प्रश्न की मुख्य माँग
- चर्चा कीजिए कि कुशल शहरी प्रशासन बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वित्तीय निवेश जितना ही महत्वपूर्ण क्यों है।
- भारत में नगरपालिका सरकारों को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक संरचनात्मक सुधारों की पहचान कीजिए।
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उत्तर
कुशल शहरी प्रशासन बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वित्तीय निवेश के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 70% योगदान देने के बावजूद, शहरी क्षेत्रों को नगरपालिका सरकारों की सीमित शक्तियों, खंडित जिम्मेदारियों और वित्तीय बाधाओं के कारण शासन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को मजबूत करने के लिए लक्षित संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है ।
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कुशल शहरी प्रशासन, बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वित्तीय निवेश जितना ही महत्वपूर्ण है
- इष्टतम संसाधन उपयोग: शासन यह सुनिश्चित करता है, कि वित्तीय निवेश का उपयोग करके बिना किसी देरी या अक्षमता के प्रभावशाली तरीके से परियोजनाओं को पूरा किया जाये।
- उदाहरण के लिए: बेंगलुरु की जल आपूर्ति परियोजनाओं में नगरपालिका और राज्य प्राधिकरणों के बीच कमजोर समन्वय के कारण देरी हुई है।
- नागरिक-केंद्रित योजना: सशक्त नगरपालिकाएँ स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर बुनियादी ढाँचा तैयार कर सकती हैं।
- उदाहरण के लिए: इंदौर का नगरपालिका-नेतृत्व वाला अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम नागरिक-केंद्रित शासन का एक मॉडल बन गया है।
- सतत शहरी विकास :यह सशक्त शासन, बुनियादी ढाँचे के विस्तार और पर्यावरणीय संधारणीयता के बीच संतुलन बनाता है ।
- उदाहरण के लिए: चेन्नई के शहरी बाढ़ के मुद्दे पारिस्थितिकीय विचारों पर ध्यान केंद्रित करने वाले शासन की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
- प्रभावी नीति कार्यान्वयन: शहरी प्रशासन सुनिश्चित करता है कि अवस परियोजनाएँ, दीर्घकालिक संधारणीयता के लक्ष्यों के साथ संरेखित हों और कुशलतापूर्वक क्रियान्वित हों।
- उदाहरण के लिए: बैंगलोर स्मार्ट सिटी परियोजना ने शहरी गतिशीलता और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें समन्वित शासन प्रयासों से संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित हुआ।
- नागरिक भागीदारी: निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों को शामिल करने से बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ अधिक प्रासंगिक और प्रभावशाली बन जाती हैं।
- उदाहरण के लिए: मुंबई मेट्रो परियोजना में भूमि अधिग्रहण और परियोजना संरेखण के संबंध में चिंताओं को दूर करने के लिए परामर्श के माध्यम से जनता की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई, जिससे सुचारू कार्यान्वयन में मदद मिली।
- एजेंसियों के बीच समन्वय: शहरी प्रशासन,सही समय पर और प्रभावी परियोजना कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सरकार और एजेंसियों के विभिन्न स्तरों के बीच समन्वय करता है।
- उदाहरण के लिए: चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी परियोजना में, स्थानीय अधिकारियों, राज्य सरकारों और केंद्रीय एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय ने सड़कों और सार्वजनिक स्थानों जैसे बुनियादी ढाँचे में सुधार के सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया।
संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता
- शक्तियों का विकेंद्रीकरण: निर्णय लेने और परियोजना निष्पादन में अधिक स्वायत्तता के साथ, शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना चाहिये।
- उदाहरण के लिए: नगरपालिका के कार्यों को विवेकाधीन के बजाय अनिवार्य बनाने के लिए 74वें संविधान संशोधन अधिनियम में संशोधन करना।
- राजकोषीय सशक्तिकरण: संपत्ति कर , उपयोगकर्ता शुल्क और नगरपालिका बांड के माध्यम से स्थानीय राजस्व सृजन पर ULBs को अधिक नियंत्रण प्रदान करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: अहमदाबाद ने शहरी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए धन जुटाने हेतु सफलतापूर्वक नगरपालिका बांड जारी किए, जिससे शहर को सार्वजनिक सेवाओं और सुविधाओं में सुधार करने में मदद मिली।
- क्षमता निर्माण: शहरी स्थानीय निकायों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए उनके भीतर तकनीकी और प्रबंधकीय विशेषज्ञता को मजबूत करना।
- उदाहरण के लिए: AMRUT (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों के कौशल को बढ़ाना, उन्हें बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और प्रबंधित करने के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों से लैस करना है।
- एकीकृत शहरी नियोजन : राज्य, केंद्र और नगर निगम प्राधिकरणों के बीच जिम्मेदारियों के विखंडन की समस्या का समाधान करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: समन्वित विकास के लिए संविधान द्वारा अनिवार्य महानगर नियोजन समितियों का निर्माण करना।
- प्रौद्योगिकी-संचालित शासन : पारदर्शिता और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए ई-गवर्नेंस जैसे स्मार्ट समाधानों को बढ़ावा देना।
- उदाहरण के लिए: पुणे नगर निगम द्वारा GIS-आधारित संपत्ति कर प्रणाली को अपनाने से राजस्व संग्रह में सुधार हुआ।
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शहरी बुनियादी ढाँचे में वित्तीय निवेश को पूरक बनाने के लिए संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से नगरपालिका सरकारों को सशक्त बनाना आवश्यक है। विकेंद्रीकरण, वित्तीय स्वायत्तता और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने से ULBs को सतत और समावेशी शहरी विकास के इंजन में बदला जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत के शहर भविष्य के लिए तैयार हैं ।
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