Q. निर्वांचनों का संचालन नियम, 1961 में हालिया प्रक्रियागत परिवर्तनों के संदर्भ में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) की भूमिका और जवाबदेही की जाँच कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • निर्वाचन का संचालन नियम, 1961 में हाल के प्रक्रियात्मक परिवर्तनों के संदर्भ में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) की भूमिका का विश्लेषण कीजिये।
  • निर्वाचन संचालन नियम, 1961 में हाल ही में किए गए प्रक्रियागत परिवर्तनों के संदर्भ में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) की जवाबदेही का परीक्षण कीजिए।

उत्तर

निर्वाचन का संचालन नियम, 1961 जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनावी शुचिता सुनिश्चित करते हैं। CER, 1961 के नियम 93(2)(a) में हाल ही में किए गए संशोधन से चुनाव से संबंधित कुछ दस्तावेजों तक जनता की पहुँच सीमित हो गई है, जिससे ECI की पारदर्शिता और जवाबदेही से संबंधित चिंताएँ बढ़ गई हैं।

चुनाव संचालन नियम के नियम 93(2)(a) में संशोधन से उत्पन्न चिंताएँ

  • पारदर्शिता का क्षरण: नियम 93(2)(a) में संशोधन से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (CCTV, वेबकास्ट) को बाहर रखा गया है, जिससे पारदर्शिता कम हो गई है। कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रियाओं में “तेजी से घटती सत्यनिष्ठा” को उजागर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
  • जवाबदेही का जोखिम: फॉर्म 17C और बूथ-स्तरीय मतदान डेटा से इनकार करने से परिणाम सत्यापन में बाधा आती है। 
    • उदाहरण के लिए, कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अधिकारी RTI कानूनों के तहत जाँच से बच सकते हैं, जिससे चुनावी जवाबदेही कमज़ोर हो सकती है।
  • संभावित दुरुपयोग: हालाँकि दुरुपयोग को रोकने के लिए ऐसा किया गया है, लेकिन पहुँच को प्रतिबंधित करने से स्वतंत्र निरीक्षण भी अवरुद्ध होता है।
    • उदाहरण के लिए, आलोचकों का तर्क है कि यह ” ब्लैंकैट डिनायल” चुनावी कदाचार को रोकने के बजाय उसे छुपा सकता है।
  • सार्वजनिक विश्वास में कमी: बिना परामर्श के मौन संशोधन के कारण राजनीतिक और नागरिक समाज में तीव्र प्रतिक्रिया हुई।

स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की भूमिका

  • नियम प्रवर्तन: चुनाव आयोग, चुनावों के दौरान अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए CER प्रावधानों को लागू करता है। 
    • उदाहरण के लिए, हाल ही में लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और पंजाब इलेक्शन वॉच ने चुनाव आयोग से MCC उल्लंघनों पर कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए जिला चुनाव अधिकारी को बदलने का आग्रह किया।
  • मतदाता सत्यापन: ECI मतदाता डेटाबेस को अपडेट करता है ताकि दोहराव को खत्म किया जा सके और सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित की जा सके। 
    • उदाहरण के लिए, ECI ने मतदाता सूची की सटीकता को बढ़ाते हुए लगभग 2.6 लाख डुप्लिकेट इलेक्टोरल फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर हटा दिए।
  • पारदर्शिता के उपाय: ECI चुनाव प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।
  • मतदाता मतदान रिपोर्टिंग (VTR) प्रणाली का संवर्धन: ECI ने रियलटाइम वोटर टर्नआउट डेटा प्रदान करने के लिए VTR प्रणाली को उन्नत किया।

स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में भारत के चुनाव आयोग (ECI) की जवाबदेही

  • न्यायिक निरीक्षण: ECI के फैसले न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है। 
    • उदाहरण के लिए, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक निरीक्षण पर प्रकाश डालते हुए CER में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में ECI को नोटिस जारी किया।
  • सार्वजनिक सहभागिता: ECI जनता की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे जुड़ने का प्रयास करता है। 
    • उदाहरण के लिए, मतदाता जागरूकता अभियान 2023 ने मतदान और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया, कार्यशालाओं और NGO भागीदारी का उपयोग किया।
  • पारदर्शिता पहल: चुनाव आयोग पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पहल करता है। 
    • उदाहरण के लिए, हाल ही में बिहार चुनाव में चुनाव आयोग ने उन्नत VTR प्रणाली लागू की, जिससे पीठासीन अधिकारियों को हर दो घंटे में वोटर टर्नआउट डेटा सीधे ECINET ऐप में डालने की सुविधा मिली।

आगे की राह 

  • महत्त्वपूर्ण अभिलेखों तक पहुँच की बहाली: CCTV फुटेज और वेबकास्ट जैसे आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों तक सार्वजनिक पहुँच को गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों के साथ बहाल करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, चुनाव के बाद अकादमिक शोध के लिए मतदान वीडियो को गुमनाम रूप से देखने की अनुमति देनी चाहिए।
  • न्यायिक समीक्षा और सनसेट क्लॉज: अनिश्चितकालीन अस्पष्टता को रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक प्रावधानों को आवधिक न्यायिक जाँच और  सनसेट क्लॉज  के अधीन किया जाना चाहिए।
  • RTI-संगत सुधार: CER नियमों में संशोधन करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फॉर्म 17C और टर्नआउट आंकड़े मतदाता की पहचान को खतरे में डाले बिना सक्रिय प्रकटीकरण मानदंडों के अंतर्गत आएं।
  • संस्थागत सार्वजनिक परामर्श: चुनाव पारदर्शिता को प्रभावित करने वाले विनियामक परिवर्तनों से पहले हितधारकों से परामर्श अनिवार्य करना चाहिए ताकि सार्वजनिक सहमति बनाई जा सके। 
    • उदाहरण के लिए, विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट में चुनावी सुधार में सार्वजनिक इनपुट की सिफारिश की गई है, जिसमें भागीदारीपूर्ण विनियमन-निर्माण का समर्थन किया गया है।

चुनाव आयोग (ECI) सख्त नियम प्रवर्तन और जवाबदेही तंत्र के माध्यम से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चल रहे सुधारों और तकनीकी एकीकरण से भारत की चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और दक्षता में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

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