Q. भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच आपराधिक रिकॉर्ड की व्यापकता और देश की राजनीति पर इसके प्रभाव पर चर्चा करें। चुनावी सुधार और बढ़ी हुई नागरिक भागीदारी इस मुद्दे के समाधान में कैसे योगदान दे सकती है? (250 शब्द, 15 अंक)

Answer:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: भारत में आपराधिक रिकॉर्ड वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों से संबंधित मुद्दे और इसकी गंभीरता का परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ करें।
  • मुख्य भाग:
    • निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच आपराधिक रिकॉर्ड की व्यापकता और इसके निहितार्थों पर चर्चा करें।
    • मुद्दे की गंभीरता को दर्शाने और शासन और सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर इसके प्रभाव पर चर्चा करने के लिए सांख्यिकीय डेटा भी प्रदान करें।
    • इस समस्या के समाधानों पर चर्चा करें।
  • निष्कर्ष: इस मुद्दे के समाधान के लिए दोहरे दृष्टिकोण – चुनावी सुधार और सशक्त नागरिक भागीदारी – के महत्व को रेखांकित करते हुए निष्कर्ष लिखें।

परिचय:

भारतीय राजनीति का एक चिंताजनक पहलू आपराधिक रिकॉर्ड वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों की उपस्थिति है। यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमज़ोर करता है और राजनीतिक शासन की प्रभावकारिता और विश्वसनीयता के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा करता है।

मुख्य भाग:

निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच आपराधिक रिकॉर्ड की व्यापकता

  • एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार,
    • 2019 के लोकसभा चुनाव में 539 विजयी उम्मीदवारों में से 43% पर आपराधिक आरोप थे।
    • परेशान करने वाली बात यह है, कि 29% के ऊपर हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले थे।
  • प्रभाव:
    • शासन पर प्रभाव: ये आंकड़े शासन की अखंडता और विश्वसनीयता से समझौता दिखाते हैं, जो जनता के विश्वास को कमजोर करता है और प्रभावी नीति कार्यान्वयन को और अधिक चुनौतीपूर्ण बनाता है।
    • सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव: यह चुनावों में धन और बाहुबल के प्रयोगों से सम्बंधित चिंताएं पैदा करता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खतरा होना लाज़मी है।
    • चुनावी प्रक्रियाओं में लोगों का विश्वास खंडित होता है, जो जीवंत लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

समस्या का समाधान

  • चुनावी सुधार:
    • विधान: उच्चतम न्यायालय ने बार-बार चुनावी सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिसमें आपराधिक आरोपों वाले उम्मीदवारों की अयोग्यता भी शामिल है। हालाँकि, प्रभावी कार्यान्वयन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
    • फास्ट ट्रैक कोर्ट: सांसदों के खिलाफ मामलों के त्वरित निपटान के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना से आपराधिक आरोप वाले राजनेताओं को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है।
  • नागरिक भागीदारी:
    • जागरूकता और मतदान:
      • मतदाताओं को उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में शिक्षित करने से उन्हें सूचित विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।
      • “मेरा वोट मेरा अधिकार” अभियान जैसी पहल में सक्रिय नागरिक भागीदारी इस समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
    • नागरिक निगरानी: 
      • ADR जैसे नागरिक समाज समूह पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने, नागरिक भागीदारी को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

निष्कर्ष: 

आपराधिक रिकॉर्ड वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों की व्यापकता एक ऐसा मुद्दा है जिससे भारत को तत्काल निपटने की जरूरत है। कड़े चुनावी सुधारों और नागरिक भागीदारी का संयोजन यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं आपराधिक तत्वों से अछूती रहें। इससे न केवल सुदृढ़ राजनीतिक शासन के लिए अधिक अनुकूल वातावरण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता का विश्वास बहाल करने में भी मदद मिलेगी।

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