Q. ‘नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार’ (NISAR) मिशन पृथ्वी अवलोकन प्रौद्योगिकी और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। विभिन्न क्षेत्रों में NISAR के महत्त्व पर चर्चा कीजिए। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत से इसरो की क्षमताओं और प्राथमिकताओं के विकास को कैसे दर्शाता है? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • विभिन्न क्षेत्रों में NISAR के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
  • स्थापना के बाद से ISRO की क्षमता और प्राथमिकता में विकास।

उत्तर

1.5 अरब डॉलर मूल्य का नासा–इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) मिशन दोहरी आवृत्ति के L‑बैंड (NASA) और S‑बैंड (ISRO) रडार को जोड़ता है, जो सेंटीमीटर‑स्तरीय पृथ्वी की निगरानी, उन्नत प्रौद्योगिकी, ओपेन एक्सेस डेटा और अभूतपूर्व भारत‑अमेरिका सहयोग के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं से लेकर जलवायु परिवर्तन तक वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने का लक्ष्य रखता है।

विभिन्न क्षेत्रों में NISAR का महत्त्व 

  • उन्नत पृथ्वी अवलोकन क्षमता: पहला दोहरी आवृत्ति वाला SAR उपग्रह (नासा से L-बैंड, इसरो से L-बैंड) सटीक पर्यावरणीय निगरानी के लिए प्रत्येक 12 दिनों में सेंटीमीटर स्तर के वैश्विक सतह परिवर्तनों का पता लगाता है।
  • आपदा एवं खतरे की निगरानी: भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और चक्रवात जैसे प्राकृतिक खतरों की पूर्व चेतावनी तथा आकलन के लिए महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है, जिससे आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रतिक्रिया योजना को मजबूत किया जा सके।
  • जलवायु एवं पारिस्थितिकी अध्ययन: बायोमास, हिम द्रव्यमान परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि और भूजल की कमी की निगरानी करने में सक्षम बनाता है, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन मॉडल और टिकाऊ संसाधन प्रबंधन में योगदान देता है।
  • कृषि एवं जल संसाधन प्रबंधन: फसल स्वास्थ्य निगरानी, मृदा आर्द्रता आकलन और सिंचाई योजना में सहायता करता है, जो विशेषकर भारत जैसी मानसून पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए मॉडल: यह दर्शाता है कि कैसे साझा लागत, पूरक विशेषज्ञता और साझा उद्देश्य लागत प्रभावी ढंग से अत्याधुनिक अंतरिक्ष परिसंपत्तियाँ तैयार कर सकते हैं, जो भविष्य की अंतरिक्ष साझेदारियों के लिए एक खाका है।

ISRO की क्षमता और प्राथमिकता विकास का प्रतिबिंब

  • सामाजिक अनुप्रयोगों से वैश्विक विज्ञान तक: ग्रामीण शिक्षा के लिए वर्ष 1975 में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) जैसी प्रारंभिक परियोजनाओं से लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रासंगिकता वाले अत्याधुनिक पृथ्वी प्रणाली विज्ञान मिशनों तक का संक्रमण।
  • स्वदेशी रडार इमेजिंग में निपुणता: 1980 के दशक में हवाई SAR परीक्षणों से लेकर भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित रडार इमेजिंग उपग्रह RISAT-1 तक की प्रगति, जो सभी मौसमों व डे-नाइट इमेजिंग में तकनीकी परिपक्वता को दर्शाती है।
  • सहयोगात्मक शक्ति के साथ सामरिक स्वायत्तता: ISRO द्वारा S-बैंड रडार, स्पेसक्राफ्ट बस और GSLV प्रक्षेपण उपलब्ध कराना यह दर्शाता है कि यह उच्च स्तरीय सहयोगात्मक कार्यक्रम में मिशन-महत्त्वपूर्ण घटक प्रदान करने की क्षमता रखता है।
  • संचालन में बहुपरता: उन्नत पेलोड को डिजाइन करने, एकीकृत करने और लॉन्च करने की क्षमता जो वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के साथ संरेखित करते हुए कृषि, आपदा प्रबंधन, जल संसाधन जैसे कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देती है।
  • वैश्विक नेतृत्व के अनुरूप दृष्टिकोण: “स्पेस फॉर सोसाइटल नीड्स” की परिकल्पना से निकलकर सामाजिक सेवा, वाणिज्यिक क्षमता और वैज्ञानिक उत्कृष्टता को एकीकृत करने वाले संतुलित दृष्टिकोण की ओर बढ़ना, भारत को जटिल, उच्च-दांव वाले अंतरिक्ष मिशनों में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करता है।

निष्कर्ष

NISAR एक रणनीतिक साझेदारी का उदाहरण है, जहाँ NASA की अन्वेषण विशेषज्ञता और ISRO का सामाजिक फोकस मिलकर ऐसे परिणाम प्राप्त करते हैं, जो अकेले नहीं प्राप्त किए जा सकते थे। यह दर्शाता है कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए प्रतिस्पर्द्धा नहीं बल्कि सहयोग ही मूल मंत्र है।

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