Q. जैसे-जैसे भारत की जनसंख्या वृद्ध होती जा रही है, "सम्मान के साथ वृद्धावस्था" सुनिश्चित करने से संबंधित 'सिल्वर इकोनॉमी' की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। इस परिवर्तन के लिए कौन से विनियामक, सामाजिक और तकनीकी उपाय आवश्यक हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • वृद्धावस्था और गरिमा सुनिश्चित करने में उभरती हुई रजत अर्थव्यवस्था की भूमिका।
  • रजत अर्थव्यवस्था के समक्ष यह सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ हैं।
  • विनियामक, सामाजिक और तकनीकी उपायों की आवश्यकता है।

उत्तर

भारत की वृद्ध होती जनसंख्या ने सिल्वर इकोनॉमी के उदय को तीव्र किया है, जो वरिष्ठ नागरिकों के समर्थन हेतु सेवाएँ और तकनीक प्रदान करती है। पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं के कमजोर होने और वर्ष 2050 तक 319 मिलियन वृद्ध जनसंख्या के अनुमान के बीच, गरिमापूर्ण वृद्धावस्था सुनिश्चित करने के लिए यह अनिवार्य बन गया है। इसकी प्रभावशीलता अब सुदृढ़ विनियमन, सामाजिक सहयोग और समावेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भर करती है।

“गरिमापूर्ण वृद्धावस्था” सुनिश्चित करने में उभरती सिल्वर इकोनॉमी की भूमिका

  • स्वास्थ्य एवं सहायक प्रौद्योगिकियों तक पहुँच में सुधार: टेलीमेडिसिन, घर-आधारित डायग्नोस्टिक्स और मोबिलिटी उपकरणों का विस्तार वरिष्ठ नागरिकों को पुरानी बीमारियों को संभालने और स्वतंत्र रहने में सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: वरिष्ठ नागरिकों के लिए असिस्टिव एवं हेल्थ टेक लगभग 12% वार्षिक दर से बढ़ रहा है, जिसमें वियरेबल्स और होम-केयर उपकरण शामिल हैं।
  • घर-आधारित एवं संस्थागत देखभाल का समर्थन: प्रोफेशनल केयरगिवर एजेंसियाँ और असिस्टेड-लिविंग सुविधाएँ उन परिवारों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं जिन पर प्रवास और संयुक्त परिवारों के टूटने का प्रभाव पड़ा है।
  • सीनियर हाउसिंग और सुरक्षित रहने के वातावरण का विस्तार: वरिष्ठ नागरिकों के लिए निर्मित आवास सुरक्षित, आयु-अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं जिनमें स्वास्थ्य सेवा और सहायता उपलब्ध होती है।
    • उदाहरण: सीनियर लिविंग एक 7 बिलियन डॉलर का बाज़ार बन चुका है और 15% CAGR से बढ़ रहा है।
  • लक्षित वित्तीय उत्पादों के माध्यम से वित्तीय सुरक्षा में सुधार: बचत योजनाएँ, पेंशन और बीमा उत्पाद बढ़ती स्वास्थ्य लागतों को संभालने में मदद करते हैं।
    • उदाहरण: SCSS, PMVVY और IGNOAPS जैसी योजनाएँ आय-सुरक्षा को समर्थन देती हैं; बीमा कवरेज दोगुना होने की संभावना है।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सामाजिक समावेशन में वृद्धि: मोबाइल और डिजिटल उपकरण वरिष्ठ नागरिकों को जुड़े रहने, सेवाओं तक पहुँचने और अकेलेपन को कम करने में मदद करते हैं।
    • उदाहरण: स्मार्टफोन उपयोग बढ़ने से वरिष्ठ नागरिक पेंशन और टेलीहेल्थ सेवाएँ स्वयं प्रबंधित कर पा रहे हैं।

गरिमापूर्ण वृद्धावस्था सुनिश्चित करने में सिल्वर इकोनॉमी की चुनौतियाँ

  • कम जागरूकता और असमान पहुँच: कई वरिष्ठ नागरिक, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, पेंशन, बीमा और देखभाल योजनाओं के बारे में आवश्यक जागरूकता नहीं रखते।
    • उदाहरण: SCSS, IGNOAPS और Elderline जैसी योजनाओं की जागरूकता ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कमजोर है।
  • देखभाल सेवाओं में गुणवत्ता और विनियमन की कमी: अविनियमित केयरगिवर एजेंसियाँ और असंगत मानक वरिष्ठ नागरिकों को उपेक्षा या असुरक्षित परिस्थितियों में धकेल सकते हैं।
  • बढ़ता सामाजिक अलगाव और पारंपरिक समर्थन का कमजोर होना: संयुक्त परिवारों का सिमटना और प्रवास वृद्ध नागरिकों को अकेलापन, आर्थिक असुरक्षा और दुर्व्यवहार के जोखिम में डाल देता है।
    • उदाहरण: माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण  अधिनियम (2007) के तहत बढ़ते मामले इस संकट को दर्शाते हैं।
  • स्वास्थ्य बोझ और बढ़ते दीर्घकालिक रोग: डायबिटीज, हाइपरटेंशन, डिमेंशिया जैसे रोग लंबे समय तक चलने वाले और महंगे उपचार की माँग करते हैं।
  • डिजिटल विभाजन: डिजिटल साक्षरता की कमी टेलीहेल्थ, वित्तीय सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच को सीमित करती है।

गरिमापूर्ण वृद्धावस्था हेतु आवश्यक उपाय

नियामक उपाय 

  • वरिष्ठ देखभाल सेवाओं का मानकीकरण: होम-केयर कर्मियों, असिस्टेड-लिविंग सुविधाओं और केयरगिवर प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय मानक बनाए जाएँ।
  • पेंशन एवं बीमा ढाँचे को मजबूत करना: कवरेज बढ़ाएँ, प्रक्रियाएँ सरल करें और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।

सामाजिक उपाय

  • सामुदायिक-आधारित वृद्ध समर्थन प्रणाली को बढ़ावा देना: नगर निकायों, NGOs और RWAs द्वारा वरिष्ठ क्लब, स्वयंसेवी नेटवर्क और समुदाय-स्वास्थ्य कार्यक्रम विकसित किए जाएँ।
    • उदाहरण: सामाजिक अलगाव वृद्ध गरिमा के लिए एक प्रमुख खतरा बनता जा रहा है।
  • आयु-अनुकूल अवसंरचना का निर्माण: शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ आवास, सुरक्षित सार्वजनिक स्थान, परिवहन और स्वास्थ्य सुविधाएँ विकसित की जाएँ।

तकनीकी उपाय 

  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल समावेशन का विस्तार: डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम और उपयोग में आसान इंटरफेस उपलब्ध करना।
    • उदाहरण: स्मार्टफोन अपनाने से पेंशन और टेलीमेडिसिन तक पहुँच बढ़ रही है।
  • टेलीहेल्थ, रिमोट मॉनिटरिंग और होम-डायग्नॉस्टिक्स का उपयोग: किफायती मॉनिटरिंग उपकरण और टेली-परामर्श को एकीकृत किया जाए।

निष्कर्ष

भारत की सिल्वर इकोनॉमी वृद्धावस्था को गरिमा, कल्याण और आर्थिक अवसर में बदलने की क्षमता रखती है। किन्तु इसकी सफलता के लिए सुदृढ़ विनियमन, सामुदायिक सहभागिता और समावेशी प्रौद्योगिकी अनिवार्य है। जो समाज गरिमापूर्ण वृद्धावस्था सुनिश्चित करता है, वह अपने नैतिक व विकासात्मक आधार को मजबूत करता है।

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