प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत में डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और इसके पीछे के कारणों पर प्रकाश डालिये।
- निवारक उपायों से युक्त बहुआयामी समाधानों पर चर्चा कीजिए।
- सुधारात्मक उपायों से युक्त बहुआयामी समाधानों पर चर्चा कीजिए।
|
उत्तर
तमिलनाडु के एक सरकारी अस्पताल में हाल ही में हुई हिंसा की घटना भारत में डॉक्टरों पर हमलों के बढ़ते खतरे को रेखांकित करती है, जिससे स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को खतरा और चिकित्सा प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है। इस संकट से निपटने के लिए निवारक और सुधारात्मक उपायों के साथ बहुआयामी समाधान की आवश्यकता है ताकि चिकित्सा संस्थानों में विश्वास बहाल करते हुए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
Enroll now for UPSC Online Course
भारत में डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के पीछे कारण
- मरीजों की अवास्तविक अपेक्षाएँ: उपचार के परिणामों के संबंध में मरीजों की गैर-वास्तविक अपेक्षाएँ, परिणाम कम मिलने पर निराशा और आक्रामकता का कारण बनती हैं।
- उदाहरण के लिए: IMA द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि डॉक्टरों पर 75% हमले कथित उपचार विफलता के बाद हुए, जो अपेक्षाओं और हिंसा के बीच संबंध को उजागर करता है।
- अत्यधिक बोझ से दबा स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचा: अस्पतालों में भीड़भाड़ और सीमित संसाधनों के कारण देरी होती है, जिससे मरीज़ों और उनके परिवारों के बीच असहायता और निराशा उत्पन्न होती है।
- उदाहरण के लिए: भारत में, जहाँ डॉक्टर-रोगी अनुपात 1:834 है, लंबे समय तक प्रतीक्षा करने से अक्सर झगड़े होते हैं।
- संचार अंतराल: निदान और परिणामों के बारे में स्पष्ट संचार की कमी, गलतफहमी और अविश्वास का कारण बन सकती है।
- उदाहरण के लिए: तमिलनाडु में राज्य संचालित कलईगनर सेंटेनरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (KCSSH) में एक कैंसर विशेषज्ञ पर हुआ हमला कथित तौर पर उपचार संबंधी जटिलताओं की गलतफहमी के कारण हुई।
- भावनात्मक तनाव: मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों पर भावनात्मक तनाव, विशेष रूप से संकट के समय, उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और उच्च तनाव वाली स्थितियों में आक्रामकता की भावना को बढ़ा सकता है।
- उदाहरण के लिए: COVID-19 महामारी के दौरान, डॉक्टरों को खतरों का सामना करना पड़ा क्योंकि परिवारों ने सीमित ICU बेड और संसाधनों की कमी के कारण भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया व्यक्त की।
- सुरक्षा उपायों का अभाव: कई स्वास्थ्य सुविधाओं में आक्रामक स्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त सुरक्षा का अभाव है, जिससे कर्मचारी ऐसी स्थितियों के प्रति सुभेद्य हो जाते हैं।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 में, कई अस्पतालों ने अपर्याप्त सुरक्षा के कारण कर्मचारियों पर हमले की सूचना दी, जिससे अस्पतालों में पुलिस चौकियों की माँग बढ़ी है।
डॉक्टरों के विरुद्ध हिंसा से निपटने के लिए निवारक उपाय
- सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करना: अस्पतालों में आक्रामकता को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और निगरानी प्रणाली स्थापित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: AIIMS दिल्ली ने सीसीटीवी और सुरक्षा कर्मियों के साथ एक सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया है , जिससे हिंसा की घटनाओं में कमी आई है।
- डॉक्टर-रोगी के बीच बेहतर संचार: डॉक्टरों को संचार प्रशिक्षण प्रदान करने से मरीजों की अपेक्षाओं को प्रबंधित करने और गलतफहमियों को कम करने में मदद मिल सकती है।
- जन जागरूकता अभियान: डॉक्टरों के सम्मुख आने वाली चुनौतियों के संबंध में जनता को शिक्षित करना और अविश्वास को कम करने के लिए यथार्थवादी अपेक्षाएँ निर्धारित करना।
- रोगी-परामर्शदाता अंत:क्रिया को प्रोत्साहित करना: संकटग्रस्त परिवारों के लिए अस्पतालों में परामर्शदाता उपलब्ध कराने से भावनाओं को नियंत्रित करने और संघर्ष को कम करने में मदद मिल सकती है।
- उदाहरण के लिए: प्रशिक्षित परामर्शदाता मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर सकते हैं, गलतफहमियों को दूर कर सकते हैं और तनाव को कम कर सकते हैं, जिससे चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ संघर्ष या हिंसा की संभावना कम हो जाती है।
- संवेदनशील क्षेत्रों में आगंतुकों की पहुँच सीमित करना: ICU और आपातकालीन वार्डों में आगंतुकों पर प्रतिबंध लगाने से भीड़ को नियंत्रित करने और महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में तनाव कम करने में मदद मिलती है।
- उदाहरण के लिए: AIIMS ने COVID महामारी के दौरान आगंतुकों पर प्रतिबंध लागू किया, जिससे अस्पतालों में तनाव के स्तर को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सका।
डॉक्टरों के विरुद्ध हिंसा से निपटने के लिए सुधारात्मक उपाय
- कानूनी ढाँचे को मजबूत बनाना: स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ़ हिंसा के लिए सख्त सजा के प्रावधान से हमलावरों को रोका जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम, 2020 ने स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बना दिया है।
- फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना: हिंसा के मामलों के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट की स्थापना से सही समय पर न्याय सुनिश्चित होता है।
- अस्पताल सुरक्षा के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना: सुरक्षा चूक के लिए अस्पताल प्रशासन को जवाबदेह ठहराने से सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देने के अभ्यास को प्रोत्साहन मिलता है।
- प्रभावित डॉक्टरों के लिए वित्तीय और भावनात्मक सहायता: हिंसा से प्रभावित डॉक्टरों को आघात से निपटने और उनका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए मुआवजा और परामर्श प्रदान करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: व्यक्तिगत अस्पताल कार्यस्थल पर हिंसा से प्रभावित डॉक्टरों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।
- अनिवार्य रिपोर्टिंग और ट्रैकिंग सिस्टम: हिंसा के मामलों के लिए एक राष्ट्रीय ट्रैकिंग सिस्टम की स्थापना से घटनाओं की निगरानी करने और लक्षित नीतियों के निर्माण में मदद मिलेगी।
- उदाहरण के लिए: हिंसा के मामलों के लिए भारतीय चिकित्सा संघ की रजिस्ट्री, व्यापक ट्रैकिंग और रुझानों की बेहतर समझ को सक्षम बनाती है।
Check Out UPSC CSE Books From PW Store
भारत में डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के लिए निवारक और सुधारात्मक उपायों को शामिल करते हुए समग्र समाधान की आवश्यकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा के इस बहुआयामी मुद्दे के समग्र समाधान के लिए एक केंद्रीय कानून की आवश्यकता है। भारत के स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने के लिए अस्पताल प्रशासन, सरकार और नागरिक समाज द्वारा एक ठोस प्रयास की आवश्कता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments