Q. समकालीन भारत में अंधविश्वासी मान्यताओं और प्रथाओं के प्रसार में योगदान देने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों का विश्लेषण कीजिए। जमीनी स्तर पर अंधविश्वास विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग:

  • समकालीन भारत में अंधविश्वासों और प्रथाओं के प्रचलन में योगदान देने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों का विश्लेषण कीजिए।
  • जमीनी स्तर पर अंधविश्वास विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन को उन्नत करने के लिए उपाय सुझाएँ।

 

उत्तर:

अंधविश्वास ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक कारकों से प्रभावित गहरी जड़ें जमाए हुए विश्वासों एवं प्रथाओं के कारण कायम है । ड्रग्स और मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 जैसे कानूनों के बावजूद , ये मान्यताएँ अक्सर विभिन्न कमियों और प्रवर्तन चुनौतियों के कारण कानूनी जाँच से बच जाती हैं ।

अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक कारक:

  • ऐतिहासिक कारण: भारत का इतिहास उन रीति-रिवाजों और प्रथाओं से जुड़ा हुआ है जो सदियों के अस्तित्व के बाद अंधविश्वासों में बदल गए हैं।
    उदाहरण के लिए: ज्योतिष और लग्न में विश्वास, प्राचीन वैदिक ग्रंथों में निहित है , जो समकालीन समाज में निर्णयों को प्रभावित करना जारी रखता है।
  • सांस्कृतिक परंपराएँ: कई अंधविश्वास, सांस्कृतिक अनुष्ठानों और समारोहों में गहराई से समाए हुए हैं, जो पहचान और सामाजिक सामंजस्य का अभिन्न अंग बन गए हैं
    उदाहरण के लिए: विवाह समारोहों के दौरान काली बिल्लियों से बचने जैसी प्रथाएँ सांस्कृतिक संचरण के कारण प्रचलित हैं।
  • शैक्षिक अंतराल: शिक्षा और वैज्ञानिक जागरूकता की कमी अंधविश्वासों को बढ़ावा देती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में
    उदाहरण के लिए: कम शिक्षित समुदाय ,चिकित्सा समाधानों के बजाय स्वास्थ्य समस्याओं के लिए पारंपरिक उपचारकों और अनुष्ठानों का सहारा ले सकते हैं।
  • सामाजिक पदानुक्रम: जाति और समुदाय की गत्यात्मकता अक्सर सामाजिक व्यवस्था और नियंत्रण बनाए रखने के लिए अंधविश्वासी प्रथाओं को मजबूत करती है
    उदाहरण के लिए: ग्रामीण भारत में, समुदाय अक्सर सामाजिक सामंजस्य और पहचान बनाए रखने के लिए स्थानीय आत्माओं या देवताओं को प्रसन्न करने जैसी अंधविश्वासी मान्यताओं को बनाए रखते हैं। ये प्रथाएँ सांस्कृतिक परंपराओं को सामाजिक व्यवस्था से जोड़कर, समुदायों के भीतर दैनिक निर्णयों और अंतःक्रियाओं को प्रभावित करके जाति-आधारित पदानुक्रम को मजबूत करती हैं।
  • आर्थिक कारक: आर्थिक असुरक्षा के कारण व्यक्ति अंधविश्वासी प्रथाओं के माध्यम से आश्वासन प्राप्त करने की कोशिश करता है, जिसका अक्सर वित्तीय लाभ के लिए शोषण किया जाता है
    उदाहरण के लिए: आर्थिक रूप से हताश व्यक्ति, समृद्धि प्राप्त करने के लिए ज्योतिषियों या तांत्रिकों के पास जाते हैं।

अंधविश्वास विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन को उन्नत करने के उपाय:

  • जन जागरूकता अभियान: अंधविश्वास के नुकसान के बारे में लोगों को शिक्षित करना चाहिए और निरंतर अभियानों के माध्यम से
    वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना चाहिए। उदाहरण के लिए: सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम मीडिया का उपयोग करके आम अंधविश्वासों का खंडन करते हैं और कानूनी परिणामों को उजागर करते हैं।
  • कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण: अंधविश्वास से जुड़े मामलों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और बिना किसी पक्षपात के निपटाने के लिए
    पुलिस और न्यायपालिका को संवेदनशील बनाना । उदाहरण के लिए: अंधविश्वासों की पहचान करने और उन्हें प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए पुलिस अधिकारियों के लिए नियमित कार्यशालाएँ आयोजित करना
  • सामुदायिक सहभागिता: अंधविश्वासों के खिलाफ़ वकालत करने और पीड़ितों की सहायता करने के लिए स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगों की मदद ले चाहिए।
    उदाहरण के लिए: कानून प्रवर्तन के प्रति समुदाय के प्रतिरोध को कम करने के लिए मध्यस्थता करने और शिक्षा प्रदान करने हेतु गैर सरकारी संगठनों और सामुदायिक नेताओं के साथ सहयोग करना चाहिए।
  • कानूनी ढांचे को मजबूत करना: खामियों को दूर करने और दंडनीय अंधविश्वासी प्रथाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के लिए
    मौजूदा कानूनों में संशोधन करना। उदाहरण के लिए: ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट में संशोधन करके विशिष्ट हानिकारक प्रथाओं को शामिल करना और उनकी प्रवर्तनीयता में सुधार करना।
  • पीड़ित सहायता प्रणाली: अंधविश्वास के शिकार लोगों की सहायता करना जिसमें वित्तीय, कानूनी और मनोवैज्ञानिक सहायता शामिल है।
    उदाहरण के लिए: अंधविश्वास से पीड़ित व्यक्तियों की, उनके जीवन को फिर से बनाने में सहायता करने के लिए पीड़ित मुआवजा कोष और पुनर्वास कार्यक्रम बनाना ।

भविष्य  में अंधविश्वास को मिटाने के लिए शिक्षा, कानूनी सुधार और सामुदायिक सहभागिता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। तर्कसंगत मानसिकता को बढ़ावा देने और अंधविश्वास विरोधी कानूनों के सुदृढ़ प्रवर्तन को सुनिश्चित करके, भारत हानिकारक मान्यताओं से मुक्त वैज्ञानिक रूप से विकसित समाज की ओर प्रगति कर सकता है ।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.