Q. आयुष्मान भारत PM-JAY का विस्तार 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों तक करना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए भारत के दृष्टिकोण में प्रगति और सीमाओं दोनों को उजागर करता है। व्यापक स्वास्थ्य सेवा पहुँच प्राप्त करने में PM-JAY जैसी बीमा-आधारित योजनाओं की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • व्यापक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच प्राप्त करने में बीमा-आधारित योजनाओं के लाभों का परीक्षण कीजिए।
  • व्यापक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच प्राप्त करने में बीमा-आधारित योजनाओं की चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • आगे की राह लिखिये। 

 

उत्तर:

आयुष्मान भारत PM-JAY का विस्तार 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों तक करना भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस कदम का उद्देश्य एक ऐसे आयु वर्ग की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करना है जो अक्सर उच्च चिकित्सा लागतों से परेशान होते हैं, विशेष रूप से ऐसे देश में जहाँ एकल परिवार विकसित हो रहे हैं। हालाँकि यह सामाजिक सुरक्षा में प्रगति को दर्शाता है, लेकिन बीमा पहुँच और सेवा गुणवत्ता जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। योजना का विस्तार, व्यापक कवरेज प्राप्त करने में बीमा-आधारित स्वास्थ्य सेवा मॉडल के लाभों और सीमाओं दोनों को उजागर करता है।

व्यापक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच प्राप्त करने में बीमा-आधारित योजनाओं के लाभ

  • सुभेद्य आबादी के लिए वित्तीय सुरक्षा: PM-JAY जैसी बीमा-आधारित योजनाएँ महत्त्वपूर्ण वित्तीय राहत प्रदान करती हैं, जो प्रति परिवार सालाना 5 लाख रुपये तक के अस्पताल में भर्ती होने के खर्च को कवर करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: विस्तारित कवरेज से 4.5 करोड़ परिवारों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे सुभेद्य समुदायों का स्वास्थ्य सेवा व्यय कम होगा।
  • कैशलेस उपचार तक पहुँच: PM-JAY की कैशलेस पहुँच सुविधा यह सुनिश्चित करती है कि लाभार्थियों को बिना किसी अग्रिम भुगतान के चिकित्सा उपचार मिले, जिससे स्वास्थ्य सेवा पहुँच में वृद्धि होती है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण रियलटाइम में क्लेम सेटलमेंट की सुविधा प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि अस्पतालों को सीधे प्रतिपूर्ति की जाए, जिससे कम आय वाले परिवारों को लाभ मिलता है।
  • द्वितीयक और तृतीयक देखभाल तक पहुँच में वृद्धि: बीमा-आधारित योजनाएँ द्वितीयक और तृतीयक देखभाल प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं जिसमें सर्जरी, निदान और गंभीर उपचार शामिल हैं, जो अक्सर निम्न-आय वर्ग के लिए वहनीय नहीं होते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: PM-JAY के तहत, 23,000 से अधिक सार्वजनिक और निजी अस्पताल सूचीबद्ध हैं, जो कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज प्रदान करते हैं ।
  • बेहतर स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना: सेवाओं की बढ़ती माँग के साथ, बीमा योजनाएँ स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना के विकास को बढ़ावा देती हैं, विशेष रूप से ग्रामीण और कम सुविधा वाले क्षेत्रों में
  • समतापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल पहुँच: PM-JAY यह सुनिश्चित करता है कि सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों को अन्य लोगों के समान ही गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्राप्त हो, जिससे स्वास्थ्य देखभाल असमानताओं में अंतर को कम किया जा सके।

व्यापक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच प्राप्त करने में बीमा-आधारित योजनाओं की चुनौतियाँ

  • सीमित कवरेज क्षेत्र: हालाँकि यह योजना अस्पताल में भर्ती होने के खर्च को कवर करती है, लेकिन यह बाह्य रोगी देखभाल तक विस्तारित नहीं है, जो स्वास्थ्य देखभाल व्यय का एक बड़ा हिस्सा है।
  • कम जागरूकता और पहुँच: ग्रामीण क्षेत्रों में, कई पात्र लाभार्थी योजना के अंतर्गत अपने अधिकारों से अनभिज्ञ हैं, जिसके परिणामस्वरूप नामांकन और उपयोग दर कम है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर अत्यधिक बोझ: बीमा योजनाओं के माध्यम से आने वाले रोगियों की संख्या सार्वजनिक अस्पतालों पर बोझ बढ़ा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतीक्षा समय अधिक हो सकता है और सेवा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है
  • धोखाधड़ी और दुरुपयोग: बीमा-आधारित योजनाएँ, धोखाधड़ी के दावों और दुरुपयोग के प्रति संवेदनशील होती हैं जहाँ अस्पताल उपचार की लागत बढ़ा देते हैं या दावों को अधिकतम करने के लिए अनावश्यक सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • देखभाल की असंगत गुणवत्ता: हालाँकि कई निजी अस्पताल सूचीबद्ध हैं परंतु विभिन्न अस्पतालों में देखभाल की गुणवत्ता अलग-अलग है, कुछ अस्पताल कम प्रतिपूर्ति दरों के कारण प्रभावी उपचार प्रदान नहीं करते हैं।

आगे की राह 

  • आउटपेशेंट केयर का विस्तार: आउटपेशेंट सेवाओं और निवारक स्वास्थ्य सेवा को शामिल करने के लिए बीमा कवरेज का विस्तार करने से समग्र स्वास्थ्य सेवा लागत कम हो सकती है और बेहतर स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित हो सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: PM-JAY के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को एकीकृत करने से उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से जूझ रहे परिवारों पर वित्तीय बोझ कम हो सकता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मजबूत करना: सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ाने से सभी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर कवरेज और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार के लिए वंचित क्षेत्रों में निजी अस्पतालों की भागीदारी को बढ़ावा दे सकता है।
  • जागरूकता अभियान को बढ़ावा देना: जमीनी स्तर पर व्यापक जागरूकता अभियान यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अधिक से अधिक लाभार्थी अपने अधिकारों और उन्हें प्राप्त करने के तरीके के बारे में जागरूक हों। 
    • उदाहरण के लिए: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने के लिए स्थानीय सरकारों के साथ भागीदारी कर सकता है, जिससे नामांकन में सुधार हो सके।
  • निगरानी और लेखा परीक्षा तंत्र: सख्त निगरानी तंत्र लागू करने से योजना का दुरुपयोग रोका जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि लाभार्थियों को वास्तविक देखभाल मिले। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए बीमा दावों की रियलटाइम लेखा परीक्षा के लिए ब्लॉकचेन-आधारित तकनीक शुरू कर सकता है ।
  • गुणवत्ता आश्वासन पर ध्यान देना: सूचीबद्ध अस्पतालों का नियमित मूल्यांकन यह सुनिश्चित कर सकता है कि लाभार्थियों को देश भर में उच्च-गुणवत्ता वाली देखभाल मिले, जिससे सिस्टम में विश्वास बढ़े। 
    • उदाहरण के लिए: भारतीय गुणवत्ता परिषद, PM -JAY के तहत अस्पतालों के लिए एक मानकीकृत मान्यता प्रक्रिया विकसित कर सकती है, जिससे एक समान देखभाल मानक सुनिश्चित हो सके।

आयुष्मान भारत PM-JAY का विस्तार वरिष्ठ नागरिकों तक करना, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में एक सराहनीय कदम है। इस योजना की सफलता इसकी चुनौतियों जैसे कवरेज सीमाएँ, जागरूकता और देखभाल की गुणवत्ता को संबोधित करने पर निर्भर करेगी। यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली भविष्य की आवश्यकताओं के लिए तैयार हो, सभी के लिए व्यापक स्वास्थ्य सेवा पहुँच प्राप्त करने हेतु प्राथमिक देखभाल एकीकरण, मजबूत निगरानी और गुणवत्ता आश्वासन सहित एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है।

 

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