प्रश्न की मुख्य माँग
- वक्फ अधिनियम 2025 में किए गए संशोधनों से उत्पन्न प्रमुख चुनौतियाँ।
- अधिनियम से संबंधित चिंताओं के समाधान के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए अंतरिम दिशा-निर्देश।
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उत्तर
भारत की वक्फ संपत्ति, जो 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 38 लाख एकड़ (~8.5 लाख संपत्तियाँ) में विस्तृत है, धार्मिक, शैक्षिक और परोपकारी गतिविधियों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वक्फ अधिनियम, 2025 का उद्देश्य सुशासन में सुधार करना है, किंतु इससे स्वायत्तता और राज्य नियंत्रण को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हुईं, जिसके परिणामस्वरूप सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम दिशा-निर्देश जारी किए।
वक्फ अधिनियम, 2025 के संशोधनों से उत्पन्न प्रमुख चुनौतियाँ
- जिलाधिकारियों को अत्यधिक शक्तियाँ: अधिनियम ने जिलाधिकारियों को यह तय करने का अधिकार दिया कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी भूमि, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार किया गया।
- उदाहरण: धारा 3C ने जिलाधिकारियों को जाँच के दौरान वक्फ का दर्जा हटाने की अनुमति दी, जिससे शक्तियों का पृथक्करण कमजोर हुआ।
- समुदाय की स्वायत्तता पर खतरा: वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी ने मुसलमानों के अपने धार्मिक मामलों को अनुच्छेद-26 के तहत प्रबंधित करने के अधिकार को कमजोर किया।
- भेदभावपूर्ण ‘पाँच-वर्षीय नियम’: केवल वही व्यक्ति वक्फ बना सकता था, जो पाँच वर्ष से इस्लाम का पालन कर रहा हो, इसे मनमाना और भेदभावपूर्ण माना गया।
- उदाहरण: यह प्रावधान नए धर्मांतरितों के अधिकारों को सीमित करता था और समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करता था।
- ‘वक्फ बाय यूज’ का हटना: इस लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया, जिसके तहत धार्मिक या परोपकारी कार्यों में प्रयुक्त भूमि को तब तक वक्फ नहीं माना जाएगा, जब तक कि उसे औपचारिक रूप से पंजीकृत न किया जाए।
- अतिक्रमण दावों पर सीमा: सीमा अधिनियम (Limitation Act) के अनुप्रयोग ने वक्फों को एक निश्चित समयसीमा से अधिक अतिक्रमित संपत्तियों की पुनर्प्राप्ति से रोक दिया।
- उदाहरण: पहले वक्फ बोर्ड असीमित समय तक कार्रवाई कर सकते थे, संशोधन ने उनकी संपत्ति सुरक्षा की क्षमता को कमजोर किया।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी अंतरिम दिशा-निर्देश
- जाँच के दौरान वक्फ स्थिति का संरक्षण: न्यायालय ने धारा 3C को रोक दिया, जिसके तहत जाँच के दौरान वक्फ स्थिति समाप्त हो जाती थी।
- उदाहरण: संपत्तियाँ तब तक वक्फ बनी रहेंगी, जब तक वक्फ न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम निर्णय न लिया जाए।
- संपत्ति विवादों पर न्यायिक निगरानी: न्यायालय ने जिलाधिकारियों को एकतरफा राजस्व या वक्फ रिकॉर्ड बदलने से रोका।
- उदाहरण: स्वामित्व विवाद पर अंतिम अधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को बहाल किया गया, न कि राजस्व अधिकारियों को।
- गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर सीमा: न्यायालय ने वक्फ प्रशासनिक निकायों में गैर-मुस्लिमों की संख्या सीमित की।
- उदाहरण: केंद्रीय वक्फ परिषद में 4 से अधिक और राज्य बोर्डों में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होंगे।
- ‘पाँच-वर्षीय नियम’ पर सशर्त स्थगन: पाँच वर्ष तक इस्लाम का पालन सिद्ध करने की आवश्यकता को अस्थायी रूप से स्थगित किया गया।
- उदाहरण: न्यायालय ने सरकार द्वारा स्पष्ट सत्यापन नियम बनाए जाने तक इस शर्त पर रोक लगाई।
- विवादित संपत्तियों के दुरुपयोग से सुरक्षा: वक्फ अधिकारों की रक्षा करते हुए न्यायालय ने चल रहे विवादों के दौरान तीसरे पक्ष के हितों के सृजन पर रोक लगाई।
वक्फ अधिनियम, 2025 राज्य निगरानी और धार्मिक स्वायत्तता के बीच तनाव को उजागर करता है। सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम दिशा-निर्देश एक अस्थायी संतुलन प्रस्तुत करते हैं, जो वक्फ संपत्तियों की रक्षा और न्यायसंगत निर्णय सुनिश्चित करते हैं, साथ ही सरकार को स्पष्ट और न्यायपूर्ण नियम बनाने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे शासन सुधार तथा समुदाय अधिकार दोनों का सम्मान हो सके।
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