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Q. विस्थापन का लिंग आधारित प्रभाव शरणार्थी महिलाओं पर विशिष्ट रूप से कैसे प्रभाव डालता है, और पुरुष शरणार्थियों की तुलना में उनकी बढ़ती भेद्यताओं में कौन से कारक योगदान करते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग:

  • चर्चा करें कि कैसे विस्थापन का लैंगिक प्रभाव शरणार्थी महिलाओं को विशिष्ट रूप से प्रभावित करता है।
  • उन कारकों पर प्रकाश डालिए जो पुरुष शरणार्थियों की तुलना में महिलाओं की बढ़ती भेद्यताओं में योगदान करते हैं।

 

उत्तर:

सशस्त्र संघर्ष, हिंसा एवं  उत्पीड़न के कारण शरणार्थी महिलाओं का विस्थापन एक महत्वपूर्ण मानवीय संकट को दर्शाता हैसंयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के अनुसार, 2023 के अंत तक सम्पूर्ण विश्व  में मौजूद 3.76 करोड़ शरणार्थियों में से 46% महिलाएं और लड़कियां थीं। यह समूह विशिष्ट लैंगिक चुनौतियों का सामना करता है, जिसमें उनकी देखभाल की भूमिकाओं एवं  सामाजिक मानदंडों के कारण भेद्यता में वृद्धि होती है

शरणार्थी महिलाओं पर विस्थापन का लैंगिक प्रभाव:

  • शारीरिक एवं  यौन हिंसा: शरणार्थी महिलाओं को विस्थापन के दौरान यौन उत्पीड़न के साथ
    लिंग आधारित हिंसा के बढ़ते जोखिम का सामना करना पड़ता है।
    उदाहरण के लिए:, दक्षिण सूडान जैसे संघर्ष क्षेत्रों में विस्थापित महिलाओं के खिलाफ व्यापक यौन हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई  हैं। इस शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक आघात से उनकी भेद्यताएं और बढ़ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप दीर्घकालिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ: विस्थापन का शरणार्थी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जो पीटीएसडी (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर ) एवं  अवसाद जैसी स्थितियों से अत्यधिक प्रभावित होती हैं
    उदाहरण के लिए:  सूडान के दारफुर क्षेत्र में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि विस्थापित महिलाओं में से 72% महिलाएं आघातपूर्ण घटनाओं के कारण पीटीएसडी से पीड़ित हैं। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच इन स्थितियों को बढ़ा देती है।
  • आर्थिक असुरक्षा: रोजगार में कमी , संसाधनों तक सीमित पहुंच, शिक्षा का बाधित होना,हिंसा के साथ लैंगिक भूमिका  एवं  अपर्याप्त मानवीय सहायता ,आर्थिक असुरक्षा उत्पन्न करती  है
    उदाहरण के लिए:  लेबनान में सीरियाई शरणार्थी महिलाओं को कानूनी प्रतिबंधों, भाषा संबंधी बाधाओं तथा औपचारिक कार्य  के अवसरों की कमी के कारण उच्च बेरोजगारी दर का सामना करना पड़ता है।
  • पारिवारिक विघटन: विस्थापन अक्सर पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं के विघटन का कारण बनता है, जिससे शरणार्थी महिलाओं पर  अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
    उदाहरण के लिए: बांग्लादेश
    में रोहिंग्या शिविरों में , महिलाओं को प्रायः  बच्चों एवं वृद्धों की देखभाल के लिए अकेले छोड़ दिया जाता है, जिससे उनके शारीरिक एवं  भावनात्मक संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
  • स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच: शरणार्थी महिलाओं को स्वास्थ्य देखभाल, विशेष रूप से  प्रजनन संबंधी  स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ।
    उदाहरण के लिए: दक्षिण सूडान क्षेत्र में प्रसव के दौरान उचित चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण मातृ एवं  शिशु मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।

शरणार्थी महिलाओं की बढ़ती भेद्यताओं में योगदान देने वाले कारक:

  • पितृसत्तात्मक सामाजिक मानदंड: शरणार्थी महिलाएं प्रायः पितृसत्तात्मक समाजों से संबंधित होती हैं जहां लैंगिक भूमिकाएं उनकी स्वायत्तता को सीमित करती हैं
    उदाहरण के लिए:भारत में अफगान शरणार्थी महिलाओं को सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है जो उनकी गतिशीलता एवं सेवाओं तक पहुंच को बाधित करती हैं, जिससे विस्थापन की स्थिति में उनकी भेद्यता बढ़ जाती है।
  • कानूनी सुरक्षा का अभाव: कई देशों में शरणार्थी महिलाओं के लिए विशिष्ट कानूनी संरक्षण की अनुपस्थिति उनकी संवेदनशीलताओं भेद्यताओं को बढ़ाती है।
    उदाहरण के लिए: कई ऐसे देश जो 1951 शरणार्थी सम्मेलन के हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं, उनके पास व्यापक कानूनी संरचना का अभाव  है, जिससे शरणार्थी महिलाओं को औपचारिक सुरक्षा नहीं मिलती एवं  उनके शोषण का जोखिम बढ़ जाता है।
  • सीमित शिक्षा एवं कौशल विकास: विस्थापन के कारण शरणार्थी महिलाओं की शिक्षा एवं  कौशल विकास में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर सीमित हो जाते हैं
    उदाहरण के लिए: बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रोहिंग्या महिलाओं को शिक्षा तक सीमित पहुंच प्राप्त है, जिससे गरीबी एवं  निर्भरता का चक्र बना रहता है।
  • अपर्याप्त आश्रय और रहने की स्थितियाँ: शरणार्थी शिविरों में अत्यधिक भीड़ तथा  निवास  के लिए असुरक्षित स्थितियाँ महिलाओं के लिए जोखिम बढ़ा देती हैं।
    उदाहरण के लिए: बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में, अपर्याप्त आश्रय रोहिंग्या महिलाओं को यौन हिंसा एवं  स्वास्थ्य खतरों के प्रति संवेदनशील बनाता है, जिससे  उनकी स्थिति और भी दयनीय हो जाती है।
  • मानवीय सहायता पर निर्भरता: शरणार्थी महिलाएं अत्यधिक मानवीय सहायता पर निर्भर होती हैं, जो प्रायः अपर्याप्त एवं असंगत होती है ।
    उदाहरण के लिए: , लेबनान में, सीरियाई शरणार्थी महिलाएं सहायता की कमी के कारण मूलभूत आवश्यकताओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना  करती हैं,  जिससे शोषण एवं  दुर्व्यवहार के प्रति उनकी भेद्यता  बढ़ जाती है।

शरणार्थी महिलाओं की  विशिष्ट भेद्यता का समाधान  वैश्विक सहयोग पर निर्भर करता है। कानूनी संरचना को सुदृढ़  करना , शिक्षा एवं  स्वास्थ्य देखभाल तक  पहुंच बढ़ाना तथा  लिंग-संवेदनशील सहायता सुनिश्चित करना आवश्यक है।  वैश्विक कूटनीति एवं  भूराजनीति में लिंग संबंधी विचारों को एकीकृत करने वाला एक समग्र दृष्टिकोण दुनिया भर में विस्थापित महिलाओं के अधिकारों तथा  कल्याण की रक्षा करने में महत्वपूर्ण होगा।

 

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