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प्रदूषण नियंत्रण योजना

Lokesh Pal March 28, 2025 02:37 23 0

संदर्भ

विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग-संबंधित स्थायी समिति ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत जारी धन के अपर्याप्त उपयोग पर चिंता जताई।

संसदीय समिति के मुख्य निष्कर्ष

  • बढ़ते प्रदूषण पर चिंता: भारत में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति कई वर्षों से वैश्विक चिंता का विषय रही है।
  • निधि का कम उपयोग: पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 में प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवंटित 858 करोड़ रुपये में से 1% से भी कम खर्च किया।
    • संसदीय पैनल ने निधि के कम उपयोग पर आश्चर्य व्यक्त किया, विशेष रूप से “प्रदूषण नियंत्रण” योजना के लिए, जो मंत्रालय के बजट का 27% है।
  • कम उपयोग का कारण: महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों के बावजूद योजना को मंजूरी न मिलना, खराब योजना और चिंता का संकेत है।

प्रदूषण नियंत्रण योजना के बारे में

  • प्रशासनिक प्राधिकरण: इस योजना का क्रियान्वयन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest & Climate Change-MoEF&CC) द्वारा किया जाता है।
  • प्रकार: यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित है।
  • आरंभ: वर्ष 2018।
  • उद्देश्य
    • देश भर में वायु गुणवत्ता की निगरानी करना और आवश्यक शमन उपायों को लागू करना।
    • प्रभावी पर्यावरण प्रबंधन के लिए जल गुणवत्ता और ध्वनि प्रदूषण के स्तर पर नजर रखना।
  • योजना के अंतर्गत लक्ष्य
    • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP): NCAP के लिए धन मुहैया कराता है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2019-20 के स्तर की तुलना में वर्ष 2026 तक 131 अत्यधिक प्रदूषित शहरों में कण प्रदूषण को 40% तक कम करना है।
    • यह 82 शहरों में वायु को स्वच्छ करने की योजनाओं को भी वित्तपोषित करता है, जो वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहते हैं।
  • योजना के घटक
    • वित्तीय सहायता: कमजोर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को उनके प्रदूषण नियंत्रण उपायों को मजबूत करने में सहायता करता है।
    • पर्यावरण निगरानी नेटवर्क कार्यक्रम: निरंतर मूल्यांकन और कार्रवाई के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रदूषण निगरानी प्रणाली स्थापित करता है।

वायु एवं जल प्रदूषण संकट

  • वर्ष 2024 में भारत की वायु गुणवत्ता रैंकिंग में सुधार हुआ है और यह वैश्विक स्तर पर तीसरे से पाँचवें स्थान पर पहुँच गई है, लेकिन PM2.5 का स्तर अभी भी WHO के मानकों से काफी ऊपर है।
    • इस सुधार के बावजूद, भारत में अभी भी दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 शहर हैं, जिसमें दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों में दूसरे स्थान पर है और सबसे प्रदूषित राजधानी शहर है।
  • जल प्रदूषण गंभीर है, वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 में से 120वें स्थान पर है।
    • 70% भारतीय जल स्रोत दूषित हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता

  • प्रदूषण नियंत्रण संबंधी मंजूरी में देरी से महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में बाधा आती है। 
    • हाल ही में दिल्ली सरकार ने अपने वर्ष 2025-26 के बजट में वायु और जल प्रदूषण को प्राथमिकता दी है, जिसके लिए 506 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 
  • प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों का कुशल क्रियान्वयन एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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