: सोलरविंड्स साइबर जासूसी हमला (2020) ने अमेरिकी सरकारी एजेंसियों को प्रभावित किया, फिर भी इसकी सटीक जिम्मेदारी महीनों तक अस्पष्ट रही।
  • वैश्विक पहुँच और तात्कालिक प्रभाव: साइबर हमले, सीमापार होकर एक साथ कई देशों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: वानाक्राई रैनसमवेयर हमला कुछ ही घंटों में 150 देशों में फैल गया, जो साइबर खतरों की वैश्विक प्रकृति को दर्शाता है।
  • निरंतर और लगातार खतरा: साइबर हमले किसी भी समय, बिना किसी चेतावनी के किए जा सकते हैं, जिससे लगातार असुरक्षा की स्थिति बनी रहती है। 
    • उदाहरण के लिए: उन्नत सतत खतरों (APTs) में दीर्घकालिक जासूसी प्रयास शामिल होते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को लगातार खतरा पहुँचाते हैं।
  • कम लागत और संसाधन की आवश्यकता: पारंपरिक सैन्य उपकरणों के विपरीत, मैलवेयर या बॉटनेट जैसे साइबर वारफेयर उपकरणों को कम संसाधनों की आवश्यकता होती है। 
    • उदाहरण के लिए: उत्तर कोरिया का लाजरस ग्रुप न्यूनतम बुनियादी ढाँचे का उपयोग करते हुए, बांग्लादेश बैंक डकैती सहित कई हाई-प्रोफाइल साइबर डकैतियों में शामिल रहा है
  • निष्पादन और प्रतिक्रिया की गति: साइबर वारफेयर रियलटाइम में संचालित होता है , जिसमें हमले शुरू होते हैं और उनका प्रभाव लगभग तुरंत महसूस किया जाता है।
  • पारंपरिक युद्ध के साथ एकीकरण: साइबर वारफेयर का उपयोग पारंपरिक सैन्य रणनीति के साथ मिलकर किया जा रहा है, जिससे ऑपरेशन की समग्र प्रभावशीलता बढ़ रही है। 
    • उदाहरण के लिए: क्रीमिया पर रूस के कब्जे के दौरान, संचार और रक्षा तंत्र को बाधित करने के लिए भौतिक सैन्य प्रयासों के साथ-साथ साइबर हमलों का भी इस्तेमाल किया गया था।

साइबर वारफेयर, राष्ट्रों द्वारा संघर्षों का सामना करने के तरीके में एक महत्त्वपूर्ण प्रतिमान बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ती जा रही है, भविष्य के युद्ध तेजी से साइबरस्पेस डोमेन में लड़े जाएँगे, जिसके लिए इस उभरते क्षेत्र में वैश्विक सुरक्षा बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, मजबूत साइबर रक्षा रणनीतियों और व्यापक मानदंडों की आवश्यकता होगी।

 

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