Q. ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले, संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में 'स्कैम कंपाउंड' से संचालित, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, साइबर जबरन वसूली और आधुनिक दासता के खतरनाक अभिसरण को उजागर करते हैं। इस उभरते खतरे की सीमा-पार संरचना और भारत पर इसके 'दोहरे संकट' प्रभाव का विश्लेषण कीजिए। इन नेटवर्कों को समाप्त करने और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक बहुआयामी रणनीति सुझाइए। (250 शब्द, 15 अंक)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • अंतरराष्ट्रीय अपराध और साइबर जबरन वसूली का अभिसरण भारत के लिए किस प्रकार खतरा है।
  • इसका भारत पर प्रभाव लिखिए।
  • बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है।

उत्तर

“डिजिटल अरेस्ट” घोटालों  का बढ़ना, जहाँ ठगी करने वाले स्वयं को कानून प्रवर्तन एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को धोखा देते हैं, यह दर्शाता है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट तकनीक, मानव तस्करी और कमजोर शासन तंत्र का दुरुपयोग कर सीमाओं के पार कार्य कर रहे हैं। म्याँमार और कंबोडिया जैसे देशों के ठिकानों से संचालित ये गिरोह भारतीयों को शिकार और जबरन अपराध करवाने वाले श्रमिकों दोनों के रूप में निशाना बना रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय और मानव सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध और साइबर उगाही का खतरा

  • नागरिक विश्वास और डिजिटल आत्मविश्वास का ह्रास:  बड़े पैमाने पर होने वाले ये घोटाले कानून प्रवर्तन एजेंसियों और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोगों के विश्वास को कमजोर करते हैं, जिससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • भारतीयों का सीमा पार तस्करी में फँसना: फर्जी नौकरियों के विज्ञापनों के माध्यम से भारतीयों को विदेश भेजकर तस्करी की जाती है और उन्हें जबरन साइबर अपराध करवाने के लिए बंधक बना लिया जाता है।
    • उदाहरण: कई भारतीयों को थाईलैंड के रास्ते म्याँमार के मिलिशिया-नियंत्रित स्कैम सेंटर्स में ले जाया गया।
  • भारत की साइबर सुरक्षा क्षमता को चुनौती:  इन अपराधों का सीमा-पार स्वरूप भारतीय एजेंसियों की न्यायिक पहुँच और डिजिटल फॉरेंसिक जाँच को जटिल बनाता है।
  • अवैध वित्तीय प्रवाह को बढ़ावा:  ठगी से प्राप्त धनराशि को म्यूल अकाउंट्स और क्रिप्टो चैनलों के माध्यम से शोधन) किया जाता है, जिससे वित्तीय अखंडता को नुकसान पहुँचता है।
    •  उदाहरण: कंबोडिया के Huione Pay प्लेटफॉर्म के जरिए धनराशि को क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित किया जाता है।
  • कूटनीतिक और क्षेत्रीय सुरक्षा को कमजोर करना:  राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्रों में ये ऑपरेशन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और भारत के क्षेत्रीय सहयोग के प्रयासों दोनों को कमजोर करते हैं।

भारत पर दोहरी संकट की स्थिति

  • मानवीय संकट: विदेशों में फँसे भारतीय नागरिक यातना, कैद  और जबरन श्रम का सामना कर रहे हैं, जिससे सरकार को कूटनीतिक बचाव मिशन चलाने पड़ते हैं।
  • साइबर अपराध संकट: इन्हीं गिरोहों द्वारा भारत में ही हजारों लोगों को ठगा जा रहा है, जिससे वित्तीय असुरक्षा बढ़ रही है।
    • उदाहरण: “पिग-बुचरिंग स्कैम” में ठग पीड़ितों से विश्वास बनाकर उन्हें फर्जी क्रिप्टो निवेश में पैसा लगाने को राजी करते हैं।
  • प्रतिष्ठा को नुकसान: भारत को एक कमजोर डिजिटल बाजार के रूप में देखा जाने का जोखिम है, जिससे वैश्विक फिनटेक और साइबर सुरक्षा साझेदारियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
  • संसाधनों का विभाजन: कानून प्रवर्तन और कूटनीतिक संसाधन एक साथ बचाव मिशनों और अभियोजन कार्यों के बीच विभाजित हो रहे हैं।
  • सार्वजनिक चिंता:  डिजिटल उगाही का भय नागरिकों की ऑनलाइन गवर्नेंस और बैंकिंग प्लेटफॉर्म के साथ सहभागिता को बाधित कर रहा है।

नेटवर्क समाप्त करने और नागरिकों की सुरक्षा के लिए बहुआयामी रणनीति

  • साइबर अपराध पुलिसिंग और फॉरेंसिक को सशक्त बनाना: CERT-In और राज्य पुलिस के अंतर्गत रियल-टाइम ट्रैकिंग और AI-आधारित निगरानी के साथ साइबर अपराध शाखाओं का विस्तार किया जाए।
  • जागरूकता अभियान शुरू करना:  RBI और गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर “डिजिटल अरेस्ट” और ऑनलाइन जॉब फ्रॉड्स के विरुद्ध चेतावनी अभियान चलाए जाएँ।
  • कूटनीतिक समन्वय बढ़ाना:  ASEAN, चीन और संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर म्याँमार और कंबोडिया पर स्कैम सेंटर बंद करने का दबाव डाला जाए।
  • क्रिप्टोकरेंसी और सीमा-पार भुगतान का नियमन:  KYC मानकों को सख्त करें, ब्लॉकचेन निगरानी बढ़ाएँ और म्यूल अकाउंट्स के माध्यम से मनी लॉण्ड्रिंग पर रोक लगाएँ।
  • बचाव और पुनर्वास ढाँचा विकसित करना: पीड़ितों की वापसी, परामर्श और पुनर्वास के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित की जाए।
    • उदाहरण: भारत ने वर्ष 2024 में थाईलैंड के सहयोग से म्याँमार से कई भारतीयों को बचाया था।

निष्कर्ष

“डिजिटल अरेस्ट” घोटाले दिखाते हैं कि साइबर अपराध अब एक सँकर खतरा बन चुका है, जिसमें तकनीक, मानव तस्करी और वैश्विक वित्तीय नेटवर्क का संगम है। भारत को कानून प्रवर्तन, कूटनीति और तकनीकी सतर्कता के समन्वित प्रयासों से इसे रोकना होगा, साथ ही मानवीय उत्तरदायित्व निभाते हुए अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

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