Q. छात्रों के सीखने के अनुभवों और भारत में समग्र शिक्षा प्रणाली पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 (National Curriculum Framework 2023) में प्रस्तावित परिवर्तनों के संभावित प्रभाव पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • भूमिका : राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ)- 2023 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के साथ इसके संरेखण का संक्षेप में परिचय दें।
  • मुख्य विषय-वस्तु:  
    • छात्रों के अधिगम के अनुभवों और भारत में समग्र शिक्षा प्रणाली पर एनसीएफ- 2023 के संभावित प्रभावों पर चर्चा करें।
    • प्रासंगिक उदाहरण अवश्य दें।
  • निष्कर्ष: भारत के संविधान द्वारा उल्लिखित समतामूलक, समावेशी और बहुलतावादी समाज को साकार करने में एनसीएफ-2023 में प्रस्तावित परिवर्तनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष लिखें ।

भूमिका:

एनसीईआरटी द्वारा हाल ही में जारी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ)-2023 ,भारत की शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधारों की रूपरेखा तैयार करती है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के सिद्धांतों को दर्शाती है। इसमें सीबीएसई के तहत ग्रेड 3 से 12 तक भाषा सीखने, विषय संरचना, मूल्यांकन रणनीतियों और पर्यावरण शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं, जिसका लक्ष्य भारत की स्कूली शिक्षा को एनईपी-2020 के लक्ष्यों, सिद्धांतों और दृष्टिकोण के साथ संरेखित करना और अंततः भारतीय संविधान के अनुसार सभी बच्चों के लिए शिक्षा की उच्चतम गुणवत्ता प्राप्त करने का प्रयास करना है।

मुख्य विषय-वस्तु :

छात्रों के अधिगम के अनुभव और समग्र शिक्षा प्रणाली पर संभावित प्रभाव:

  • भाषा अधिगम :
    • कक्षा 9 और 10 के छात्र अब तीन भाषाएँ सीखेंगे, जिनमें से कम से कम दो मूल भारतीय भाषाएँ होंगी।
    • कक्षा 11 और 12 में छात्र दो भाषाएँ पढ़ेंगे, जिनमें एक भारतीय मूल की भी भाषा होगी
    • उदाहरण के लिए, यह परिवर्तन बहुभाषावाद को बढ़ावा देगा और क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और प्रचारप्रसार में मदद करेगा, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए आवश्यक है।
  • बोर्ड परीक्षा और मूल्यांकन:
    • छात्र एक अकादमिक वर्ष में कम से कम दो अवसरों पर बोर्ड परीक्षा दे सकते हैं और इन प्रयासों में केवल सर्वोत्तम स्कोर ही मान्य होगा।
    • उदाहरण के लिए, इससे बोर्ड परीक्षा के दौरान छात्रों पर दबाव कम होगा क्योंकि उनके पास अपने स्कोर में सुधार करने का एक और मौका होगा।
  • एनईपी- 2020 के साथ संरेखण:
    • एनसीएफ, एनईपी-2020 के दिशानिर्देशों का पालन करता है, जो सीबीएसई के तहत ग्रेड 3 से 12 के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है, जिसे 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा।
    • उदाहरण के लिए, पाठ्यपुस्तकें अब अधिक प्रासंगिक, भविष्योन्मुखी और वर्तमान संदर्भ में निहित होंगी, जिससे पढ़ाई जाने वाली सामग्री की प्रासंगिकता बढ़ जाएगी।
  • अनिवार्य एवं वैकल्पिक विषयों में परिवर्तन:
    • कक्षा 9 और 10 के लिए अनिवार्य विषयों की संख्या अब सात है तथा कक्षा 11 और 12 के लिए  विषयों की संख्या छह है।
    • यह परिवर्तन विद्यार्थियों को व्यापक विषयों से अवगत कराएगा और उन्हें अधिक निपुण व्यक्ति बनाएगा।
  • छात्रों के लिए लचीलापन और विकल्प:
    • अधिक लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिएमाध्यमिक स्तरको फिर से अभिकल्पित किया गया है।
    • शैक्षणिक और व्यावसायिक विषयों या विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और शारीरिक शिक्षा के बीच कोई सख्त पृथक्करण नहीं है
    • उदाहरण के लिए, छात्र अब अपने स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के लिए विभिन्न विषय संयोजन चुन सकते हैं, जिससे वे अपनी रुचि और करियर के अनुसार अपनी शिक्षा को अनुकूलित कर सकेंगे।
  • पर्यावरणीय शिक्षा:
    • स्कूली शिक्षा के सभी चरणों में एकीकृत पर्यावरणीय शिक्षा के साथ पर्यावरणीय जागरूकता और संधारणीयता पर जोर दिया गया है ।
    • उदाहरण के लिए, माध्यमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा के लिए समर्पित अध्ययन का एक अलग क्षेत्र कम उम्र से ही पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देगा।
  • सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम के लिए विषय-सूची का वितरण (कक्षा 6-8):
    • विषय-सूची को स्थानीय स्तर से 20% , क्षेत्रीय स्तर से 30% , राष्ट्रीय स्तर से 30% और वैश्विक स्तर से 20% के रूप में वितरित किया जाएगा।
    • उदाहरण के लिए, इस प्रकार से  वितरण यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को स्थानीय स्तर से वैश्विक परिप्रेक्ष्य तक सामाजिक विज्ञान की समग्र समझ हो

निष्कर्ष:

भाषा अधिगम, मूल्यांकन रणनीतियों, विषय संरचना और पर्यावरण शिक्षा में बदलाव करके, एनसीएफ का लक्ष्य भारत के छात्रों को अधिक समग्र और प्रासंगिक शिक्षा प्रदान करना है। हालाँकि इन परिवर्तनों के कार्यान्वयन से चुनौतियाँ पैदा होंगी, यह भारत के संविधान द्वारा उल्लिखित समतामूलक, समावेशी और बहुलवादी समाज को साकार करने की दिशा में वास्तव में एक सही कदम है।

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