Q. "यद्यपि नर्सें भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का मूल आधार हैं, लेकिन नीतियों के निर्माण के समय अक्सर उनकी अनदेखी कर दी जाती है।" विश्लेषण कीजिये कि नर्सिंग भूमिकाओं की प्रणालीगत उपेक्षा भारत के स्वास्थ्य शासन में व्यापक विफलताओं को कैसे दर्शाती है। कौन से संस्थागत तंत्र अधिक समावेशी स्वास्थ्य कार्यबल नियोजन सुनिश्चित कर सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण अंग होने के बावजूद स्वास्थ्य संबंधी नीतियों में नर्सों का अधिक ध्यान क्यों नहीं रखा जाता।
  • विश्लेषण कीजिए कि किस प्रकार नर्सिंग भूमिकाओं की प्रणालीगत उपेक्षा भारत के स्वास्थ्य प्रशासन में व्यापक विफलताओं को दर्शाती है।
  • उन संस्थागत तंत्र का सुझाव दीजिए जो अधिक समावेशी स्वास्थ्य कार्यबल नियोजन सुनिश्चित कर सकें।

उत्तर

नर्सें भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं, जो स्वास्थ्य कार्यबल का लगभग 30% हिस्सा हैं। फ्रंटलाइन केयर प्रदान करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, स्वास्थ्य नीति और कार्यबल नियोजन में उनकी उपेक्षा की गई है जो प्रणालीगत शासन अंतराल को दर्शाता है जो न्यायसंगत और कुशल स्वास्थ्य सेवा वितरण में बाधा डालता है।

नीति नियोजन में नर्सों की उपेक्षा क्यों हुई

  • निम्न नर्स-रोगी अनुपात: सरकारी अस्पताल अक्सर अपर्याप्त स्टाफ के साथ काम करते हैं, जिससे रोगी देखभाल उचित रूप से नहीं हो पाती।
    • उदाहरण: MGMMCH, जमशेदपुर में 540 बेड के लिए केवल 13 नर्स हैं जबकि आवश्यकता 70 की है
  • अपर्याप्त मुआवजा: नर्सों को अक्सर ऐसा वेतन मिलता है जो उनकी योग्यता या कार्यभार के अनुरूप नहीं होता। 
    • उदाहरण: कई सार्वजनिक अस्पतालों में नर्सों के लिए मानकीकृत न्यूनतम वेतन का अभाव है जिससे असंतोष उत्पन्न होता है।
  • सीमित करियर उन्नति: नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए स्पष्ट पदोन्नति मार्गों और अवसरों की अनुपस्थिति, दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को हतोत्साहित करती है।
  • लिंग आधारित कलंक: नर्सिंग, मुख्य रूप से महिलाओं का पेशा है,यह मानकर उनकी अपेक्षा की जाती है।
    • उदाहरण: नर्सें, अक्सर पेशेवर सम्मान की कमी के अनुभवों का सामना करती हैं जिससे मनोबल प्रभावित होता है।
  • नीति बहिष्कार: स्वास्थ्य नीति निर्माण और निर्णय लेने वाली संस्थाओं में नर्सो की संख्या न के बराबर होती है।
    • उदाहरण: प्रमुख स्वास्थ्य समितियों में अक्सर नर्सिंग प्रतिनिधित्व की कमी होती है, जिसके कारण ऐसी नीतियाँ बनती हैं जो उनकी आवश्यकताओं को नजरअंदाज़ करती हैं।

प्रणालीगत उपेक्षा, व्यापक स्वास्थ्य प्रशासन विफलताओं को दर्शाती है

  • शहरी-ग्रामीण विषमताएँ: नर्सिंग स्टाफ़ सहित स्वास्थ्य सेवा संसाधन असमान रूप से वितरित हैं, ग्रामीण क्षेत्र इनसे वंचित हैं। 
    • उदाहरण: जैसलमेर जैसे सीमावर्ती जिलों में नर्सिंग के पद लगातार खाली पड़े है, जिससे सेवा वितरण प्रभावित हो रहा है।
  • अपर्याप्त कार्यबल नियोजन: डेटा-संचालित रणनीतियों की कमी से नर्सों की तैनाती में विसंगति उत्पन्न होती है।
  • विनियामक अंतराल: नर्सिंग शिक्षा और अभ्यास में असंगत मानक सेवा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
    उदाहरण: भारतीय नर्सिंग परिषद, राज्यों में समान शैक्षिक मानकों को लागू करने में संघर्ष करती है।
  • कमजोर संस्थागत तंत्र: विकेंद्रीकृत शासन के कारण नर्सिंग सेवाओं की निगरानी खंडित हो जाती है।
    उदाहरण: नर्सिंग काउंसिल की प्रभावशीलता में राज्य-स्तरीय भिन्नता के परिणामस्वरूप नीति कार्यान्वयन में असमानता होती है।
  • प्रशिक्षण में सीमित निवेश: नर्सिंग शिक्षा के लिए अपर्याप्त धनराशि कौशल विकास को प्रभावित करती है।

समावेशी स्वास्थ्य कार्यबल नियोजन के लिए संस्थागत तंत्र

  • राष्ट्रीय नर्सिंग परिषद सुधार स्थापित करना: मानकीकृत शिक्षा और अभ्यास सुनिश्चित करने के लिए
    भारतीय नर्सिंग परिषद को मजबूत करना चाहिए।

    • उदाहरण: सभी नर्सिंग संस्थानों में एक समान मान्यता प्रक्रिया और पाठ्यक्रम लागू करना चाहिए।
  • नर्सों को नीति-निर्माण में शामिल करना: स्वास्थ्य नीति और योजना निकायों में नर्सिंग प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।
    • उदाहरण: फ्रंटलाइन दृष्टिकोणों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन समितियों में नर्सों को शामिल करना चाहिए।
  • व्यापक कार्यबल नियोजन उपकरण विकसित करना: नर्सिंग आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने और योजना बनाने के लिए डेटा-संचालित मॉडल अपनाना।
    • उदाहरण: रणनीतिक तैनाती के लिए WHO के HRH नियोजन ढाँचे जैसे उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
  • करियर को बेहतर बनाना: प्रतिभा को बनाए रखने के लिए स्पष्ट पदोन्नति और विशेषज्ञता ट्रैक बनाने चाहिए।
    • उदाहरण: विकास के अवसर प्रदान करने के लिए एडवांस्ड प्रैक्टिस नर्स की भूमिकाएँ शूरू करनी चाहिए।
  • सतत शिक्षा में निवेश करना: सतत प्रशिक्षण और कौशल संवर्धन के लिए धन आवंटित करना।

नर्सों की व्यवस्थागत उपेक्षा को दूर करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन में व्यापक सुधार की आवश्यकता है जिसमें समान कार्यबल नियोजन, समावेशी नीति-निर्माण और मजबूत संस्थागत समर्थन पर बल दिया जाना चाहिए। रणनीतिक निवेश और प्रतिनिधित्व के माध्यम से नर्सों को सशक्त बनाना, भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करेगा और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करेगा।

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