Q. मानव विकास सूचकांक में भारत की स्थिति में सुधार के बावजूद, असमानता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। आलोचनात्मक रूप से जाँच कीजिए कि भारत निरंतर लैंगिक एवं आय असमानताओं को संबोधित करते हुए समावेशी विकास के लिए AI का लाभ कैसे उठा सकता है। एक बहुआयामी नीति रूपरेखा का सुझाव दीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि मानव विकास सूचकांक में भारत के सुधार के बावजूद असमानता एक बड़ी चुनौती क्यों बनी हुई है।
  • परीक्षण कीजिए कि भारत सतत् लिंग और आय असमानताओं को संबोधित करते हुए समावेशी विकास के लिए AI का लाभ कैसे उठा सकता है।
  • समावेशी विकास के लिए AI का लाभ उठाने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।
  • समावेशी विकास के लिए बहुआयामी नीति ढाँचे का सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारत की मानव विकास सूचकांक (HDI) रैंकिंग 2025 में सुधरकर 130वें स्थान पर पहुँच गई है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और आय में वृद्धि दर्शाती है। हालाँकि, असमानता जो 30.7% HDI ह्वास के लिए जिम्मेदार है, एक महत्त्वपूर्ण बाधा बनी हुई है, जो विकास की समावेशी प्रकृति को कमजोर कर रही है और मानव क्षमता की प्राप्ति में देरी कर रही है।

मानव विकास सूचकांक में वृद्धि के बावजूद असमानता बनी हुई है:

  • असमान धन वितरण: आर्थिक लाभ केंद्रित बने हुए हैं, शीर्ष 1% के पास राष्ट्रीय धन का 40% से अधिक हिस्सा है  जिससे सामाजिक-आर्थिक अंतर बढ़ रहा है।
  • लैंगिक असमानताएँ: महिला कार्यबल की भागीदारी कम बनी हुई है, औपचारिक रोजगार और निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है। 
    • उदाहरण: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS), 2023 के अनुसार, भारत में महिला श्रम बल की भागीदारी केवल 41.7% है।
  • क्षेत्रीय असंतुलन: राज्यों के बीच असमानताएँ शिक्षा, स्वास्थ्य और आय के अवसरों तक पहुंच को प्रभावित करती हैं। 
    • उदाहरण: नीति आयोग के सतत् विकास लक्ष्य सूचकांक के अनुसार, मानव विकास सूचकांक में केरल सर्वोच्च स्थान पर है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश पिछड़े हुए हैं।
  • सीमित सामाजिक गतिशीलता: हाशिए पर स्थित समूहों को नौकरियों, वित्त और शिक्षा तक सीमित पहुँच का सामना करना पड़ता है।
  • शिक्षा और कौशल अंतर: स्कूल में नामांकन में सुधार हुआ है, लेकिन शिक्षण परिणाम और नौकरी के लिए तत्परता कम बनी हुई है। 
    • उदाहरण: ASER 2023 में पाया गया कि लगभग 25% युवा कक्षा II स्तर की पाठ्य सामग्री भी धाराप्रवाह ढंग से नहीं पढ़ सकते।

भारत समावेशी विकास के लिए AI का लाभ कैसे उठा सकता है

लगातार जारी लैंगिक असमानताओं को संबोधित करना

  • भर्ती में लैंगिक पूर्वाग्रह को कम करना: AI नौकरी की भर्ती में लैंगिक पूर्वाग्रह की पहचान करने और उसे समाप्त करने के लिए भर्ती प्रक्रियाओं का विश्लेषण कर सकता है, जिससे समान अवसर सुनिश्चित होते हैं। 
    • उदाहरण: HireVue जैसे AI-संचालित भर्ती उपकरण लिंग के बजाय कौशल के आधार पर उम्मीदवारों का मूल्यांकन करके पक्षपातपूर्ण भर्ती प्रथाओं को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।
  • वित्तीय सेवाओं तक महिलाओं की पहुँच को बढ़ावा देना: AI महिलाओं को व्यक्तिगत वित्तीय उत्पाद प्रदान कर सकता है, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण: RBL बैंक का AI-आधारित प्लेटफॉर्म महिला उद्यमियों को व्यक्तिगत माइक्रोलोन प्रदान करता है, जिससे वित्त तक आसान पहुँच की सुविधा मिलती है।
  • महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए AI: AI डायग्नोस्टिक टूल, टेलीमेडिसिन सेवाएँ प्रदान करके और निगरानी प्रणालियों के माध्यम से सुरक्षा बढ़ाकर महिलाओं के स्वास्थ्य का समर्थन कर सकता है। 
    • उदाहरण: Medibuddy जैसे AI-संचालित स्वास्थ्य ऐप महिलाओं के लिए दूरस्थ परामर्श प्रदान करके, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार कर रहे हैं।

निरंतर आय असमानताओं को संबोधित करना

  • समावेशी आर्थिक विकास के लिए AI:  अविकसित क्षेत्रों में नए व्यवसाय मॉडल और रोजगार सृजन के अवसर विकसित करने में मदद कर सकता है, जिससे निम्न आय वर्ग को लाभ होगा। 
    • उदाहरण: Karya, जो एक भारतीय स्टार्ट-अप है ग्रामीण श्रमिकों को AI डेटा एनोटेशन नौकरियाँ प्रदान करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी कर रहा है।
  • अनुकूलित कल्याणकारी योजनाओं के लिए AI: AI कल्याणकारी सेवाओं की डिलीवरी को बढ़ा सकता है, लक्षित वितरण सुनिश्चित कर सकता है और लीकेज को कम कर सकता है। 
    • उदाहरण: EasyGov AI चैटबॉट नागरिकों को रियलटाइम पात्रता जाँच के आधार पर सरकारी कल्याणकारी योजनाओं की पहचान करने और उन तक पहुँचने में सहायता करता है।
  • निम्न आय वर्ग में वित्तीय साक्षरता के लिए AI: AI निम्न आय वर्ग के समुदायों में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे व्यक्तियों को अपने वित्त का प्रबंधन करने और गरीबी से बचने में मदद मिल सकती है। 
    • उदाहरण: एक्सेंचर लैब्स और ग्रामीण फाउंडेशन इंडिया ने निम्न आय वाली महिलाओं की वित्तीय क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार के लिए एआई आधारित अनुप्रयोग विकसित किए हैं।

समावेशन के लिए AI का लाभ उठाने में चुनौतियाँ

  • डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित इंटरनेट पहुँच AI प्रौद्योगिकियों की पहुँच और लाभ को सीमित करती है। 
    • उदाहरण: NSSO के अनुसार, केवल 24% ग्रामीण भारतीय घरों में इंटरनेट की पहुँच है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 66% है।
  • AI एल्गोरिदम में पूर्वाग्रह: खराब डेटा विविधता, परिणामों का कारण बन सकती है और सामाजिक पूर्वाग्रहों को मजबूत कर सकती है। 
    • उदाहरण: नीति आयोग द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय रणनीति, डेटा चयन पूर्वाग्रह के कारण भेदभाव के जोखिमों को उजागर करती है।
  • निम्न‌ AI साक्षरता: नागरिकों में AI उपकरणों की समझ की कमी है, जिससे उनका पूरा उपयोग नहीं हो पाता। 
    • उदाहरण: IndiaAI पहल का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच सुनिश्चित करते हुए टियर 2 और टियर 3 शहरों में AI शिक्षा का विस्तार करके इस अंतर को कम करना है।
  • अपर्याप्त डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर: खंडित या खराब गुणवत्ता वाला डेटा सार्वजनिक प्रणालियों में AI की स्केलिबिलिटी को बाधित करता है। 
    • उदाहरण: राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति, शासन में डेटा प्रबंधन और सुरक्षा मानकों को मानकीकृत करने का प्रयास करती है।
  • निजी क्षेत्र का प्रभुत्व: निजी हाथों में केंद्रित नवाचार सार्वजनिक कल्याण में AI के अनुप्रयोग को सीमित करता है। 
    • उदाहरण: ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा रिस्पांसिबल AI पहल सामाजिक कल्याण के लिए AI को निर्देशित करने हेतु सार्वजनिक-निजी सहयोग की वकालत करती है।

समावेशी विकास के लिए बहुआयामी नीति ढाँचा

  • लिंग-संवेदनशील बजट: लक्षित व्यय से महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय पहुँच में सुधार होता है। 
    • उदाहरण: जेंडर बजट 2024-25 के लिए ₹ 3.09 लाख करोड़ आवंटित किए गए, जो कुल बजट का लगभग 6.5% है।
  • AI नैतिकता और विनियमन: AI सिस्टम को निष्पक्ष और जवाबदेह बनाए रखने के लिए नियमों की आवश्यकता है। 
    • उदाहरण: डिजिटल इंडिया अधिनियम (2023) का मसौदा पारदर्शिता के लिए नैतिक मानकों और एल्गोरिदम ऑडिट का प्रस्ताव करता है।
  • सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य को मजबूत करना: अधिक निवेश से बुनियादी सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित होती है। 
    • उदाहरण: NEP 2020 और पोषण अभियान का उद्देश्य बुनियादी साक्षरता और बाल पोषण में सुधार करना है।
  • स्थानीयकृत AI नवाचार: AI के अंतर्गत क्षेत्रीय भाषाओं और स्थानीय विकास संदर्भों को प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए। 
    • उदाहरण: भाषिणी परियोजना समावेशी शिक्षा और शासन के लिए बहुभाषी AI उपकरण सक्षम करती है।
  • सार्वभौमिक डिजिटल अवसंरचना: उपकरणों, कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता तक पहुँच का विस्तार करना। 
    • उदाहरण: PM-WANI शहरी-ग्रामीण डिजिटल अंतर को कम करने के लिए सार्वजनिक डेटा कार्यालयों के माध्यम से मुफ्त वाई-फाई प्रदान करता है।

भारत का मानव विकास सूचकांक में प्रगति करना, मजबूत मानव विकास प्रयासों को दर्शाता है। फिर भी, असमानता एक संरचनात्मक बाधा के रूप में बनी हुई है। नैतिक AI, लक्षित निवेश और समावेशी शासन को एकीकृत करके  भारत अपने विकास प्रतिमान को बदल सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि AI युग में कोई भी पीछे न छूटे।

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