प्रश्न की मुख्य माँग
- सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में जवाबदेही की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
- परीक्षण कीजिए कि बाजार-संचालित प्रणाली के अभाव में भारत जवाबदेही को प्रभावी ढंग से कैसे सुनिश्चित कर सकता है।
|
उत्तर
भारत के सरकारी स्कूलों में उच्च नामांकन के बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता असमान बनी हुई है। खराब शिक्षण स्तर, शिक्षकों की अनुपस्थिति और सीमित जवाबदेही तंत्र जैसी चुनौतियाँ, शिक्षण परिणामों में बाधा डालती हैं। गैर-बाजार-संचालित संदर्भ में न्यायसंगत, कुशल और परिणाम-उन्मुख सार्वजनिक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थित जवाबदेही पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है।
पब्लिक स्कूली शिक्षा के सुधार में जवाबदेही की भूमिका
- शिक्षण परिणामों में वृद्धि: जवाबदेही से, शिक्षण अंतराल की पहचान करने और शिक्षकों व स्कूलों के लिए परफॉर्मेंस गोल निर्धारित करने में मदद मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि छात्र आयु-उपयुक्त कौशल हासिल करें।
- शिक्षकों की जवाबदेही को बढ़ावा देता है: शिक्षकों की उपस्थिति पर नजर रखना और उसे उनके प्रदर्शन से जोड़ना, प्रतिबद्धता को बढ़ावा देता है और सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति को कम करता है।
- उदाहरण: दिल्ली के मिशन बुनियाद ने समय-समय पर मूल्यांकन के जरिए शिक्षकों को जवाबदेह बनाकर बुनियादी साक्षरता में सुधार किया।
- सामुदायिक भागीदारी को सशक्त बनाता है: स्कूल के मामलों में अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी से पारदर्शिता बढ़ती है व स्थानीय चिंताओं के प्रति स्कूल स्टाफ की जवाबदेही बढ़ती है।
- उदाहरण: तमिलनाडु जैसे राज्यों में RTE अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से स्कूल प्रबंधन समिति (SMC), स्कूल के व्यय की निगरानी करती है और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
- संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करना: शिक्षा प्रदान करने हेतु सरकारी धन और बुनियादी ढाँचे का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए निगरानी प्रक्रिया को समायोजित करना।
- उदाहरण: गुणोत्सव असम स्कूल की सुविधाओं, कक्षा अभ्यासों और प्रदर्शन में सुधार के लिए निधि उपयोग का ऑडिट करता है।
- डेटा-आधारित निर्णय लेने में सहायता: व्यवस्थित डेटा संग्रहण नीति निर्माताओं को कमियों की पहचान करने और खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों के लिए हस्तक्षेप की योजना बनाने में मदद करता है।
- उदाहरण: UDISE+ साक्ष्य-आधारित नीति और वित्तपोषण के लिए मार्गदर्शन हेतु 14 लाख से अधिक स्कूलों पर विस्तृत डेटा उपलब्ध कराता है।
- भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को कम करता है: सार्वजनिक लेखापरीक्षा और पारदर्शिता स्कूल प्रशासन में कमियाँ और कदाचार को हतोत्साहित करती है।
- उदाहरण: झारखंड में सामाजिक लेखापरीक्षा में स्कूली मध्यान्न भोजन संबंधी योजनाओं और बुनियादी ढाँचा अनुदान में विसंगतियाँ उजागर हुईं।
- लोगों में सार्वजनिक शिक्षा के प्रति विश्वास का निर्माण करना: जब स्कूल जवाबदेह होते हैं, तो माता-पिता अपने बच्चों को वहाँ प्रवेश दिलाने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं, जिससे सरकारी संस्थानों की विश्वसनीयता में सुधार होता है।
बाजार संचालित प्रणालियों के बिना जवाबदेही को लागू करना
- विकेंद्रीकृत शासन को मजबूत करना: स्थानीय सरकारें स्कूल के कामकाज की देखरेख कर सकती हैं, प्रासंगिक समाधान और त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित कर सकती हैं।
- उदाहरण: केरल में पंचायती राज संस्थाएँ स्कूल की गतिविधियों पर सक्रिय रूप से नजर रखती हैं, जिसमें स्टाफ की तैनाती और छात्रों की पढ़ाई शामिल है।
- सामुदायिक निगरानी को संस्थागत बनाना: सामुदायिक भागीदारी बॉटम-अप जवाबदेही सुनिश्चित करती है और स्कूल की गुणवत्ता पर स्वामित्व को प्रोत्साहित करती है।
- पारदर्शिता के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: डिजिटल डैशबोर्ड और रियलटाइम डेटा से स्कूल के प्रदर्शन को उजागर किया जा सकता है, जिससे समय पर हस्तक्षेप संभव हो सकता है।
- उदाहरण: शाला सिद्धि पोर्टल स्कूल के स्व-मूल्यांकन और कार्य योजना की सुविधा प्रदान करता है।
- प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन लागू करना: शिक्षक मूल्यांकन को कक्षा प्रदर्शन से जोड़ने से बेहतर शिक्षण को प्रोत्साहन मिलता है और शिक्षकों की अनुपस्थिति की समस्या में कमी आती है।
- नियमित क्षमता निर्माण: निरंतर प्रशिक्षण सुनिश्चित करता है कि शिक्षक, शैक्षणिक प्रथाओं पर अद्यतन रहें और छात्र परिणामों के लिए उत्तरदायी हों।
- उदाहरण: NISHTHA 3.0 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्तर पर लगभग 25 लाख शिक्षक और स्कूल प्रमुखों को शामिल करने की परिकल्पना की गई है।
- स्कूल के प्रदर्शन का सार्वजनिक प्रकटीकरण: रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित करने से पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और स्कूल हितधारकों के प्रति जवाबदेह बनते हैं।
- उदाहरण: UDISE+ स्कूल-वार रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित करता है, जिससे माता-पिता और समुदाय की निगरानी संभव हो पाती है।
- नागरिक समाज संगठनों को शामिल करना: गैर-सरकारी संगठन, निगरानी और प्रशिक्षण में सहयोग कर सकते हैं, जिससे जवाबदेही की स्वतंत्र परतें बन सकती हैं।
- उदाहरण: प्रथम (Pratham) के ASER सर्वेक्षण से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की कमी का पता चला, जिसके कारण सरकार को बड़े पैमाने पर सुधार करने पड़े।
शिक्षा में सुधार लाने हेतु बेहतर जवाबदेही अति आवश्यक है। सामुदायिक निगरानी, डेटा पारदर्शिता और क्षमता निर्माण को मिलाकर, भारत बाजार आधारित ढाँचे की कमी को दूर कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि सभी बच्चों को निष्पक्ष, कुशल और समावेशी तरीके से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments