Q. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आधुनिक संचार और लोकतंत्र के लिए आवश्यक होते हुए भी एकाधिकार नियंत्रण, विषय-वस्तु मॉडरेशन और राजनीतिक हेरफेर की चुनौतियों का सामना करते हैं। डिजिटल युग में लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए मुक्त भाषण और विनियमित विषय-वस्तु के बीच आवश्यक संतुलन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग 

  • आधुनिक संचार और लोकतंत्र में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।
  • डिजिटल युग में लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए वाक् स्वतंत्रता और विनियमित कंटेंट के बीच आवश्यक संतुलन के लाभों का विश्लेषण कीजिए।
  • डिजिटल युग में वाक् स्वतंत्रता और कंटेंट विनियमन के बीच संतुलन बनाने की कमियों का विश्लेषण कीजिए ।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

जनवरी 2024 तक , भारत की जनसांख्यिकी का 35% हिस्सा, ऐक्टिव सोशल मीडिया यूजर थे। यह पर्याप्त यूजर बेस जनमत, राजनीतिक चर्चा और आर्थिक गतिविधियों को आकार देने में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। परिणामस्वरूप, जवाबदेही के साथ  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करने के लिए प्रभावी विनियमन आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये प्लेटफॉर्म भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक सद्भाव में सकारात्मक योगदान दें।

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आधुनिक संचार और लोकतंत्र के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भूमिका

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, संचार को लोकतांत्रिक बनाते हैं , जिससे व्यक्ति परंपरागत ‘गेटकीपिंग’ के बिना विविध राय व्यक्त कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: अरब स्प्रिंग (2010)  विद्रोहों ने दर्शाया कि कैसे ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म ने दमनकारी शासन में नागरिकों को विरोध प्रदर्शन आयोजित करने और राजनीतिक परिवर्तन की माँग करने के लिए सशक्त बनाया।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना: सरकारें और संगठन सूचना साझा करने, जवाबदेही और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान रियलटाइम अपडेट के साथ गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए ट्विटर का उपयोग किया।
  • सामाजिक सक्रियता को बढ़ावा देना: सोशल मीडिया सामूहिक कार्रवाई को सक्षम बनाता है और न्याय व समानता की वकालत करने वालों की मदद करता है। 
    • उदाहरण के लिए: सोशल प्लेटफार्म पर मी टू मूवमेंट ने प्रणालीगत उत्पीड़न को उजागर किया, जिससे महत्वपूर्ण वैश्विक सुधार हुए।
  • राजनीतिक लामबंदी को मजबूत करना: सोशल मीडिया नेताओं और नागरिकों को जोड़कर और लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ाकर अभियानों में सहायता करता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के वर्ष 2014 के आम चुनावों के दौरान, राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लामबंद करने के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप का प्रभावी ढंग से उपयोग किया ।
  • वैश्विक संपर्क को बढ़ावा देना: ये प्लेटफॉर्म, भौगोलिक विभाजन को कम करते हैं, जिससे अंतर-सांस्कृतिक संवाद और वैश्विक सहयोग संभव होता है। 
    • उदाहरण के लिए: संयुक्त राष्ट्र का #GlobalGoals अभियान जागरूकता बढ़ाने और सतत विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सम्मुख आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ

  • एकाधिकार नियंत्रण: सोशल मीडिया पर कुछ बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व, प्लेटफॉर्म पर प्रतिस्पर्धा, नवाचार और दृष्टिकोण की विविधता को प्रतिबंधित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: फेसबुक द्वारा इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के अधिग्रहण किये जाने से सोशल मीडिया बाजारों पर एकाधिकारवादी प्रभाव उत्पन्न होने की चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।
  • कंटेंट मॉडरेशन के मुद्दे: प्लेटफॉर्म, हानिकारक कंटेंट को प्रभावी ढंग से मॉडरेट करने के साथ-साथ वाक् स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में संघर्ष करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: फेसबुक को म्यांमार में घृणास्पद भाषण को हटाने में विफल रहने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा, जिससे रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा बढ़ गई ।
  • राजनीतिक हेरफेर: सोशल मीडिया का इस्तेमाल दुष्प्रचार फैलाने, जनमत में हेरफेर करने या चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल (2018) ने खुलासा किया कि कैसे कई देशों में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए यूजर डेटा का दुरुपयोग किया गया था।
  • डेटा गोपनीयता उल्लंघन: यूजर डेटा का गलत तरीके से इस्तेमाल करने से भरोसा कम होता है और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ बढ़ती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: व्हाट्सएप गोपनीयता नीति विवाद ने फेसबुक के साथ डेटा साझा करने को लेकर आशंकाओं को उजागर किया।
  • एल्गोरिदम पूर्वाग्रह: एल्गोरिदम में यूजर एन्गेजमेंट को प्राथमिकता दी जाती हैं, जिससे इको चैम्बर्स बनते हैं जो उपयोगकर्ताओं को ध्रुवीकृत करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: यूट्यूब की रिकमेंडेशन प्रणाली पर कट्टरपंथी कंटेंट को बढ़ावा देने तथा सामाजिक विभाजन को गहरा करने का आरोप लगाया गया है।
  • साइबर बदमाशी और उत्पीड़न: गैर विनियमित स्थल अक्सर दुर्व्यवहार को बढ़ावा देते हैं, जिससे व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार महामारी के बाद भारत में साइबर स्टॉकिंग और साइबर बदमाशी के मामलों में 36% की वृद्धि हुई है।

वाक् स्वतंत्रता और विनियमित कंटेंट के बीच संतुलन के लाभ

  • गलत सूचना को कम करना: संतुलित विनियमन तथ्यात्मक अखंडता को बनाए रखते हुए फर्जी खबरों को हटा देता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के चुनावों के दौरान ALT न्यूज जैसी तथ्य-जाँच पहलों ने गलत सूचनाओं पर अंकुश लगाया, तथा सूचित मतदान को बढ़ावा दिया।
  • सुभेद्य समुदायों की सुरक्षा: कंटेंट मॉडरेशन अल्पसंख्यकों को नफरत भरे भाषण और ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाता है। 
  • उदाहरण के लिए: प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) ने घृणास्पद भाषण संबंधी नीतियों को अद्यतन किया, जिसका उद्देश्य LGBTQIA+ उपयोगकर्ताओं को लक्षित दुर्व्यवहार से बचाना था ।
  • सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना: विनियमन, हिंसा और अवैध गतिविधियों को भड़काने से रोकता है। 
    • उदाहरण के लिए: फेसबुक ने आतंकवादी प्रचार को रोकने और चरमपंथी सामग्री को हटाने के लिए अधिकारियों के साथ साझेदारी की।
  • जिम्मेदार संचार को प्रोत्साहित करना: पारदर्शी मॉडरेशन हानिकारक बयानबाजी को कम करते हुए रचनात्मक बहस को प्रोत्साहित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ का डिजिटल सेवा अधिनियम (2022) प्लेटफॉर्म को कंटेंट मॉडरेशन प्रथाओं का खुलासा करने के लिए बाध्य करता है।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण: संतुलित विनियमन, सेंसरशिप से बचते हुए विविध दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के आईटी नियम (2021) उपयोगकर्ता जागरूकता और सुरक्षित ऑनलाइन इंटरैक्शन को बढ़ावा देते हैं।

वाक् स्वतंत्रता और कंटेंट विनियमन के बीच संतुलन बनाने की कमियां

  • सेंसरशिप का जोखिम: अत्यधिक विनियमन असहमति का दमन कर  सकता है और वैध अभिव्यक्ति को सीमित कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: चीन के कंटेंट प्रतिबंधों की, अक्सर स्वतंत्र अभिव्यक्ति का दमन करने तथा विविध दृष्टिकोणों तक पहुँच को सीमित करने के लिए आलोचना की जाती रही है।
  • मानकों में अस्पष्टता: अस्पष्ट दिशा-निर्देश असंगत प्रवर्तन को जन्म देते हैं, जिससे विश्वास कम होता है। 
    • उदाहरण के लिए: Meta को वर्ष 2021 के गाजा संघर्ष के दौरान फिलिस्तीनी सामग्री को अनुपातहीन रूप से हटाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा।
  • सक्रियता का दमन: अत्यधिक विनियमन जमीनी स्तर के आंदोलनों और सामूहिक कार्रवाई में बाधा उत्पन्न कर सकता है। 
  • उदाहरण के लिए: वर्ष 2021 में नाइजीरिया के अस्थायी ट्विटर प्रतिबंध ने पुलिस सुधार के लिए ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन को बाधित कर दिया।
  • छोटे क्रिएटर्स पर आर्थिक प्रभाव: कड़े नियम अक्सर इन प्लेटफॉर्म पर निर्भर स्वतंत्र क्रिएटर्स को नुकसान पहुंचाते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: YouTube की विमुद्रीकरण नीतियों ने छोटे चैनलों को प्रभावित किया, जो अस्पष्ट सामग्री दिशानिर्देशों का पालन करने में संघर्ष कर रहे थे।
  • लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा: पक्षपातपूर्ण या अपारदर्शी मॉडरेशन प्लेटफॉर्म और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास को खत्म कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिकी चुनावों (2020) के दौरान सोशल मीडिया पर पक्षपात के आरोपों ने निष्पक्ष लोकतांत्रिक भागीदारी को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

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आगे की राह 

  • पारदर्शी एल्गोरिदम: प्लेटफॉर्म को यह बताना होगा कि उपयोगकर्ता का भरोसा बनाने के लिए कंटेंट को कैसे मॉडरेट बनाया जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ का डिजिटल सेवा अधिनियम (2022), सोशल मीडिया कंपनियों से एल्गोरिदम संबंधी पारदर्शिता की माँग करता है।
  • फैक्टचेकिंग को मजबूत करना : स्वतंत्र तथ्य-जाँचकर्ताओं के साथ साझेदारी करके गलत सूचना के प्रसार को रोका जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: फेसबुक, भारत में कंटेंट सत्यापन के लिए बूम लाइव जैसे संगठनों के साथ सहयोग करता है ।
  • डिजिटल साक्षरता में सुधार: शिक्षा कार्यक्रम उपयोगकर्ताओं को फर्जी खबरों की पहचान करने और जिम्मेदारी से जुड़ने में सक्षम बना सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत का साइबर स्वच्छता केंद्र डिजिटल स्वच्छता और जागरूकता को बढ़ावा देता है।
  • AI मॉडरेशन टूल्स का विकास: उन्नत AI, स्वतंत्र अभिव्यक्ति का सम्मान करते हुए हानिकारक सामग्री का तेजी से पता लगा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) नफरत फैलाने वाले भाषण और हानिकारक पोस्ट को सक्रिय रूप से हटाने के लिए AI का उपयोग करता है।
  • वैश्विक विनियामक ढाँचे: सहयोगात्मक अंतर्राष्ट्रीय नीतियाँ, एकरुपीय कंटेंट मॉडरेशन मानकों को सुनिश्चित कर सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: संयुक्त राष्ट्र का इंटरनेट गवर्नेंस फोरम वैश्विक इंटरनेट विनियमन ढाँचों की सिफारिश करता है।

डिजिटल युग में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कंटेंट विनियमन के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। यूरोपीय संघ के डिजिटल सेवा अधिनियम, 2022 जैसी वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने से सुरक्षित, समावेशी और पारदर्शी ऑनलाइन स्थान सुनिश्चित होते हैं। पारदर्शिता, जवाबदेही और सहयोग को बढ़ावा देने से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को, अपने नुकसान को कम करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करने में मदद मिलेगी।

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