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Q. ‘‘ज्ञान के बिना ईमानदारी कमजोर और व्यर्थ है, परन्तु ईमानदारी के बिना ज्ञान खतरनाक और भयानक होता है।’’ इस कथन से आप क्या समझते हैं? आधुनिक संदर्भ से उदाहरण लेते हुए अपने अभिमत को स्पष्ट कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: ईमानदारी के बारे में लिखिए।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • आधुनिक समय में कथनों की प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिए।
    • ईमानदारी और ज्ञान के बीच संबंध लिखिए।
    • पुष्टि के लिए उदाहरण जोड़ें।
  • निष्कर्ष: वर्तमान संदर्भ में महत्व बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

परिचय:

सैमुअल जॉनसन का दिया गया बयान ईमानदारी और सूचना के बीच आंतरिक संबंध को दर्शाता है, जो दोनों शासन के महत्वपूर्ण घटक हो सकते हैं। ईमानदारी विश्वासों, प्रतिबद्धताओं, मानकों, धारणा और व्यवहारों का एकीकरण है।

मुख्य विषयवस्तु:

यहां विशिष्ट भारतीय उदाहरणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आधुनिक संदर्भ के उदाहरणों के साथ कथन की व्याख्या दी गई है:

ज्ञान के बिना ईमानदारी कमजोर और बेकार है:

  • उपविषय: नैतिक निर्णय लेना
  • स्पष्टीकरण: हालांकि अच्छे इरादे महत्वपूर्ण हैं, उन्हें स्थिति की ठोस समझ और प्रासंगिक जानकारी द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए।

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  • चित्रण: 1950 के दशक में भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण के दौरान, अच्छे इरादों वाले एक लोक सेवक ने विस्थापित समुदायों को उनके आजीविका पैटर्न की उचित समझ के बिना स्थानांतरित करने का लक्ष्य रखा था।

ईमानदारी के बिना ज्ञान खतरनाक और भयानक है:

  • उपविषय: अनैतिक आचरण
  • स्पष्टीकरण: नैतिक विचारों की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप व्यक्तियों और समग्र रूप से समाज के लिए नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
  • चित्रण: 1970 के दशक में, एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी ने एक प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना में रिश्वत और गबन के लिए सरकारी अनुबंधों के अपने व्यापक ज्ञान का दुरुपयोग किया।

ईमानदारी और ज्ञान के संयोजन का महत्व:

  • उपविषय: नेतृत्व और शासन
  • स्पष्टीकरण: जब ईमानदारी ज्ञान के उपयोग का मार्गदर्शन करती है, तो निर्णय और कार्य नैतिक सिद्धांतों में निहित होते हैं, जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ होता है।
  • चित्रण: 1990 के दशक के दौरान, एक ईमानदार और जानकार सिविल सेवक ने आर्थिक सुधारों के सफल कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ईमानदारी को कायम रखना और ज्ञान को बढ़ावा देना:

  • उपविषय: शिक्षा एवं अनुसंधान
  • स्पष्टीकरण: ज्ञान की खोज के साथ-साथ नैतिक मूल्यों पर जोर देना व्यक्तियों को सूचित और जिम्मेदार निर्णय लेने की क्षमता से लैस करता है।
  • चित्रण: 1980 के दशक में लोक प्रशासन के एक प्रोफेसर ने लगातार अपने छात्रों के बीच शैक्षणिक सत्यनिष्ठा और नैतिक आचरण पर जोर दिया।

निष्कर्ष:

इस प्रकार, ज्ञान और ईमानदारी एक ही गाड़ी के पहियों को संतुलित कर रहे हैं। एक सही रास्ता दिखाता है और दूसरा उस रास्ते पर चलने की इच्छा प्रदान करता है।

 

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