Q. दक्षिण-पश्चिम एशिया में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद, वर्तमान संदर्भ में भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंधों का विश्लेषण कीजिये । (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: दक्षिण-पश्चिम एशिया में विकसित हो रहे भू-राजनीतिक परिदृश्य का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  • मुख्य विषयवस्तु
    • भारत-सऊदी अरब संबंधों के संदर्भ को स्थापित करते हुए दक्षिण-पश्चिम एशिया क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलावों और विकास के बारे में लिखिए।
    • दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को रेखांकित करने वाले प्रमुख पहलुओं पर चर्चा कीजिए।
  • निष्कर्ष: वर्तमान भू-राजनीतिक संदर्भ में भारत-सऊदी संबंधों के महत्व पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालिए।

परिचय:

तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में, विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम एशिया में, भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय संबंध केंद्र में आ रहे हैं। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद की हालिया भारत यात्रा इस बात को रेखांकित करती है कि दोनों देश अपने संबंधों को कितना महत्व देते हैं।

मुख्य विषयवस्तु:

दक्षिण-पश्चिम एशिया में बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता:

दक्षिण-पश्चिम एशिया का भू-राजनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण बदलावों से गुजर रहा है। नए शक्ति केंद्रों का उदय, बदलती निष्ठाएं और क्षेत्रीय प्रभुत्व की प्रतिस्पर्धा नई चुनौतियों और अवसरों को लेकर आई है। इस उभरते परिदृश्य में, भारत और सऊदी अरब के बीच मजबूत संबंध एक महत्वपूर्ण विकास के रूप में उभर कर सामने आया है, जो जटिलताओं से भरे इस क्षेत्र में एक एकीकृत मोर्चा पेश करता है। 

उन्नत द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण पहलू:

  • उच्च-स्तरीय संलग्नताएँ:
    • फरवरी 2019 के बाद क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की हालिया दूसरी राजकीय यात्रा भारत और सऊदी अरब के बीच लगातार गहरी होती कूटनीतिक और रणनीतिक सम्बन्धों का प्रतीक है।

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    • नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के साथ ही मेल खाते दोनों देशों के बीच समझौते ने भविष्य के लिए एक व्यापक एजेंडा तय किया, जो सुरक्षा से लेकर आर्थिक सहयोग तक विस्तृत हुआ है।
  • रणनीतिक साझेदारी और समझौते:
    • भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की स्थापना दोनों देशों द्वारा साझा किए गए दूरदर्शी दृष्टिकोण का प्रमाण है।
    • आईटी, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स से लेकर पेट्रोकेमिकल्स तक फैले दो दर्जन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जो समय के साथ विकसित हुई बहुआयामी और गतिशील साझेदारी को स्पष्ट करते हैं।
  • चीन की बीआरआई का विकल्प तलाशने का प्रयास:
    • वैश्विक आर्थिक फेरबदल के बीच, G20 शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह सौदे एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम स्पष्ट रूप से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को टक्कर देने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस प्रकार यह रणनीतिक कदम भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा दे सकता है।
    • कनेक्टिविटी को एक स्थायी दिशा” प्रदान करने वाले सौदे की पीएम मोदी की घोषणा वैश्विक व्यापार और सहयोग के नए रास्ते बनाने की भावना को प्रतिध्वनित करती है। 
    • यह नया आर्थिक गलियारा, जिसे “गेम-चेंजर” कहा जाता है, को व्यापार की गतिशीलता को फिर से परिभाषित करने, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को अधिक लचीला बनाने, रसद लागत को कम करने और त्वरित शिपमेंट डिलीवरी सुनिश्चित करने का अनुमान लगाया गया है।
  • मजबूत आर्थिक एवं व्यापारिक संबंध:
    • वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय व्यापार 52.75 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई हासिल करने के साथ, यह स्पष्ट है कि दोनों देश अपने आर्थिक तालमेल का लाभ उठा रहे हैं।
    • सऊदी अरब, ऐतिहासिक रूप से एक तेल समृद्ध देश है, जो न केवल भारत की ऊर्जा मांगों को पूरा करता है बल्कि विभिन्न अन्य क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार के रूप में भी विकसित हो रहा है।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक जुड़ाव:
    • सऊदी अरब में विशाल भारतीय प्रवासी, जो इसकी आबादी का 7% है, ने देश की आर्थिक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • G20 की भूमिका:
    • जी20 शिखर सम्मेलन ने भारत और सऊदी अरब के लिए साझा हितों और समान दृष्टिकोणों को व्यक्त करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।
    • इस शिखर सम्मेलन के दौरान ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार और निवेश और रक्षा जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर जोर देते हुए रणनीतिक हितों के संरेखण पर जोर दिया गया।

निष्कर्ष

दक्षिण-पश्चिम एशिया की उभरती भू-राजनीतिक रूपरेखा के बीच, भारत-सऊदी अरब संबंध आपसी सम्मान, रणनीतिक संरेखण और साझा आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में दिखाई देते हैं। उनकी साझेदारी की बहुआयामी प्रकृति, मजबूत आर्थिक संबंधों और लोगों से लोगों के जुड़ाव(people-to-people connect) से प्रेरित होकर, एक स्थिर और प्रगतिशील मार्ग का वादा करती है। चीन जैसे बड़े खिलाड़ियों द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत और सऊदी अरब इस तरह के सहयोग क्षेत्र में संतुलन बनाकर और सतत विकास को बढ़ावा देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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