Q. भारत में समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र एक विरोधाभास स्थिति को दर्शाता है, जहाँ कुल उत्पादन उच्च स्तर पर बना हुआ है, लेकिन गरीबी एवं जैव विविधता का ह्रास गहरा होता जा रहा है। इस विरोधाभास का विश्लेषण कीजिए और ‘एकीकृत राष्ट्रीय मत्स्य पालन शासन ढाँचे’ की आवश्यकता का मूल्यांकन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
  • उच्च समग्र उत्पादन लेकिन बढ़ती गरीबी और जैव विविधता ह्वास के विरोधाभास के पीछे के कारणों पर चर्चा कीजिए।
  • एकीकृत राष्ट्रीय मत्स्यपालन शासन ढाँचे की आवश्यकता का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर

मत्स्यपालन क्षेत्र आय और रोजगार का एक प्रमुख चालक है, जो सहायक उद्योगों को सहायता प्रदान करता है, किफायती पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराता है और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों के लिए महत्त्वपूर्ण आजीविका स्रोत के रूप में कार्य करता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मत्स्यपालन क्षेत्र का महत्त्व

  • रोजगार और आजीविका: मत्स्यपालन भारत में तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जो 28 मिलियन से अधिक आजीविका का समर्थन करते हुए खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करता है।
  • आर्थिक योगदान: मत्स्यपालन भारत के सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) में 1.24% और कृषि GVA में 7.28% का योगदान देता है, जो कृषि अर्थव्यवस्था में इसके महत्त्व को दर्शाता है।
  • निर्यात आय: वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने 7.38 बिलियन डॉलर मूल्य के 1.78 मिलियन टन समुद्री भोजन का निर्यात किया, जिसमें फ्रोजन झींगा प्रमुख उत्पाद था।
  • खाद्य एवं पोषण सुरक्षा: मछली प्रोटीन और आवश्यक पोषक तत्त्वों का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जो कुपोषण से निपटने और विशेष रूप से तटीय तथा नदी क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

विरोधाभास के पीछे कारण: उच्च समग्र उत्पादन लेकिन बढ़ती गरीबी और जैव विविधता ह्वास

  • लाभ का असमान वितरण: छोटे पैमाने के मछुआरे मत्स्य पालन आबादी का 90% हिस्सा हैं, लेकिन इसका केवल लगभग 10% हिस्सा उनके पास होता है, जबकि मशीनीकृत संचालन इस क्षेत्र पर हावी है।
  • मछुआरा समुदायों में गरीबी: लगभग 61% समुद्री मछुआरा परिवार राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं, जो दर्शाता है कि उत्पादन में वृद्धि से अधिकांश लोगों की आजीविका में सुधार नहीं हुआ है।
  • अत्यधिक मत्स्यन और बायकैच: विनाशकारी मत्स्यन प्रथाओं, जैसे कि झींगा मछली मत्स्यन, के परिणामस्वरूप पर्याप्त बायकैच होता है।
    • उदाहरण: झींगा ट्रॉलिंग से बड़े पैमाने पर बायकैच अनुपात (10:1) उत्पन्न होता है, जिनमें से अधिकांश किशोर या गैर-लक्षित प्रजातियाँ होती हैं।
  • किशोर मछलियों का शिकार और पर्यावास क्षरण: छोटे जाल आकार (<25 मिमी.) के कारण किशोर मछलियों के पकड़े जाने से स्पॉनिंग स्टॉक बायोमास में कमी आती है, जिसके कारण सार्डाइन और मैकेरल जैसी व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण प्रजातियों में दीर्घकालिक गिरावट आती है।
  • खंडित विनियामक ढाँचा: प्रत्येक तटीय राज्य का अपना समुद्री मत्स्य विनियमन अधिनियम (MFRA) है, जिसके कारण नियमों का एक ऐसा समूह बन जाता है, जिससे संरक्षण प्रयासों को नुकसान पहुँचता है।

एकीकृत राष्ट्रीय मत्स्यपालन शासन ढाँचे की आवश्यकता का मूल्यांकन

  • विनियमों का सामंजस्य: एक एकीकृत ढाँचा राज्यों में विनियमों को मानकीकृत करेगा, जिससे देश भर में सुसंगत संरक्षण उपायों को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  • विज्ञान आधारित प्रबंधन: वर्ष 1986 में शुरू किए गए न्यूजीलैंड के मॉडल के समान कोटा प्रबंधन प्रणाली को लागू करने से मछली पकड़ने की अनुमति को स्टॉक मूल्यांकन के साथ संरेखित किया जा सकेगा, जिससे संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा।
  • सुदृढ़ प्रवर्तन: एक राष्ट्रीय ढाँचा बेहतर निगरानी, नियंत्रण और निरीक्षण (MCS) तंत्र की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित (IUU) मत्स्यन गतिविधियों में कमी आएगी।
  • सामुदायिक भागीदारी: मछुआरा सहकारी समितियों और स्थानीय समुदायों को समुद्री संसाधनों के सह-प्रबंधक के रूप में सशक्त बनाने से अनुपालन और प्रबंधन में वृद्धि होगी।
    उदाहरण: संधारणीय समुद्री भोजन विकल्पों को बढ़ावा देने में नागरिक और उपभोक्ता भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखण: एक सुसंगत राष्ट्रीय नीति भारत को संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) और सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने में मदद करेगी।

गरीबी और जैव विविधता ह्वास के बीच भारतीय समुद्री मत्स्यपालन क्षेत्र के उच्च उत्पादन का विरोधाभास एक एकीकृत शासन ढाँचे की माँग करता है, जो संधारणीयता, समानता और सामुदायिक भागीदारी पर बल देता है। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस जैसे अवसर इस मुद्दे को उजागर करते हैं और हमें आज की आवश्यकताओं तथा भविष्य की पीढ़ियों की समृद्धि के लिए समुद्री जीवन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करने हेतु प्रोत्साहित करते हैं।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?
Begin Your|

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.