Q. एक महत्त्वपूर्ण लोकतांत्रिक उपकरण होने के बावजूद, भारत में निजी सदस्य विधेयक काफी हद तक प्रतीकात्मक बने हुए हैं। उनकी घटती प्रासंगिकता में योगदान देने वाले कारकों की जाँच कीजिए और उनके विधायी महत्त्व को पुनः जीवंत करने के उपाय भी सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)
//php } ?>
Answer will be published shortly.
//php dynamic_sidebar( 'Current Affair' ); ?>
Latest Comments