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तालिबान को लेकर भारत की परिवर्तित हालिया रणनीति

Lokesh Pal March 26, 2025 05:00 30 0

“आपका सबसे बड़ा पाप यह है, कि आपने बिना किसी कारण के स्वयं को धोखा दिया।” -दोस्तोयेवस्की

संदर्भ:

हाल ही में, भारत ने तालिबान के साथ संबंध और रणनीतिक चिंताओं को संतुलित करते हुए काबुल में एक तकनीकी मिशन पुनः प्रारंभ किया है।

अफगानिस्तान पर अमेरिकी कार्रवाई और उसके प्रभाव

  • अमेरिकी विश्वासघात: डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिका के बदलते दृष्टिकोण की गूंज अफगान निर्वासितों के मध्य तीव्रता से सुनाई दे रही है।
    • अफगानिस्तान को मिलने वाले वित्तपोषण में कटौती और उसे छोड़ देने के कारण देश पर तालिबान का शासन पुनः स्थापित हो गया, जो यूक्रेन के साथ अमेरिका के कूटनीतिक संबंधों के विघटन के समान है।
  • ऐतिहासिक प्रतिबिंब: 2017 में, ट्रंप ने अशरफ गनी के साथ अमेरिकी कंपनियों को अफगानिस्तान के दुर्लभ खनिज भंडार तक पहुँच प्रदान करने के लिए एक समझौता किया।
  • सीधी वार्ता: जुलाई 2018 तक, अमेरिका ने अफगान सरकार को नजरंदाज करते हुए तालिबान के साथ सीधी वार्ता शुरू कर दी।
    • दोहा समझौते (फरवरी 2020) ने तालिबान को वैधता प्रदान की और उनके कथन को स्वीकार किया, जिससे अफगान सरकार की स्थिति कमजोर हो गई।

तालिबान 2.0 के तहत वर्तमान स्थिति

  • समझौते की कीमत: दोहा समझौते के कारण तालिबान 2.0 (2021-वर्तमान) का उदय हुआ, जिसकी अफ़गानिस्तान पर मजबूत पकड़ है, जो वहाँ की महिलाओं के प्रति अधिक कठोर और क्रूर हो गया है।
  • प्रतिगामी उपाय: तालिबान ने महिलाओं के अधिकारों पर गंभीर प्रतिबंध लगाए हैं – लड़कियों की शिक्षा, रोजगार और यहाँ तक ​​कि उनकी सार्वजनिक दृश्यता पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे दो दशकों में हुई प्रगति बाधित हो गई है।
    • 2001-2021 की अवधि के साथ तुलना करने पर, जब अफ़गानिस्तान में राष्ट्रपति पद के लिए महिला उम्मीदवार थीं और कई क्षेत्रों में महिलाएँ कार्य कर रही थीं, यह स्पष्ट होता है कि तालिबान शासन के तहत इसमें प्रतिगामी मोड़ आया है।
  • परिवर्तित गठबंधन: अमेरिका और यूरोप ने स्वयं को अफ़गानिस्तान से दूर कर लिया है, जबकि रूस, चीन और पड़ोसी पाकिस्तान ने तालिबान शासन को अपनाया है, जिससे पूर्व गणराज्य के दूतावासों पर तालिबान के झंडे फहराए जा रहे हैं।
  • भारत की स्थिति: भारत ने तालिबान द्वारा नियुक्त राजदूत को स्वीकार करने से मना किया है, लेकिन 2022 में काबुल में एक तकनीकी मिशन को पुनः खोल दिया है।
    • ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं, कि भारत काबुल में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए वार्ता कर रहा है, साथ ही नई दिल्ली में तालिबान द्वारा नियुक्त राजदूत को भी अनुमति दे रहा है।
  • भारत के हित: भारत के प्राथमिक हितों में मानवीय सहायता, विकास परियोजनाओं का पुनरुद्धार और तालिबान के मंत्रियों के साथ रणनीतिक वार्ता और संबंध शामिल हैं।

तालिबान के साथ भारत की भागीदारी

  • तालिबान की ताकत: तालिबान को एक दीर्घकालिक वास्तविकता के रूप में देखा जाता है, जिसमें  व्यावहारिक कारणों से भारत को शासन के साथ जुड़ने की आवश्यकता है।
  • आंतरिक विभाजन: रिपोर्ट से संकेत मिलता है, कि तालिबान के भीतर हक्कानी गुटों और कंधारी मौलवियों के बीच तनाव है, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा के मुद्दे पर, जो शासन में संभावित कमजोरियों को उजागर करता है।
  • आर्थिक तनाव: तालिबान के कुप्रबंधन, विदेशी सहायता (विशेष रूप से USAID) की समाप्ति के साथ, आर्थिक स्थिति खराब हो गई है, जिससे शरणार्थियों का प्रवास और डूरंड रेखा पर पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ गया है।
  • रणनीतिक स्थान: भारत द्वारा पुनः संबंधों की स्थापना की समस्या, एक ऐसे शासन के साथ साझेदारी करने की जोखिम भरी प्रकृति से उपजी है, जिसने दशकों से भारतीय हितों को लक्षित किया है।
    • हालाँकि, इस बात की चिंता है कि जब अन्य क्षेत्रीय शक्तियाँ अपना दूतावास पुनः खोल रही हैं, तो भारत अपना रणनीतिक प्रभाव नहीं खो रहा है।
  • सुरक्षा चिंताएँ: भारत का सुरक्षा प्रतिष्ठान अफ़गान शरणार्थियों से सावधान रहा है, उन्हें भय है कि वे “आतंकवादी” हो सकते हैं।
    • इससे तालिबान शासन से बाहर भागने वालों को वीजा देने में अनिच्छा उत्पन्न हुई है, जिनमें अशरफ गनी काल के दौरान भारत की सहायता करने वाले लोग भी शामिल हैं।
  • ऐतिहासिक विरासत: वर्तमान में अफगान शरणार्थियों को नकारना उन लोगों द्वारा विश्वासघात के रूप में देखा जाता है, जो कभी भारत को एक सहयोगी के रूप में देखते थे।

निष्कर्ष

भारत जैसे-जैसे अपने दृष्टिकोण को पुनः निर्धारित कर रहा है, व्यावहारिकता और सिद्धांत के बीच संतुलन महत्वपूर्ण होगा। जबकि अफगानिस्तान पर तालिबान की पकड़ मजबूत है, भारत को क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीतिक प्रभाव बनाए रखते हुए वास्तविक राजनीति और मानवीय चिंताओं को दूर करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारत-अफ़गानिस्तान संबंधों के परिप्रेक्ष्य में भारत के लिए तालिबान की भूमिका को समझाइए | भारत की तालिबान को लेकर बदलती हालिया रणनीति का भारत के द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों को स्पष्ट कीजिए |  

(15 अंक, 250 शब्द)

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