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Q. आय असमानता को कम करने में समावेशन एवं न्यायसंगतता की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में वर्तमान उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

                                                                प्रश्न की मुख्य माँग

  • आय असमानता को कम करने में समावेशन एवं न्यायसंगता की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। 
  • इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मौजूदा उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। 
  • आगे का राह सुझाएँ।

 

उत्तर:

संसाधनों, अवसरों एवं सामाजिक सेवाओं तक उचित पहुँच सुनिश्चित करके आय असमानता को कम करने के लिए समावेशन तथा न्यायसंगतता महत्त्वपूर्ण है। संरचनात्मक असमानताओं को दूर करना एवं समान विकास को बढ़ावा देना हाशिए पर रहने वाले समूहों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इस तरह के उपाय आय एवं धन के अधिक संतुलित वितरण में योगदान करते हैं, एक ऐसे समाज को आगे बढ़ाते हैं जहाँ आर्थिक लाभ अधिक व्यापक रूप से साझा किए जाते हैं।

आय असमानता को कम करने में समावेशन एवं समानता का विश्लेषण

  • प्रगतिशील कराधान: प्रगतिशील कराधान को लागू करने से अमीरों से हाशिए पर रहने वाले लोगों तक धन का पुनर्वितरण, सामाजिक कार्यक्रमों एवं सार्वजनिक सेवाओं का वित्तपोषण सुनिश्चित होता है।
    • उदाहरण के लिए: भारत के आयकर अधिनियम में प्रगतिशील दरें शामिल हैं जहाँ अधिक कमाई करने वालों पर अधिक कर लगाया जाता है, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसी फंडिंग पहल की जाती है।
  • शिक्षा एवं कौशल विकास: विशेष रूप से वंचित समूहों के लिए रोजगार क्षमता एवं आय के स्तर में सुधार के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा कौशल विकास तक पहुँच महत्त्वपूर्ण है।
    • उदाहरण के लिए: समग्र शिक्षा अभियान का लक्ष्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी बच्चों एवं युवाओं के लिए समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करना है।
  • निष्पक्ष श्रम कानून: श्रम कानूनों को लागू करने से न्यूनतम मजदूरी, नौकरी की सुरक्षा एवं सुरक्षित कामकाजी स्थितियाँ सुनिश्चित होती हैं, श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा होती है तथा आय असमानता कम होती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 विभिन्न क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन दरों को अनिवार्य करता है, जो कम आय वाले श्रमिकों को शोषण से बचाता है।
  • बुनियादी ढाँचे में निवेश: बुनियादी ढाँचे में निवेश, विशेष रूप से अविकसित क्षेत्रों में, आवश्यक सुविधाएँ एवं बाजारों तक पहुँच प्रदान करके आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देता है।
    • उदाहरण के लिए: भारतमाला परियोजना दूरदराज के क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क विकसित करने, कनेक्टिविटी बढ़ाने एवं स्थानीय आबादी को लाभ पहुँचाने वाली आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • छोटे एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए समर्थन: SMEs को समर्थन देने से स्थानीय उद्यमशीलता एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलता है, विशेषकर कम सेवा वाले क्षेत्रों में।
    • उदाहरण के लिए: मुद्रा (MUDRA) योजना छोटे उद्यमियों को सूक्ष्म-वित्तपोषण प्रदान करती है, वित्तीय समावेशन को बढ़ाती है एवं कम आय वाले समुदायों में रोजगार सृजन का समर्थन करती है।

वर्तमान उपायों का मूल्यांकन

  • प्रगतिशील कराधान की प्रभावशीलता: हालाँकि भारत में प्रगतिशील कराधान का उद्देश्य धन का पुनर्वितरण करना है, कमियाँ एवं कर चोरी इसकी प्रभावशीलता को कमजोर करती हैं।
    • उदाहरण के लिए: प्रगतिशील कर दरों के बावजूद, भारत के शीर्ष कमाई करने वालों के बीच धन संकेंद्रण उच्च बना हुआ है, जो सख्त कर प्रवर्तन की आवश्यकता को दर्शाता है।
  • शिक्षा एवं कौशल विकास कार्यक्रम: वर्तमान शिक्षा एवं कौशल विकास पहलों ने पहुँच में सुधार किया है लेकिन अक्सर गुणवत्ता के मुद्दों तथा क्षेत्रीय असमानताओं के कारण सीमित हैं।
    • उदाहरण के लिए: कौशल भारत मिशन कई युवाओं तक पहुँच गया है, लेकिन शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच प्रशिक्षण की गुणवत्ता में असमानताएँ बनी हुई हैं, जिससे असमानता को कम करने में इसकी प्रभावशीलता सीमित हो गई है।
  • निष्पक्ष श्रम कानूनों का प्रवर्तन: हालाँकि श्रमिकों की सुरक्षा के लिए श्रम कानून मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रवर्तन असंगत है, विशेषकर अनौपचारिक क्षेत्र में।
    • उदाहरण के लिए: न्यूनतम वेतन अधिनियम के बावजूद, कृषि एवं घरेलू कार्य में कई अनौपचारिक श्रमिकों को खराब प्रवर्तन के कारण कानूनी सीमा से कम वेतन मिलता है।
  • बुनियादी ढाँचा निवेश एवं क्षेत्रीय असमानताएँ: बुनियादी ढाँचा निवेश ने बड़े पैमाने पर पहले से ही विकसित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे क्षेत्रीय असमानताएँ बढ़ गई हैं।
    • उदाहरण के लिए: स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अधिकांश निवेश महानगरीय क्षेत्रों में केंद्रित किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा एवं कनेक्टिविटी रह गई है।
  • SMEs एवं वित्तीय समावेशन के लिए समर्थन: SMEs के लिए समर्थन कुछ क्षेत्रों में प्रभावी रहा है, लेकिन कई वंचित क्षेत्रों में वित्त तथा बाजारों तक पहुँच एक बाधा बनी हुई है।
    • उदाहरण के लिए: स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत, महिलाओं एवं SC/ST उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुँच बढ़ी है।

आगे की राह

  • प्रगतिशील कराधान को मजबूत करना: पारदर्शिता बढ़ाने एवं नियमों को सख्त करने से प्रगतिशील कराधान की प्रभावशीलता बढ़ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: आधार-आधारित ट्रैकिंग एवं बेहतर डिजिटल बुनियादी ढाँचे का उपयोग कर चोरी को कम करने, अधिक न्यायसंगत धन वितरण को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
  • शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण को बढ़ाना: शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एवं कौशल विकास कार्यक्रमों को बाजार की जरूरतों के साथ जोड़कर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी नागरिकों को अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने का अवसर मिले।
    • उदाहरण के लिए: डिजिटल साक्षरता एवं 21वीं सदी के कौशल को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पाठ्यक्रम को अद्यतन करने का उद्देश्य छात्रों को भविष्य के नौकरी बाजारों के लिए बेहतर ढंग से तैयार करना है।
  • श्रम कानूनों का निष्पक्ष प्रवर्तन सुनिश्चित करना: श्रम निरीक्षणों को मजबूत करना एवं अनुपालन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: श्रम कानून अनुपालन के लिए डिजिटल निगरानी उपकरण तैनात करने से पारदर्शिता बढ़ सकती है एवं श्रमिकों के अधिकारों की अधिक प्रभावी ढंग से रक्षा हो सकती है।
  • संतुलित बुनियादी ढाँचा विकास: अविकसित क्षेत्रों में अधिक संसाधनों को निर्देशित करना एवं संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करना आय असमानताओं को कम कर सकता है तथा समावेशी विकास को बढ़ावा दे सकता है।
    • उदाहरण के लिए: ग्रामीण कनेक्टिविटी में सुधार के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का विस्तार करने से दूरदराज के क्षेत्रों को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने में मदद मिल सकती है।
  • SMEs के लिए समर्थन का विस्तार: SMEs के लिए वित्त एवं बाजारों तक पहुँच बढ़ाना, विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में, स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है तथा आय असमानता को कम कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड की पहुँच बढ़ाने से पिछड़े क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान किया जा सकता है।

भारत में आय समानता हासिल करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो समावेशन, समानता एवं सतत विकास पर जोर दे। शिक्षा तक पहुँच बढ़ाकर, निष्पक्ष श्रम कानूनों को लागू करके तथा क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देकर, भारत अधिक न्यायसंगत समाज की ओर बढ़ सकता है। भविष्य की नीतियों को संरचनात्मक असमानताओं को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आर्थिक विकास से समाज के सभी वर्गों को लाभ हो।

 

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