प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत की EV विनिर्माण स्थानीयकरण योजना के प्रावधानों को गिनाइए।
- विश्लेषण कीजिए कि भारत की EV विनिर्माण स्थानीयकरण योजना घरेलू औद्योगिक विकास के साथ विदेशी निवेश आकर्षण को किस प्रकार संतुलित कर रही है।
- भारत की EV विनिर्माण स्थानीयकरण योजना में चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- आगे की राह लिखिये।
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उत्तर
भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) विनिर्माण स्थानीयकरण योजना, जैसे कि भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI) आदि, का लक्ष्य आयात पर निर्भरता को कम करना तथा प्रोत्साहनों और स्थानीयकरण मानदंडों के माध्यम से घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ाना है, जिससे भारत को विदेशी निवेश के लिए आकर्षक वैश्विक EV हब के रूप में स्थापित किया जा सके।
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI) स्थानीयकरण योजना के प्रावधान
- न्यूनतम निवेश: भारत में EV विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए आवेदकों को कम से कम ₹4,150 करोड़ का निवेश करना होगा।
- घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA): स्थानीय सोर्सिंग को बढ़ावा देने के लिए निर्माताओं को तीसरे वर्ष तक 25% DVA और पांचवें वर्ष तक 50% DVA हासिल करना होगा।
- आयात शुल्क रियायत: 35,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक कीमत वाली पूर्णतः निर्मित इकाइयों (CBU) को पांच वर्षों के लिए 15% कम सीमा शुल्क पर आयात किया जा सकता है।
- आयात सीमा: पांच वर्ष की अवधि के दौरान प्रतिवर्ष या संचयी रूप से अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों का आयात किया जा सकता है।
- बैंक गारंटी: अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए छोड़े गए शुल्क के बराबर या ₹4,150 करोड़ (जो भी कम हो) की बैंक गारंटी प्रदान की जानी चाहिए।
- पात्रता और निरीक्षण: आवेदकों के पास ₹10,000 करोड़ का वैश्विक राजस्व और ₹3,000 करोड़ का निवेश होना चाहिए, आवेदन 120 दिनों के लिए खुले रहेंगे और एक परियोजना प्रबंधन एजेंसी (PMA) और एक स्थायी चयन समिति (SSC) द्वारा उनकी निगरानी की जाएगी।
भारत में EV परिवेश के लिए अन्य पहल
- FAME II माँग प्रोत्साहन: EV अपनाने और चार्जिंग बुनियादी ढाँचे के लिए सब्सिडी प्रदान करता है ।
- PLI-ऑटो प्रोत्साहन: घरेलू ईवी और घटक उत्पादन पर 15% तक प्रोत्साहन प्रदान करता है ।
- ACC-बैटरी PLI: ₹18,100 करोड़ के प्रोत्साहन के साथ 50 गीगावॉट घंटे की घरेलू बैटरी सेल क्षमता में सहायता करता है।
- उदाहरण: उन्नत रसायन सेल निर्माण में 60% स्थानीयकरण का लक्ष्य ।
- चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP): अप्रैल 2025 से सख्त स्थानीय सोर्सिंग मानदंड लागू करता है।
- उदाहरण: PM ई-ड्राइव सब्सिडी के लिए अर्हता प्राप्त करने हेतु 8-11 EV घटकों की स्थानीय असेंबली की आवश्यकता होती है।
- EV घटक सब्सिडी (EMPS और SMEC): EV आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में OEM और MSMEs का समर्थन करता है।
- उदाहरण: EMPS 2024 को बढ़ाकर 778 करोड़ रुपये किया गया जिससे 5.6 लाख e-2W/e-3W को सहायता मिलेगी और आपूर्ति पारिस्थितिकी तंत्र का विकास होगा।
विदेशी निवेश और घरेलू औद्योगिक विकास के बीच संतुलन
विदेशी निवेश आकर्षण
- समावेशी फैक्ट्री पात्रता: भारत ने नई सुविधाओं से परे प्रोत्साहनों को व्यापक बनाते हुए मौजूदा संयंत्रों को भी शामिल किया है, जिससे वैश्विक वाहन निर्माता आकर्षित हुए हैं।
- उदाहरण के लिए: 50% स्थानीय घटक सोर्सिंग के साथ EV उत्पादन में कम से कम $500 मिलियन का निवेश करने वाले वाहन निर्माता अब पात्र हैं।
- वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) को आकर्षित करना: उदार उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) मानदंड और 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बहुराष्ट्रीय OEM को आकर्षित कर रहे हैं।
- उदाहरण: मार्च 2024 तक 74 PLI आवेदनों में से 50 वैश्विक OEM से थे।
- लक्षित बैटरी निवेश प्रोत्साहन: ACC -PLI बहुराष्ट्रीय ऊर्जा फर्मों को प्रोत्साहित करते हुए उन्नत बैटरी सेल क्षमता निर्माण के लिए ₹18,100 करोड़ की पेशकश करता है।
- उदाहरण: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 10 GWh बैटरी सेल क्षमता हासिल की जो भारत में तकनीकी निवेश को दर्शाता है।
घरेलू औद्योगिक विकास
- आपूर्ति श्रृंखलाओं में MSME एकीकरण: चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) मोटर, नियंत्रक और PCB जैसे घटकों की स्थानीय असेंबली को अनिवार्य बनाता है, जिससे EV पारिस्थितिकी प्रणालियों में MSME के एकीकरण को बढ़ावा मिलता है।
- चरणबद्ध स्थानीयकरण रोडमैप: क्रमिक सोर्सिंग टारगेट, क्षमता निर्माण का समर्थन करते हैं।
- उदाहरण: FAME II की शुरुआत 50% स्थानीयकरण के साथ हुई , तथा विकास को संतुलित करने के लिए PMP ने लक्ष्य को और बढ़ाया।
- निर्यात से जुड़े उत्पादन का विस्तार: PLI-ऑटो ने बिक्री और निर्यात प्रदर्शन में वृद्धि के लिए प्रोत्साहन प्रदान किये।।
- उदाहरण: 25,938 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन के साथ PLI-ऑटो का लक्ष्य बिक्री में 2.3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि करना है, जिससे वैश्विक विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
भारत की EV स्थानीयकरण योजना में चुनौतियाँ
- कच्चे माल पर निर्भरता: आयातित दुर्लभ-मृदा और बैटरी इनपुट पर उच्च निर्भरता।
- उदाहरण: OEM ने दुर्लभ-मृदा मैग्नेट की कमी के कारण PLI सोर्सिंग में छूट का अनुरोध किया।
- विलंबित सब्सिडी वितरण: प्रशासनिक देरी से निर्माता के नकदी प्रवाह पर असर पड़ता है।
- उदाहरण: मार्च 2025 तक 23 बिलियन डॉलर के PLI फंड में से केवल 1.7 बिलियन डॉलर का ही वितरण किया गया है।
- उच्च पूंजीगत व्यय सीमा: आवश्यक निवेश क्षमता से अधिक हो सकता है, जिससे आयात पर आंशिक निर्भरता हो सकती है।
- उदाहरण: OEMs स्थानीय स्तर पर ₹4,150 करोड़ की प्रतिबद्धता होने पर 40,000 यूनिट/वर्ष तक आयात कर सकते हैं।
- माँग से उत्पादन सब्सिडी की ओर बदलाव: माँग समर्थन में कटौती से OEM पर दबाव पड़ सकता है।
- उदाहरण: वित्त वर्ष 2024-25 में FAME II बजट में 44% की कटौती, PLI पर निर्भरता बढ़ायेगी।
- कमजोर आपूर्ति-श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र: प्रमुख घटकों मोटर और नियंत्रक असेंबली का सीमित घरेलू उत्पादन, जिससे PMP अनुपालन में देरी हो रही है।
आगे की राह
- DVANorms पर अस्थायी रूप से सुगमता: स्थानीय क्षमता के विकसित होने तक आयात सक्षम करना चाहिए।
- सब्सिडी वितरण को डिजिटल बनाना: दावों के त्वरित निपटान और निवारण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म लागू करना चाहिए।
- उदाहरण: अनुपालन में होने वाली देरी को कम करने के लिए PLI-ऑटो योजना को ERP पोर्टल पर स्थानांतरित किया जा रहा है ।
- महत्त्व खनिज आपूर्ति-शृंखलाएँ विकसित करना: घरेलू खनन और शोधन में निवेश करना चाहिए।
- उदाहरण: राष्ट्रीय महत्त्व खनिज मिशन दुर्लभ-मृदा निष्कर्षण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करता है।
- MSME क्लस्टरों को मजबूत करना: साझा परीक्षण, टूलींग और प्रमाणन सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
- उदाहरण: EMPS का 778 करोड़ रुपए का फंड क्लस्टर आधारित घटक क्षमता निर्माण को समर्थन देता है।
- निर्यात के साथ PLI को संरेखित करना: वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सहायता प्रदान करने के लिए निर्यात-लिंक्ड प्रोत्साहन लागू करना चाहिए।
भारत की EV स्थानीयकरण योजना मजबूत प्रोत्साहन, प्रौद्योगिकी साझेदारी और चरणबद्ध स्थानीयकरण के माध्यम से घरेलू औद्योगिक विकास के साथ विदेशी निवेश आकर्षण को रणनीतिक रूप से संतुलित करती है । सामग्री आपूर्ति घाटे, सब्सिडी में देरी और MSME एकीकरण को संबोधित करना भारत को एक लचीला और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी ईवी विनिर्माण पावरहाउस में बदलने के लिए महत्त्व होगा ।
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