Q. भारत में डिजिटल धोखाधड़ी और गैर-सहमति वाले अंतरंग डीपफेक से उत्पन्न उभरते खतरों पर चर्चा कीजिए। इन नए युग के अपराधों से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन और प्रौद्योगिकी एक साथ कैसे कार्य कर सकते हैं?(10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में डिजिटल धोखाधड़ी एवं बिना सहमति के अंतरंग डीपफेक से उत्पन्न उभरते खतरों पर चर्चा कीजिए। 
  • जाँच कीजिए कि नए युग के इन अपराधों से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एवं प्रौद्योगिकी एक साथ कैसे काम कर सकते हैं।

उत्तर

डिजिटल धोखाधड़ी एवं गैर-सहमति वाले अंतरंग डीपफेक भारत में बढ़ते खतरे हैं, जो व्यक्तियों तथा संस्थानों का शोषण करने के लिए प्रौद्योगिकी में प्रगति का लाभ उठा रहे हैं। डिजिटल धोखाधड़ी में ऑनलाइन घोटाले, पहचान की चोरी एवं वित्तीय धोखाधड़ी जैसी अवैध गतिविधियां शामिल हैं, जबकि अंतरंग डीपफेक हानिकारक, गैर-सहमति वाली सामग्री बनाने के लिए इमेज  तथा वीडियो में हेरफेर करते हैं। ऐसे अपराधों की हालिया रिपोर्टों के आलोक में, रोकथाम एवं समय पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा प्रौद्योगिकी फर्मों के बीच सहयोग महत्त्वपूर्ण है।

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भारत में डिजिटल धोखाधड़ी एवं गैर-सहमति वाले अंतरंग डीपफेक द्वारा उभरते खतरे

  • संगठित डिजिटल धोखाधड़ी का प्रसार: संगठित साइबर अपराध नेटवर्क तेजी से परिष्कृत हो रहे हैं, जो व्यक्तियों को धोखा देने एवं उनका शोषण करने के लिए फिशिंग, स्मिशिंग तथा मैलवेयर जैसे उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए: हाल ही में हुए एक घोटाले में धोखेबाजों ने खुद को बैंक अधिकारी बताकर OTP हासिल कर लिए, जिससे पीड़ितों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ।
  • कमजोर दूरसंचार अवसंरचना का शोषण: साइबर अपराधी दूरसंचार प्रणालियों का शोषण करते हैं, उपयोगकर्ताओं पर स्पैम कॉल एवं संदेशों की बौछार करते हैं, अक्सर मौजूदा सुरक्षा उपायों पर भारी पड़ते हैं।
    • उदाहरण के लिए: फर्जी KYC अपडेट’ कॉल के बढ़ने से ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पीड़ित अनजाने में संवेदनशील बैंक जानकारी का खुलासा कर देते हैं।
  • धोखाधड़ी तकनीकों का निरंतर विकास: अपराधी सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने, कानून प्रवर्तन एवं साइबर सुरक्षा सुरक्षा से आगे रहने के लिए अक्सर अपने तरीकों को अपनाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: एक नए चलन में व्यक्तियों को व्यक्तिगत एवं वित्तीय जानकारी प्रकट करने के लिए बरगलाने के लिए नकली नौकरी की पेशकश का उपयोग शामिल है।
  • गैर-सहमति से डीपफेक निर्माण: AI में प्रगति अपराधियों को यथार्थवादी डीपफेक वीडियो बनाने की अनुमति देती है, जिसका उपयोग अक्सर स्पष्ट सामग्री में अपनी समानता रखकर व्यक्तियों को बदनाम करने या ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है।
    • उदाहरण के लिए: बेंगलुरु के एक मामले में एक महिला का चेहरा स्पष्ट वीडियो पर लगाया गया, जिसे बाद में पैसे ऐंठने के लिए प्रसारित किया गया।
  • पीड़ितों पर मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक प्रभाव: डिजिटल धोखाधड़ी एवं डीपफेक घटनाएं दोनों ही गंभीर भावनात्मक संकट, वित्तीय बर्बादी तथा सामाजिक कलंक का कारण बनती हैं।
    • उदाहरण के लिए: सेक्सटॉर्शन योजनाओं के पीड़ितों को अक्सर अत्यधिक आघात का सामना करना पड़ता है, यहाँ तक ​​कि कुछ लोग खुद को नुकसान पहुंचाने या अलगाव का सहारा भी लेते हैं।

कानून प्रवर्तन एवं प्रौद्योगिकी इन नए युग के अपराधों से निपटने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं

  • साइबर अपराध जाँच इकाइयों को मजबूत करना: उन्नत प्रशिक्षण एवं उपकरणों के साथ विशेष साइबर अपराध कोशिकाओं की स्थापना से साइबर अपराधियों की पहचान तथा अभियोजन में सुधार हो सकता है।
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र साइबर सेल ने सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाने वाले एक फ़िशिंग रिंग का सफलतापूर्वक पता लगाया।
  • अपराध का पता लगाने के लिए AI एवं मशीन लर्निंग का लाभ उठाना: AI का उपयोग वास्तविक समय में संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी एवं पहचान करने के लिए किया जा सकता है, जिससे धोखाधड़ी को घटित होने से पहले रोकने में मदद मिलती है।
    • उदाहरण के लिए: बैंक संभावित वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए असामान्य लेनदेन को चिह्नित करने के लिए AI एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं।
  • जन जागरूकता अभियान: निरंतर एवं रचनात्मक जागरूकता कार्यक्रम नागरिकों को सामान्य साइबर अपराध रणनीति तथा निवारक उपायों के बारे में शिक्षित कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: RBI कहता है, अभियान जनता को सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग प्रथाओं के बारे में शिक्षित करता है।
  • प्रौद्योगिकी फर्मों के साथ सहयोग: कानून प्रवर्तन ऐसे उपकरण विकसित करने के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकता है जो डीपफेक सहित हानिकारक सामग्री की पहचान करते हैं एवं उसे हटाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय अधिकारियों के साथ मेटा की साझेदारी के कारण साइबर धोखाधड़ी में इस्तेमाल होने वाले फर्जी खातों को तुरंत हटाया गया।
  • यह सुनिश्चित करना कि कानूनी एवं नीतिगत ढाँचे प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखें: साइबर कानूनों को अद्यतन करना एवं डेटा सुरक्षा तथा AI दुरुपयोग के लिए कड़े नियम बनाना निवारक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: भारत में IT अधिनियम संशोधन अब पहचान की चोरी एवं साइबरस्टॉकिंग के लिए सख्त दंड लगाता है।
  • सीमा पार सहयोग बढ़ाना: साइबर अपराध की वैश्विक प्रकृति को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विदेशों से सक्रिय अपराधियों को ट्रैक करने एवं पकड़ने में मदद कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: INTERPOL के साथ भारत के सहयोग ने भारतीय नागरिकों को लक्षित करने वाले एक वैश्विक फ़िशिंग सिंडिकेट को खत्म करने में मदद की।

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भारत में डिजिटल धोखाधड़ी एवं गैर-सहमति वाले अंतरंग डीपफेक से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन तथा प्रौद्योगिकी के बीच एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्नत AI का लाभ उठाकर, साइबर कानूनों को मजबूत करके एवं सहयोग बढ़ाकर, हम एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण बना सकते हैं। सक्रिय उपायों तथा त्वरित प्रतिक्रियाओं से इन उभरते खतरों को कम करने में मदद मिलेगी, गोपनीयता एवं न्याय की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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