Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. वायनाड त्रासदी ,पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सतत विकास की आवश्यकता को रेखांकित करती है। पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (WGEEP) की सिफारिशों और ऐसी आपदाओं को रोकने में उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए। (15 अंक,250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग:

  • यह चर्चा कीजिये कि किस प्रकार वायनाड त्रासदी ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सतत विकास की आवश्यकता को उजागर किया है।
  • पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (WGEEP) की सिफारिशों पर चर्चा कीजिये।
  • ऐसी आपदाओं को रोकने में सिफारिशों की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये।

 

उत्तर:

वायनाड में हुए भूस्खलन के कारण जान-माल का काफी नुकसान हुआ है, जो पश्चिमी घाट जैसे पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सतत विकास की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाता है। यह त्रासदी पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (WGEEP) की सिफारिशों का पालन करने के महत्व को रेखांकित करती है, जिसने ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए सख्त पर्यावरणीय नियमों और सतत भूमिउपयोग गतिविधियों की वकालत की है।

वायनाड त्रासदी : पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में सतत विकास की आवश्यकता

  • वनोन्मूलन और भूमि उपयोग परिवर्तन का प्रभाव: गहरी जड़ों वाली देशी वनस्पतियों की जगह यूकेलिप्टस और चाय जैसी उथली जड़ों वाली बागानी फसलें लगाने से मिट्टी की अस्थिरता बढ़ गई, जिससे भूस्खलन हुआ।
    उदाहरण के लिए: यूकेलिप्टस के बागान बह गए, जबकि देशी फ़िकस के पेड़ बरकरार रहे, जो प्राकृतिक वनस्पति को बनाए रखने के महत्व को दर्शाता है।
  • अवैज्ञानिक बुनियादी ढांचे का विकास: वायनाड में उचित पर्यावरणीय आकलन के बिना सड़कों और इमारतों के निर्माण ने भूस्खलन के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा दिया है। पहाड़ी इलाकों में सतत निर्माण गतिविधियों के पालन की कमी ने प्राकृतिक जल निकासी प्रारूप को बाधित किया और मिट्टी की संरचना को कमजोर किया, जिससे आपदाएँ हुईं।
  • मृदा क्षरण में एकल फसल (मोनोक्रॉपिंग) की भूमिका : वायनाड में मोनोक्रॉपिंग की ओर बदलाव के कारण मिट्टी का गंभीर कटाव हुआ है और मिट्टी की उर्वरता कम हुई है। इन फसलों की जड़ें उथली होती हैं जो भारी बारिश के दौरान मिट्टी को पकड़ नहीं पाती हैं, जिससे भूस्खलन होता है।
    उदाहरण के लिए: विविध देशी जंगलों की जगह चाय और कॉफी की खेती ने इस क्षेत्र की पारिस्थितिकीय लचीलापन को कमजोर कर दिया है।
  • जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाएँ: जलवायु पैटर्न में बदलाव के कारण अप्रत्याशित वर्षा पहले से ही कमज़ोर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे भूस्खलन होता है।
    उदाहरण के लिए: यह त्रासदी पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सतत विकास योजना में जलवायु अनुकूलन रणनीतियों को एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर देती है ।
  • सामाजिकआर्थिक असमानताएं और सुभेद्यता: वायनाड त्रासदी ने धनी बागान मालिकों और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले गरीब श्रमिकों के बीच असमानता को भी उजागर किया, जिसने आपदा के मानवीय नुकसान को और बढ़ा दिया।
    उदाहरण के लिए: सतत विकास को सुरक्षित रहने की स्थिति और समान संसाधन वितरण सुनिश्चित करके इन असमानताओं को दूर करना चाहिए।

पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (डब्ल्यूजीईईपी) की सिफारिशें:

  • पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) का ज़ोनिंग: इसने पश्चिमी घाट को तीन क्षेत्रों उच्च, मध्यम और निम्न पारिस्थितिक संवेदनशीलता में वर्गीकृत करने की सिफारिश की, जिनमें से प्रत्येक के लिए विशिष्ट नियामक उपाय किए जाने चाहिए।
    उदाहरण के लिए: उच्चसंवेदनशीलता वाले क्षेत्रों में खनन, निर्माण और वनों की कटाई पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाने थे। इन क्षेत्रों का उद्देश्य जैव विविधता की रक्षा करना और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों को रोकना है।
  • सतत कृषि को बढ़ावा देना: डब्ल्यूजीईईपी ने एकलफसल वृक्षारोपण से विविध और सतत कृषि पद्धतियों की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता पर जोर दिया ।
    उदाहरण के लिए: इस पैनल ने मिट्टी की स्थिरता और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी और जैविक खेती को बढ़ावा देने की सिफारिश की।
  • पर्यावरण शासन में सामुदायिक भागीदारी: इस पैनल ने पर्यावरण संबंधी निर्णय लेने में भाग लेने के लिए ग्राम
    सभाओं और पंचायतों के माध्यम से स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए नीचे से ऊपर की ओर दृष्टिकोण की वकालत की। उदाहरण के लिए: यह समावेशी शासन मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि विकास परियोजनाएँ स्थानीय पारिस्थितिक ज्ञान और प्राथमिकताओं पर विचार करें जिससे अधिक संधारणीय और संदर्भ-संवेदनशील परिणाम प्राप्त हों।
  • बुनियादी ढांचे के विकास का विनियमन: डब्ल्यूजीईईपी ने भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के साथ पश्चिमी घाट में सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कड़े पर्यावरणीय आकलन की सिफारिश की। उदाहरण के लिए: परियोजनाओं को सतत निर्माण क्रियाकलापों का पालन करना चाहिए और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से बचना चाहिए ।
  • जल संसाधनों का संरक्षण: डब्ल्यूजीईईपी ने जल-संभर प्रबंधन और नदियों एवं आर्द्रभूमि के संरक्षण के माध्यम से जल संसाधनों के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला ।

आपदाओं की रोकथाम में सिफारिशों की प्रासंगिकता:

  • जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी ज़ोनिंग: डब्ल्यूजीईईपी की ज़ोनिंग अनुशंसाओं को लागू करने से वायनाड भूस्खलन
    जैसी आपदाओं का जोखिम काफी हद तक कम हो जाएगा। उदाहरण के लिए: उच्च-संवेदनशील क्षेत्रों में हानिकारक गतिविधियों को प्रतिबंधित करके, पारिस्थितिक स्थिरता को बनाए रखा जा सकता है, जिससे भूस्खलन और अन्य पर्यावरणीय आपदाओं की संभावना कम हो सकती है।
  • मिट्टी की स्थिरता बढ़ाने के लिए सतत कृषि: डब्ल्यूजीईईपी द्वारा अनुशंसित सतत कृषि पद्धतियों को अपनाने से मृदा स्वास्थ्य और स्थिरता में सुधार होगा, जिससे मिट्टी के कटाव और भूस्खलन के जोखिम कम होंगे।
    उदाहरण के लिए: कृषि वानिकी जैव विविधता को बनाए रखते हुए मिट्टी की संरचना को मजबूत कर सकती है, जिससे क्षेत्र चरम मौसमी घटनाओं के लिए अधिक लचीला बन सकता है।
  • स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना: पर्यावरण शासन में स्थानीय समुदायों को शामिल करके, डब्ल्यूजीईईपी की सिफारिशें यह सुनिश्चित करती हैं कि विकास पारिस्थितिक स्थिरता और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
    उदाहरण के लिए: सामुदायिक भागीदारी प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा देती है, जो पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा की रोकथाम और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • बुनियादी ढांचे के विकास का सख्त विनियमन: आपदाओं को रोकने के लिए सख्त पर्यावरणीय आकलन और सतत निर्माण पद्धतियों के लिए डब्ल्यूजीईईपी का आह्वान आवश्यक है। उदाहरण
    के लिए: इन उपायों को अपनाने से यह सुनिश्चित होगा कि बुनियादी ढांचे के विकास से पश्चिमी घाट के पारिस्थितिक संतुलन से समझौता नहीं होगा, जिससे भूस्खलन और अन्य खतरों का जोखिम कम हो जाएगा।
  • बाढ़ को रोकने के लिए जल संसाधनों का संरक्षण: डब्ल्यूजीईईपी के दिशा-निर्देशों के अनुसार जल संसाधनों का संरक्षण क्षेत्र के
    जल विज्ञान संतुलन को बनाए रखने में मदद करेगा, जिससे बाढ़ और उससे जुड़े भूस्खलन को रोका जा सकेगा। उदाहरण के लिए: प्रभावी जल-संभर प्रबंधन पश्चिमी घाट के दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जल संसाधनों के सतत उपयोग को भी सुनिश्चित करेगा।

वायनाड त्रासदी पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में असंवहनीय विकास के परिणामों की एक भयानक याद दिलाती है। पश्चिमी घाट के लिए एक लचीला और सतत भविष्य बनाने के लिए डब्ल्यूजीईईपी की सिफारिशों को लागू करना महत्वपूर्ण है। आगामी वर्षों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट की चुनौतियों से निपटने के लिए विकास और पारिस्थितिकी संरक्षण के बीच संतुलन बनाने वाला एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक होगा

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.