Q. भारत में नमक का अत्यधिक सेवन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित स्तर से लगभग दोगुना है, जो गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। भारत में उच्च नमक सेवन के जन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा कीजिए और जनसंख्या स्तर पर नमक की खपत को कम करने के लिए एक व्यापक रणनीति सुझाइए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में उच्च नमक सेवन के स्वास्थ्य प्रभाव।
  • नमक की खपत कम करने की व्यापक रणनीति।

उत्तर

भारत में प्रतिदिन नमक का औसत सेवन 8–11 ग्राम है, जो WHO की 5–6 ग्राम सीमा से लगभग दोगुना है। इसका तीन-चौथाई हिस्सा घरेलू भोजन से आता है और शेष प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से। यह अत्यधिक सेवन 28.1% वयस्कों में उच्च रक्तचाप को बढ़ाता है, जिससे हृदय रोग और गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) का जोखिम बढ़ जाता है। फिर भी नमक घटाने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य का ध्यान अपर्याप्त है।

भारत में अधिक नमक सेवन के स्वास्थ्य प्रभाव

  • उच्च रक्तचाप और हृदय रोग: अत्यधिक नमक सीधे रक्तचाप बढ़ाता है, जिससे स्ट्रोक और हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
  • मोटापा और चयापचयी समस्याएँ: उच्च नमक वाले खाद्य पदार्थ अक्सर तेल और वसा के साथ खाए जाते हैं, जो मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह में योगदान करते हैं।
    • उदाहरण: NFHS-5 के अनुसार वयस्कों और बच्चों दोनों में मोटापा बढ़ा है, जो प्रोसेस्ड फूड पर निर्भरता से जुड़ा है।
  • बचपन की संवेदनशीलता: प्रारंभिक उम्र में नमक का अधिक सेवन स्वाद की आदत बना देता है, जिससे वयस्कता में NCDs का जोखिम बढ़ जाता है।
  • आयोडीन की कमी का जोखिम: सेंधा या पिंक सॉल्ट के बारे में भ्रांतियाँ आयोडीन युक्त नमक के उपयोग को घटाती हैं ।
  • आर्थिक बोझ: अधिक नमक से होने वाले रोग स्वास्थ्य व्यय, कार्यस्थल अनुपस्थिति और उत्पादकता हानि बढ़ाते हैं।
    • उदाहरण: WHO का अनुमान है कि नमक घटाने में $1 का निवेश स्वास्थ्य लागत में $12 की बचत करता है।

नमक खपत घटाने की व्यापक रणनीति

  • HFSS बोर्ड्स: पोषण अभियानों का विस्तार ‘हाई फैट, सॉल्ट, शुगर’ (HFSS) बोर्ड्स तक करना, ताकि नमक को चीनी और वसा जितना ही महत्त्व मिले।
    • उदाहरण: स्कूलों और अस्पतालों में HFSS बोर्ड्स लगाने से नमक के अप्रत्यक्ष खतरों को प्रभावी रूप से समझाया  जा सकता है।
  • व्यवहार परिवर्तन: खाना पकाने में नमक की मात्रा धीरे-धीरे कम करने को बढ़ावा देना तथा स्वाद के विकल्प के रूप में जड़ी-बूटियों या मसालों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।
  • सार्वजनिक भोजन का नियमन: मिड-डे मील, आंगनवाड़ी और अस्पताल आहार में नमक की सीमा तय करना और कुक्स को प्रशिक्षण देना।
    • उदाहरण: मिड-डे मील योजना में सुधार से करोड़ों बच्चों को स्वस्थ, कम नमक वाला भोजन मिल सकता है।
  • अनिवार्य लेबलिंग: फ्रंट-ऑफ-पैक पोषण लेबलिंग लागू करना, जिसमें नमक चेतावनी हो और नमकीन पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के विज्ञापन सीमित हों।
    • उदाहरण: चिली में नमकीन स्नैक्स पर काले चेतावनी लेबल लगाने से खपत कम हो गई और भारत के लिए एक आदर्श प्रस्तुत हुआ।
  • सामुदायिक कार्रवाई: रेस्टोरेंट्स में नमक रखने वाले डिब्बों को हटाने तथा नमकीन पैक किए गए सामानों की पारिवारिक स्तर पर जाँच करने के लिए प्रोत्साहित करना।

निष्कर्ष

भारत में अत्यधिक नमक का सेवन बढ़ते NCDs को प्रोत्साहित कर रहा है, परंतु नीतिगत स्तर पर इसे चीनी और वसा जितना महत्त्व नहीं मिलता। जागरूकता, नियमन, स्वस्थ सार्वजनिक भोजन और सामुदायिक भागीदारी का सम्मिलित प्रयास सेवन घटा सकता है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों में नमक कमी को एकीकृत करना आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा हेतु सार्वजनिक स्वास्थ्य की अनिवार्यता है।

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