Q. लोक प्रशासन के संदर्भ में, दर्शक प्रभाव (बाईस्टैंडर इफेक्ट), जहाँ व्यक्ति यह मानकर कार्य करने में संकोच करते हैं कि दूसरे हस्तक्षेप करेंगे, यह आपात स्थितियों के दौरान अधिकारियों की जवाबदेही को कैसे प्रभावित कर सकता है? सक्रिय व्यवहार को विकसित करने के उपाय भी सुझाएँ (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • यह बताइये कि आपात स्थितियों के दौरान अधिकारियों की प्रतिक्रिया पर मूकदर्शक प्रभाव किस प्रकार से प्रभाव डालता है।
  • सक्रिय व्यवहार विकसित करने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

बाईस्टैंडर प्रभाव उस घटना को संदर्भित करता है जहाँ व्यक्ति किसी आपात स्थिति में मध्यक्षेप करने की कम संभावना रखते हैं, यह मानते हुए कि अन्य लोग कार्रवाई करेंगे। लोक प्रशासन के संदर्भ में, यह संकट के दौरान अधिकारियों की प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकता है, जिससे देरी या अपर्याप्त प्रतिक्रिया हो सकती है। इसका मुकाबला करने के लिए, जवाबदेही, प्रशिक्षण और नेतृत्व की संस्कृति को बढ़ावा देने से सक्रिय व्यवहार को बढ़ावा मिल सकता है और आपात स्थितियों में सही समय पर मध्यक्षेप सुनिश्चित हो सकता है।

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आपातकाल के दौरान अधिकारियों की जवाबदेही पर मूकदर्शक प्रभाव का प्रभाव

  • जिम्मेदारी का प्रसार: जब कई अधिकारी शामिल होते हैं, तो हर व्यक्ति यह मान सकता है कि दूसरे लोग कार्रवाई करेंगे, जिससे आपातकाल के दौरान देरी और अपर्याप्त प्रतिक्रिया होती है। 
    • उदाहरण के लिए: 1984 के भोपाल गैस लीकेज आपदा के दौरान, कई एजेंसियों ने अपने कार्यों में देरी की, यह मानते हुए कि दूसरे लोग संकट को संभाल लेंगे, जिससे निवासियों पर इसका और‌ अधिक गंभीर प्रभाव पड़ा।
  • दूसरों द्वारा आलोचना किये जाने का डर: अधिकारी इस डर से कार्य करने में हिचकिचा सकते हैं कि अगर उनके कार्यों को गलत माना जाता है, तो उनकी आलोचना की जाएगी, विशेषकर उच्च दबाव की स्थितियों में। 
    • उदाहरण के लिए: आग लगने की एक आपात स्थिति में, स्थानीय अधिकारियों ने निकासी में देरी की, क्योंकि उन्हें डर था कि अति प्रतिक्रिया से प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा, जिसके परिणामस्वरूप अनावश्यक रूप से लोगों को चोटें आईं और मौतें हुई।
  • जवाबदेही की कमी: समूह में साझा जिम्मेदारी, व्यक्तिगत जवाबदेही की कमी का कारण बन सकती है, जिससे आपातकालीन स्थितियों के दौरान निष्क्रियता हो सकती है जब निर्णय तुरंत लिए जाने की आवश्यकता होती है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2018 के केरल बाढ़ के दौरान, किसी भी एक एजेंसी ने जिम्मेदारी नहीं ली, और राहत प्रयास धीमे थे, जिससे प्रभावित समुदायों को और‌ अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।
  • प्रोटोकॉल पर अत्यधिक निर्भरता: अधिकारी कार्रवाई करने से पहले पूर्वनिर्धारित प्रक्रियाओं के पालन या अनुमोदन की प्रतीक्षा कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप तत्काल निर्णय लेने की आवश्यकता वाली अत्यावश्यक स्थितियों में निष्क्रियता हो सकती है।
  • मनोवैज्ञानिक पक्षाघात: आपातकालीन स्थिति में अन्य अधिकारियों को निष्क्रिय देखना, मनोवैज्ञानिक पक्षाघात का कारण बन सकता है, जहाँ व्यक्ति कार्य करने में हिचकिचाते हैं, उन्हें डर लगता है कि कहीं वे गलती न कर दें। 
    • उदाहरण के लिए: भीड़ भरे कार्यक्रम में भगदड़ के दौरान, अधिकारी भीड़ को जल्दी से नियंत्रित करने में विफल रहे, क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि दूसरे लोग आगे आएंगे या स्थिति संभालेंगे।

सक्रिय व्यवहार विकसित करने के उपाय

  • संकट प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण: आपातकालीन परिदृश्यों में नियमित और गहन प्रशिक्षण, अधिकारियों को जल्दी और प्रभावी ढंग से कार्य करने का आत्मविश्वास प्रदान कर सकता है, जिससे महत्त्वपूर्ण क्षणों में उनकी झिझक कम हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: जापान के नियमित भूकंप तैयारी अभ्यासों ने आपातकालीन प्रतिक्रियाकर्ताओं की प्रतिक्रियात्मकता में काफी सुधार किया है, जिससे वे आपदाओं के दौरान जल्दी से कार्य करने और जीवन बचाने में सक्षम हो गए हैं।
  • स्पष्ट जवाबदेही तंत्र: अधिकारियों के लिए स्पष्ट भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ निर्धारित करने से यह सुनिश्चित होता है कि व्यक्ति अपने कर्तव्यों को समझे और प्रतिक्रिया की गति में सुधार करे। 
    • उदाहरण के लिए: संयुक्त राज्य अमेरिका में, इंसीडेंट कमांड सिस्टम (ICS) आपात स्थितियों के दौरान स्पष्ट रूप से नेतृत्व प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रभारी कौन होगा जिससे कि इस बारे में कोई भ्रम न हो, जिससे प्रतिक्रियाओं में तेजी आती है।
  • पहल को प्रोत्साहित करना: सक्रिय व्यवहार के लिए पुरस्कार या मान्यता प्रदान करने से अधिकारियों को अनिश्चित या उच्च जोखिम वाली स्थितियों में भी पहल करने और निर्णायक रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 के ओडिशा चक्रवात के बाद, समय पर निकासी प्रयासों का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसके परिणामस्वरूप दूसरे अधिकारी भी भविष्य की आपात स्थितियों में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित हुये।
  • मनोवैज्ञानिक कंडीशनिंग: व्यवहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, अधिकारियों को निर्णय लेने से संबंधित डर और झिझक को दूर करने में मदद कर सकते हैं, जिससे आपात स्थितियों के दौरान आत्मविश्वास और त्वरित निर्णय लेने की मानसिकता को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: मुंबई पुलिस के अधिकारियों को, ट्रेनिंग सिमुलेशन कराया जाता है जो उन्हें आतंकवादी हमलों के मामले में तेजी से निर्णय लेने के लिए तैयार करता है, जिससे वास्तविक खतरों का सामना करने पर झिझक कम करने में मदद मिलती है।
  • रियलटाइम संचार प्रणाली: कुशल और रियल टाइम संचार प्लेटफार्मों को लागू करने से अधिकारियों को जुड़े रहने, प्रयासों का समन्वय करने और समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने में मदद मिलती है, जिससे आपातकालीन स्थितियों में देरी और भ्रम कम होता है।

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लोक प्रशासन में मूकदर्शक प्रभाव से निपटने के लिए, अधिकारियों को आपात स्थितियों के दौरान त्वरित, स्वतंत्र कार्रवाई करने हेतु प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। स्पष्ट जवाबदेही स्थापित करना, जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देना और सक्रिय व्यवहार को प्रोत्साहित करना समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित कर सकता है। रियलटाइम निगरानी और संचार के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से अधिकारियों की त्वरित निर्णय लेने की क्षमता में और वृद्धि हो सकती है।

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