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प्रतिबिंबित कानून

Lokesh Pal January 13, 2025 06:00 55 0

संदर्भ:

हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा द्वारा महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों पर आपराधिक कानूनों में संशोधन किया गया।

हाल के संशोधनों का विश्लेषण:

  • प्रशासनिक प्रतिक्रिया: हालिया आपराधिक कानून संशोधनों में यह प्रवृत्ति स्पष्ट है कि महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों पर, खासकर तमिलनाडु में, विशेष अपराधों के जवाब में सख्त कानून बनाने की प्रवृत्ति एक स्वाभाविक प्रशासनिक प्रतिक्रिया बन गई है। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से राजनीतिक रूप से प्रेरित घटनाओं में दिखाई देती है
  • राजनीतिक प्रेरणा: ये संशोधन अन्ना विश्वविद्यालय में बलात्कार की घटना के बाद उत्पन्न राजनीतिक दबाव से प्रेरित थे तथा मामले की राजनीतिक संबद्धता और मीडिया कवरेज के कारण यह दबाव और बढ़ गया। 
    • सरकार ने विधायी परिवर्तनों के माध्यम से महिला सुरक्षा पर अपना रुख मजबूत करने का प्रयास किया।
  • कड़े कानूनों की प्रभावशीलता: हालाँकि, यह धारणा व्यापक है कि सख्त कानून यौन हिंसा को रोकते हैं, लेकिन इसके लिए अनुभवजन्य साक्ष्य का अभाव है। इस प्रतिक्रिया का उद्देश्य अक्सर अंतर्निहित मुद्दों को वास्तव में हल करने के बजाय एक राजनीतिक संदेश देना होता है।
  • कठोर दंड का प्रभाव: हालाँकि, बलात्कार, यौन उत्पीड़न और ताक-झाँक जैसे अपराधों के लिए दंड में वृद्धि का आम तौर पर स्वागत किया जाता है, लेकिन मुख्य प्रश्न यह है कि क्या कठोर दंड अपराधों की घटनाओं को कम करते हैं या सजा की दर में वृद्धि करते हैं।
    • अपराधियों को गिरफ्तार करना, साक्ष्य जुटाना और अपराध सिद्ध करना जैसी चुनौतियाँ अपरिवर्तित बनी हुई हैं।

कानून में प्रमुख संशोधन:

  • बढ़ी हुई सजा: संशोधनों में विभिन्न यौन अपराधों के लिए सज़ा बढ़ा दी गई है और विशिष्ट अपराधों के लिए जमानत देने से इनकार कर दिया गया है, जो यौन हिंसा पर सख्त रुख को दर्शाता है।
  • बाध्यकारी संरक्षण आदेश: नए प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि अपराधियों को पीड़ितों से संपर्क करने से रोका जाए।
  • एसिड हमलों के लिए मृत्युदंड की शुरुआत: अब एसिड हमलों के लिए मृत्युदंड की शुरुआत की गई है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित जीवन भर के लिए अचेतन में पहुँच जाते हैं।
  • उत्पीड़न की व्यापक परिभाषा: उत्पीड़न की परिभाषा में अब डिजिटल और गैर-मौखिक रूप भी शामिल हैं जिनके दुरुपयोग की संभावना जताई जा रही है।

आगे की राह:

  • सुरक्षित सार्वजनिक स्थान: सार्वजनिक स्थानों, कार्यस्थलों और घरों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने से कानूनों की कठोरता बढ़ाने की तुलना में बेहतर परिणाम मिलेंगे। 
    • महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए कड़े कानूनों के साथ-साथ व्यापक सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।
  • उचित क्रियान्वयन: कानून की प्रभावशीलता केवल इसकी गंभीरता में नहीं बल्कि इसके उचित क्रियान्वयन में है। निष्पक्ष जाँच, राजनीतिक दबाव का विरोध और मौजूदा कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:

यद्यपि हालिया संशोधन एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन महिला सुरक्षा में वास्तविक प्रगति के लिए प्रणालीगत परिवर्तन की आवश्यकता है जिसमें रोकथाम, प्रभावी कानून प्रवर्तन और महिला अधिकारों और सुरक्षा के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

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