Q. डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली (डीएसएस) के सामने आने वाली चुनौतियों और व्यापार बहुपक्षवाद के गैर-न्यायिकीकरण के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। देश इन बाधाओं से कैसे उबर सकते हैं और अपीलीय निकाय की कार्यप्रणाली को कैसे बहाल कर सकते हैं? (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: वैश्विक व्यापार प्रणाली में डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली की भूमिका और महत्व को संक्षेप में समझाते हुए शुरुआत करें और उन मुद्दों का जिक्र करें जिनका यह वर्तमान में सामना कर रहा है।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे स्टाफिंग संकट, प्रक्रियात्मक देरी और इसके अधिदेश पर चर्चा करें।
    • व्यापार बहुपक्षवाद के गैर-न्यायिकीकरण के निहितार्थों को पहचानें और उनका उल्लेख करें।
    • बाधाओं को दूर करने और अपीलीय निकाय की कार्यप्रणाली को बहाल करने के लिए संभावित समाधान सुझाएं।
  • निष्कर्ष: नियम-आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली को संरक्षित करने के लिए ठोस प्रयासों और सुधारों की आवश्यकता पर बल देते हुए, इन चुनौतियों के समाधान के संभावित सकारात्मक निष्कर्ष निकालें।

परिचय:

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद निपटान प्रणाली (डीएसएस) को वैश्विक व्यापार प्रणाली की रीढ़ माना जाता है, जो व्यापारिक विवादों के समाधान और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों का पालन सुनिश्चित करती है। हालाँकि, हाल ही में इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिससे इसकी प्रभावशीलता खतरे में पड़ गई है और व्यापार बहुपक्षवाद के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।

मुख्य विषयवस्तु:

डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली के सामने चुनौतियाँ:

  • स्टाफिंग संकट:
    • अपीलीय निकाय (Appellate Body) को कार्य करने के लिए कम से कम तीन सदस्यों की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ सदस्य देशों, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा नई नियुक्तियों में रुकावट के कारण वर्तमान में इसमें कोई सदस्य नहीं है।
    • इससे निकाय नए मामलों की सुनवाई करने में असमर्थ हो गया है।
  • प्रक्रियात्मक देरी:
    डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली अकसर विवादों को सुलझाने के लिए 90-दिन की समय सीमा अवधि से अधिक समय लेता है, जिससे व्यापार न्याय प्रभावित होता है।
  • अतिशयोक्तिपूर्ण अधिदेश:
    डीएसएस पर डब्ल्यूटीओ समझौतों की उस तरीके से व्याख्या करके अपने अधिदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, जिसकी सदस्य देशों ने कल्पना भी नहीं की थी, जिससे मतभेद पैदा हुआ

व्यापार बहुपक्षवाद के गैर-न्यायिकीकरण के निहितार्थ:

  • व्यापार असमानताएँ:
    डीएसएस के कमजोर होने से नियम-आधारित के बजाय शक्ति-आधारित व्यापार संबंध हो सकते हैं, जिससे छोटे और विकासशील देशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • व्यापार विवादों का बढ़ना:
    एक प्रभावी विवाद निपटान तंत्र की अनुपस्थिति से व्यापार विवाद, व्यापार युद्धों में बदल सकता है, उदाहरण के लिए  हाल ही में अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध इसका जीता जागता प्रमाण है।
  • बहुपक्षवाद का क्षरण:
    गैर-न्यायिकीकरण बहुपक्षवाद को कमजोर कर सकता है, जिससे द्विपक्षीय या क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का प्रसार हो सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार प्रणाली खंडित हो सकती है।

बाधाओं को दूर करना और अपीलीय निकाय की कार्यप्रणाली को बहाल करना:

  • सर्वसम्मति बनाना:
    देशों को अपीलीय निकाय के सदस्यों की नियुक्ति और प्रक्रियात्मक समयसीमा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनानी चाहिए।
  • संरचनात्मक सुधार:
    डब्ल्यूटीओ को निम्न सुधारों पर विचार करना चाहिए-

    • विवाद समाधान के लिए सख्त समयसीमा निर्धारित करना,
    • समझौतों की व्याख्या के लिए स्पष्ट नियम, और
    • पारदर्शिता में वृद्धि ।
  • अस्थायी व्यवस्था:
    अल्पकालिक समाधान के रूप में देश वैकल्पिक व्यवस्था तलाश सकते हैं जैसे यूरोपीय संघ, कनाडा और अन्य द्वारा शुरू की गई मल्टी-पार्टी अंतरिम अपील मध्यस्थता व्यवस्था (Multi-Party Interim Appeal Arbitration Arrangement) ने वैकल्पिक व्यवस्था का पता लगाया है ।
  • संवाद और बातचीत में वृद्धि:
    डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को अपने मतभेदों को सुलझाने और डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली को बहाल करने के लिए रचनात्मक बातचीत और वार्ता में शामिल होने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियाँ व्यापार बहुपक्षवाद के भविष्य को खतरे में डालती हैं। हालाँकि, ठोस प्रयासों, संरचनात्मक सुधारों और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से, सदस्य देश इन बाधाओं को दूर कर सकते हैं और अपीलीय निकाय की कार्यक्षमता को बहाल कर सकते हैं, जिससे निष्पक्ष और नियम-आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली को बनाए रखने में डब्ल्यूटीओ की भूमिका मजबूत हो सकती है।

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