प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत के तकनीकी शिक्षा मॉडल में विद्यमान कमियों पर चर्चा कीजिए।
- भारत की तकनीकी शिक्षा प्रणाली को मध्यम एवं उच्च तकनीक विनिर्माण क्षेत्रों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए सुधार सुझाएँ।
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उत्तर
भारत की तकनीकी शिक्षा प्रणाली, जिसमें 10,000 से अधिक इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक संस्थान शामिल हैं, इसकी विनिर्माण महत्त्वाकांक्षाओं के लिए महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि, मध्यम तथा उच्च तकनीक वाले विनिर्माण क्षेत्रों के तेजी से विकास के लिए उन्नत तकनीकों में कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है, जिससे मौजूदा कौशल अंतराल को कम करने के लिए मौजूदा शैक्षिक ढाँचे में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता होती है।
भारत के तकनीकी शिक्षा मॉडल में मौजूदा अंतर
- कौशल का संरेखण न होना: पाठ्यक्रम में अक्सर उद्योग की आवश्यकताओं के साथ संरेखण की कमी होती है, जिसके कारण स्नातक आधुनिक विनिर्माण भूमिकाओं के लिए अयोग्य हो जाते हैं।
- उदाहरण: आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2024 के अनुसार, भारत के केवल 51.25% स्नातक ही रोजगार योग्य हैं, जो एक महत्त्वपूर्ण कौशल अंतर को उजागर करता है।
- सीमित व्यावहारिक अनुभव: व्यावहारिक प्रशिक्षण की तुलना में सैद्धांतिक ज्ञान पर जोर वास्तविक दुनिया की समस्या-समाधान क्षमताओं को बाधित करता है।
- उदाहरण: इंजीनियरिंग कार्यक्रमों में पाठ्यक्रम का 50% से भी कम समय प्रयोगशाला कार्य या उद्योग परियोजनाओं के लिए समर्पित है।
- उभरती प्रौद्योगिकियों पर अपर्याप्त ध्यान: पाठ्यक्रम अक्सर आधुनिक विनिर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण AI, IoT एवं स्वचालन जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों को अनदेखा करते हैं।
- उद्योग-अकादमिक सहयोग की कमी: शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योगों के बीच साझेदारी की कमी के परिणामस्वरूप पाठ्यक्रम पुराने हो जाते हैं।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता क्षेत्रों में भिन्न होती है, जो समान कौशल विकास को प्रभावित करती है।
- अपर्याप्त संकाय विकास: संकाय कौशल विकास के सीमित अवसर आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को अपनाने में बाधा उत्पन्न करते हैं।
- व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में कम नामांकन: व्यावसायिक शिक्षा का कम उपयोग किया जाता है, जिससे विशेष कौशल का विकास सीमित हो जाता है।
- उदाहरण: वर्ष 2023 के मध्य तक केवल 3.8% कार्यबल के पास औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण था।
विनिर्माण आवश्यकताओं के साथ तकनीकी शिक्षा को संरेखित करने के लिए सुधार
- पाठ्यक्रम में सुधार: आधुनिक विनिर्माण के लिए प्रासंगिक उभरती प्रौद्योगिकियों एवं व्यावहारिक कौशल को शामिल करने के लिए पाठ्यक्रम को अपडेट करना।
- उदाहरण: NIAMT जैसे संस्थानों ने उद्योग की माँगों को पूरा करने के लिए कंप्यूटर इंजीनियरिंग एवं उत्पादन तथा औद्योगिक इंजीनियरिंग में पाठ्यक्रम शुरू किए हैं।
- उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत करना: इंटर्नशिप, संयुक्त अनुसंधान एवं पाठ्यक्रम विकास के लिए सहयोग को बढ़ावा देंना।
- उदाहरण: सिस्को-रॉकवेल के ‘उद्योग के लिए डिजिटल कौशल’ जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य उद्योग-आधारित प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल अंतर को कम करना है।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देंना: विविध विनिर्माण भूमिकाओं को पूरा करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार एवं आधुनिकीकरण करना।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) ने उद्योग-प्रासंगिक कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हुए 1.6 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।
- रीजनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को बढ़ावा देंना: संतुलित कौशल विकास सुनिश्चित करने के लिए पिछड़े क्षेत्रों में विशेष संस्थान स्थापित करना।
- निरंतर फैकल्टी विकास: शिक्षकों के लिए तकनीकी प्रगति से अवगत रहने के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम।
- सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनिंग को एकीकृत करना: तकनीकी शिक्षा में संचार, टीमवर्क एवं समस्या-समाधान कौशल को शामिल करना।
- शिक्षा में निवेश बढ़ाना: बुनियादी ढाँचे एवं लर्निंग आउटकम को बेहतर बनाने के लिए उच्च बजटीय संसाधन आवंटित करना।
- उदाहरण: फंडिंग बढ़ाने से आधुनिक प्रयोगशालाओं एवं डिजिटल कक्षाओं को अपनाने में सुविधा हो सकती है।
वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के अपने सपने को साकार करने के लिए, भारत को अपनी तकनीकी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा। मौजूदा कमियों को दूर करके एवं लक्षित सुधारों को लागू करके, देश आधुनिक तकनीकों में निपुण कुशल कार्यबल तैयार कर सकता है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में नवाचार-आधारित विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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