Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. भारत की सिविल सेवा का दायरा सीमित होने के बावजूद, इसके प्रबंधन/संचालन की लागत काफी अधिक है तथा इसमें तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता का अभाव है।" इस कथन के आलोक में, भारत में व्यापक प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता की आलोचनात्मक जाँच कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए, कि भारत की सिविल सेवा का दायरा सीमित होने के बावजूद, इसकी प्रबंधन लागत काफी अधिक है तथा इसमें तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता का अभाव है।
  • भारत में व्यापक प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए।
  • आगे की राह लिखिये।

 

उत्तर:

भारत की सिविल सेवा, शासन और प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है परंतु अक्सर इसकी आलोचना इस बात के लिए की जाती है कि इसका दायरा सीमित होने के बावजूद इसकी प्रबंधन लागत बहुत अधिक है । सामान्य दृष्टिकोण, पुरानी प्रक्रियाएँ और विशेषज्ञता की कमी तेजी  से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने की इसकी क्षमता में बाधा उत्पन्न करती है । सिविल सेवा संरचना में संचालन को सुव्यवस्थित करने और दक्षता बढ़ाने के लिए व्यापक प्रशासनिक सुधार आवश्यक हैं।

भारत की सिविल सेवा की चुनौतियाँ: दायरा और विशेषज्ञता

  • कम कार्यबल के साथ उच्च लागत: अपेक्षाकृत कम कार्यबल होने के बावजूद, भारतीय सिविल सेवा वेतन, लाभ और पेंशन के संदर्भ में असंगत रूप से उच्च लागत वहन करती है। 
    • उदाहरण के लिए: सिविल सेवक भारत की आबादी का केवल 0.4% हिस्सा हैं,  परंतु उनके वेतन और पेंशन राष्ट्रीय बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  • सामान्यवादी दृष्टिकोण: भर्ती में विशेषज्ञों की तुलना में सामान्यवादियों को प्राथमिकता दी जाती है , जो सरकार की क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता को सीमित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में , जहाँ भारत वैश्विक नेतृत्व का लक्ष्य रखता है, परन्तु नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में विशेषज्ञ अधिकारियों की कमी देखी गई है।
  • संसाधन आवंटन में असंतुलन: सिविल सेवा में लिपिक कर्मचारियों की संख्या अधिक है , परंतु टेक्नोक्रेट, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और शिक्षकों की कमी है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 में, सरकारी व्यय का 50% गैर-विकासात्मक था , जो संसाधन आवंटन में अक्षमताओं को उजागर करता है।
  • वेतन असमानता: जबकि निचले स्तर के कर्मचारियों को प्रतिस्पर्धी वेतन मिलता है, उच्च स्तर के पदों पर निजी क्षेत्र की तुलना में बहुत कम वेतन मिलता है, जिससे प्रतिभाओं को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में मुख्य सचिव का वेतन निजी क्षेत्र के समान पदों की तुलना में काफी कम है।
  • अपर्याप्त प्रशिक्षण: सिविल सेवकों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण अक्सर तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था की गतिशील आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होता। 
    • उदाहरण के लिए: रक्षा मंत्रालय में सिविल सेवकों को नई खरीद तकनीकों पर अपर्याप्त प्रशिक्षण के कारण रक्षा खरीद प्रक्रिया में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

व्यापक प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता

  • सामान्यवादी दृष्टिकोण: सिविल सेवकों को अक्सर विशेष ज्ञान के बजाय सामान्य प्रशासनिक कौशल के आधार पर नियुक्त किया जाता है , जिससे तकनीकी क्षेत्रों में उनकी प्रभावशीलता सीमित हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: IAS अधिकारी बिना किसी मेडिकल पृष्ठभूमि के स्वास्थ्य क्षेत्रों की देखरेख करते हैं , जिससे कुशल स्वास्थ्य सेवा नीति कार्यान्वयन में बाधा आती है।
  • प्रशासनिक लालफीताशाही: अत्यधिक प्रक्रियाएं और निर्णय लेने की धीमी प्रक्रिया शासन में देरी और अकुशलता उत्पन्न करती है।
  • प्रदर्शन-आधारित पदोन्नति का अभाव: पदोन्नति मुख्यतः वरिष्ठता-आधारित होती है, जो सिविल सेवाओं में योग्यता और दक्षता को हतोत्साहित करती है। 
    • उदाहरण के लिए: द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने प्रदर्शन-आधारित पदोन्नति की सिफारिश की थी, लेकिन कई विभागों में इसे लागू नहीं किया गया।
  • जवाबदेही के मुद्दे: सिविल सेवक अक्सर सीमित जवाबदेही के साथ काम करते हैं, जिससे अकुशलता और देरी होती है। 
    • उदाहरण के लिए: CAG रिपोर्ट ने स्थानीय स्तर पर खराब जवाबदेही के कारण MGNREGA के कार्यान्वयन में अकुशलता को उजागर किया।
  • पुरानी प्रक्रियाएँ: कई सरकारी विभाग अभी भी पुरानी प्रक्रियाओं पर निर्भर हैं, जो प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति को धीमा कर देती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना ( NeGP ) जैसी पहलों के माध्यम से ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद सरकारी कार्यालयों में भौतिक फाइलों का उपयोग जारी है।

आगे की राह

  • प्रदर्शन-आधारित पदोन्नति: पदोन्नति के लिए वरिष्ठता-आधारित मानदंडों के बजाय योग्यता-आधारित प्रणाली लागू करने से दक्षता और जवाबदेही में सुधार लाया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने प्रदर्शन-आधारित पदोन्नति की सिफारिश की है।
  • प्रशासनिक विशेषज्ञता: बेहतर प्रशासन और नीतिगत नतीजों के लिए सिविल सेवा के उच्च स्तरों पर क्षेत्र-विशिष्ट विशेषज्ञों को शामिल करना आवश्यक है। 
    • उदाहरण के लिए: दक्षिण कोरिया और सिंगापुर ने नीति कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए अपनी सिविल सेवा में विशेषज्ञों को सफलतापूर्वक शामिल किया है।
  • विशेषज्ञता के लिए लेटरल एंट्री: निजी क्षेत्रों और अकादमिक क्षेत्रों से पेशेवरों को विशिष्ट भूमिकाओं में लेटरल एंट्री की अनुमति देने से सरकारी एजेंसियों में विशेषज्ञता की कमी को पूरा किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: नीति आयोग में हाल ही में  लेटरल एंट्री के माध्यम से हुई नियुक्तियों ने नीति निर्माण में नए दृष्टिकोण लाए हैं।
  • वेतन और लाभों का पुनर्गठन: उच्च स्तर पर प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए वेतनमानों को संशोधित करना और निचले स्तर पर राजकोषीय बोझ को कम करना संरचना को संतुलित कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: सातवें वेतन आयोग ने असमानताओं को कम करने और निजी क्षेत्र के साथ समानता लाने के लिए वेतन पुनर्गठन की सिफारिश की है।
  • प्रशासन का विकेंद्रीकरण : स्थानीय स्तर पर व्यय बढ़ाने और स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने से सार्वजनिक सेवा वितरण अधिक कुशल और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के सरकारी व्यय का केवल 4% स्थानीय स्तर पर होता है, जबकि जर्मनी जैसे विकसित देशों में यह प्रतिशत अधिक है।
  • प्रशासनिक प्रथाओं का आधुनिकीकरण: डिजिटल गवर्नेंस टूल का उपयोग करके प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और अनावश्यक प्रक्रियाओं को हटाना, दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ा सकता है
    • उदाहरण के लिए: डिजिटल इंडिया जैसी पहल का उद्देश्य प्रशासन को सरल बनाना और प्रशासनिक विलम्ब को कम करना है।
  • स्थानीय शासन को मजबूत करना: स्थानीय सरकारों को अधिक स्वायत्तता और संसाधनों के साथ सशक्त बनाने से जमीनी स्तर पर अधिक प्रभावी प्रशासन संभव होगा। 
    • उदाहरण के लिए: यदि पंचायती राज संस्थाओं को पर्याप्त संसाधन और निर्णय लेने की शक्ति दी जाए तो वे क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं
  • नीति-उन्मुख प्रशिक्षण: नीति विश्लेषण, निर्णय लेने और विशेष कौशल में सिविल सेवकों के लिए निरंतर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आवश्यक हैं। 
    • उदाहरण के लिए: लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) सिविल सेवकों के बीच नीति-निर्माण कौशल बढ़ाने पर केंद्रित पाठ्यक्रम प्रदान करती है।

वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को व्यापक प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता है। विशेषज्ञता, लेटरल एंट्री, प्रदर्शन-आधारित पदोन्नति और iGOT कर्मयोगी के माध्यम से निरंतर प्रशिक्षण एक आधुनिक, कुशल प्रशासनिक व्यवस्था का निर्माण संभव हो सकेगा जो तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिए तैयार होगी।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.