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Q. भारत में किसानों के लिए पशुधन की स्वास्थ्य देखभाल में आने वाली चुनौतियों के समाधान में मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के महत्व पर चर्चा करें। साथ ही बताएं कि एमवीयू एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने और ग्रामीण आजीविका में सुधार करने में ये कैसे योगदान दे सकते हैं? (250 शब्द, 15 अंक)

Answer:

दृष्टिकोण:

  • भूमिका: भारत की पशुधन आबादी की विशालता और ग्रामीण एवं दूरस्थ इलाकों में पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार करने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उत्तर की शुरुआत करें। मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की अवधारणा और इन मुद्दों को हल करने में उनकी भूमिका पर जोर दें।
  • मुख्य भाग:
    • बताएं कि, एमवीयू पशुपालकों के दरवाज़े तक सेवाएं कैसे पहुंचाते हैं, जिससे सरकारी पहलों की पहुंच और दक्षता बेहतर हो पाती है।
    • एमवीयू में प्रशिक्षित कर्मचारी एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग को कैसे रोक सकते हैं, और यह रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) को कम करने में कैसे योगदान दे सकता है, इस बात का भी उल्लेख करें।
    • यह वर्णन करें, कि एमवीयू के माध्यम से पशुधन के बेहतर स्वास्थ्य से ग्रामीण आय कैसे बढ़ सकती है और पशुधन रोगों के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को कैसे रोका जा सकता है।
  • निष्कर्ष: पशुधन पर एमवीयू के प्रभाव, ग्रामीण आजीविका के लिए निहितार्थ और ग्रामीण भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के सन्दर्भ में नवीन समाधानों की क्षमता का सारांश लिखकर अपना उत्तर समाप्त करें।

भूमिका:

लगभग 537 मिलियन की विशाल पशुधन आबादी वाले भारत को, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में चुनौती का सामना करना पड़ता है। इसे संबोधित करने के लिए, सरकार ने मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ (एमवीयू) लॉन्च की हैं, जिससे किसानों को महत्वपूर्ण राहत मिली है। एमवीयू न केवल पशु चिकित्सा सेवाओं की पहुंच को आसान बनाते हैं, बल्कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध, पशुधन प्रबंधन में बढ़ती चिंता से निपटने और अंततः ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

मुख्य भाग:

मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) का महत्व:

  • डोरस्टेप पशु चिकित्सा सेवाएँ:
    • एमवीयू डोरस्टेप डिलीवरी मॉडल आधारित है, जो ग्रामीण इलाकों में केंद्रित लगभग8% पशुधन के लिए मददगार है।
    • इससे किसानों को पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए लंबी दूरी की यात्रा करने की आवश्यकता कम हो जाती है।
  • सरकारी पहलों को समर्थन:
    • ये राष्ट्रीय गोकुल मिशन के पूरक मिशन हैं, जिसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन में वृद्धि और खेती को लाभकारी बनाना है, क्योंकि कुशल पशु चिकित्सा सेवाओं से पशुधन स्वस्थ रहता है और उत्पादकता में वृद्धि होती है।

एमवीयू और एंटीबायोटिक प्रतिरोध:

  • विनियमित औषधि उपयोग:
    • प्रशिक्षित पशु चिकित्सकों के साथ, एमवीयू यह सुनिश्चित करते हैं, कि दवा सही ढंग से दी जाए, जिससे अप्रशिक्षित पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ आम तौर पर होने वाली त्रुटिपूर्ण नुस्खों के कारण एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग को रोका जा सके।
  • एएमआर की रोकथाम:
    • एमवीयू रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) को रोकने में मदद करते हैं, जो गलत दवा खुराक या गलत अवधि के कारण हो सकता है।
    • एमआर एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी एंटीबायोटिकप्रतिरोधीप्राथमिकता वाले रोगजनकोंको मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।

ग्रामीण आजीविका में सुधार:

  • पशुधन स्वास्थ्य और किसानों की आय
    • समय पर और उचित पशु चिकित्सा देखभाल से पशुधन स्वस्थ रहता है, जिससे किसानों की आय में भी सुधार होता है।
    • यह ध्यान में रखते हुए कि भारत की 70% दूध की आपूर्ति पांच से कम पशु रखने वाले किसानों से होती है, यहां तक कि कम उत्पादकता वृद्धि भी किसानों की आय पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
  • आर्थिक हानि की रोकथाम:
    • अकेले गोजातीय स्तनदाह जैसी बीमारियों के कारण प्रति खेत प्रति दिन लगभग 10 लीटर दूध की हानि हो सकती है, जो प्रति दिन लगभग ₹300-₹350 है।
    • एमवीयू के तत्काल उपचार के माध्यम से इस तरह के नुकसान को रोका जा सकता है।

निष्कर्ष:

एमवीयू की शुरूआत पशुधन क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की 55% ग्रामीण आबादी की आजीविका का समर्थन करने वाले एक महत्वपूर्ण स्तंभ की भांति है। एमवीयू की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित करने और निजी क्षेत्र में  नवाचारों के माध्यम से पशुधन स्वास्थ्य में सुधार, सतत ग्रामीण विकास और अधिक मजबूत खाद्य सुरक्षा प्राप्त हो सकती है। यह इस बात का प्रमाण है कि कैसे नए समाधान ग्रामीण भारत की चुनौतियों में परिवर्तनकारी बदलाव ला सकते हैं।

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