Q. देश के कुछ क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा जारी रहने में योगदान देने वाले कारकों का विश्लेषण करें। उन प्रभावी उपायों का सुझाव दें जिन्हें सरकार और नागरिक समाज सांप्रदायिक हिंसा को रोकने और कम करने, सामाजिक सद्भाव तथा राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए अपना सकते हैं। (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: भारत के विविध ताने-बाने के महत्व के बारे में बताते हुए सांप्रदायिक हिंसा से उत्पन्न चुनौतियों की चर्चा कीजिये।
  • मुख्य विषयवस्तु:  
    • ऐतिहासिक घटनाएँ, राजनीतिक जोड़-तोड़, आर्थिक असमानताएं, सोशल मीडिया की भूमिका और कानून-व्यवस्था की कमी जैसे विभिन्न कारणों को संक्षेप में गिनाएं।
    • प्रत्येक कारक को प्रमाणित करने के लिए उदाहरणों का उपयोग कीजिये। 
    • सांप्रदायिक हिंसा के मूल कारणों को संबोधित करने के लिए आवश्यक बहुआयामी रणनीतियों पर चर्चा कीजिये।
    • सभी हितधारकों के सहयोगात्मक प्रयासों पर जोर दीजिये।
  • निष्कर्ष: भारत की एकता और विविधता में निहित शक्ति के विचार को पुष्ट करते हुए निष्कर्ष निकालिए।

परिचय:

सांप्रदायिक हिंसा, जो अक्सर धार्मिक, जातीय या भाषाई मतभेदों से प्रेरित होती है, ने कई मौकों पर भारत के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचाया है। विविध संस्कृतियों और धर्मों का मिश्रण होने के बावजूद, देश के कुछ क्षेत्र ऐसे संघर्षों के लिए विशेष रूप से अतिसंवेदनशील प्रतीत होते हैं।

मुख्य विषयवस्तु:

सांप्रदायिक हिंसा के बने रहने में योगदान देने वाले कारक:

  • ऐतिहासिक घटनाएँ:
    • हिंसा या कथित अन्याय की पिछली घटनाएं अकसर समुदायों के बीच गहरे अविश्वास का कारण बनती हैं, जो मामूली उकसावे से भड़क सकती हैं।
    • उदाहरण के लिए, 1947 में भारत के विभाजन ने कुछ धार्मिक समुदायों के बीच अविश्वास के बीज बोए, जिसका प्रभाव कभी-कभी आज भी महसूस किया जाता है।
  • राजनीतिक हेरफेर:
    • राजनेता कभी-कभी वोट-बैंक की राजनीति के लिए धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं, जिससे तनाव का माहौल पैदा होता है।
    • उदाहरण के लिए, बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद हुए दंगे आंशिक रूप से राजनीतिक साजिशों से प्रेरित थे।
  • आर्थिक असमानताएँ:
    • आर्थिक असमानता वाले क्षेत्रों में समुदायों के बीच संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा तनाव का माहौल पैदा कर सकता है, जो सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले सकता है।
    • उदाहरण के लिए, मुजफ्फरनगर (2013) में हुए दंगों के लिए आंशिक रूप से आर्थिक प्रतिद्वंद्विता जिम्मेदार थी।
  • सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना:
    • व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्मों पर फर्जी खबरों और भड़काऊ सामग्री के अनियंत्रित प्रसार ने हाल के दिनों में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है।
    • उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया पर अफवाहों ने 2012 के असम दंगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • कुशल कानून एवं व्यवस्था तंत्र का अभाव:
    • अकुशल पुलिसिंग और देरी से न्याय मिलने से संभावित अपराधियों का हौसला बढ़ सकता है।
  • भौगोलिक और सामरिक कारक:
    • सीमावर्ती क्षेत्रों और प्रवासन के इतिहास वाले क्षेत्रों में कभी-कभी स्थानीयऔर बाहरी लोगोंके बीच तनाव देखा जाता है।
    • उदाहरण के लिए, सीमावर्ती राज्य असम में अक्सर होने वाली सांप्रदायिक झड़पें।

 सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के उपाय:

  • कानून एवं व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना:
    • सांप्रदायिक रूप से भड़कने वाली घटनाओं से निपटने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया टीमें स्थापित की जानी चाहिए।
    • बढ़ते तनाव के किसी भी संकेत पर निगरानी रखने और कार्रवाई करने के लिए निगरानी प्रणाली जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
  • सोशल मीडिया का विनियमन:
    • फर्जी खबरों और नफरत फैलाने वाले भाषण के प्रसार पर नजर रखने और उसे कम करने के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ सहयोग करना।
  • सामुदायिक पुलिस:
    • पुलिस बलों में सभी स्थानीय समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने से विश्वास पैदा हो सकता है और खुफिया जानकारी एकत्र की जा सकती है।
  • शिक्षा और जागरूकता:
    • भारत की बहुलवादी संस्कृति और साझा विरासत पर जोर देने वाला पाठ्यक्रम एकता को बढ़ावा दे सकता है।
    • सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाली कार्यशालाएं और अभियान नियमित रूप से आयोजित किए जाने चाहिए।
  • अंतरधार्मिक संवाद:
    • गलतफहमियों को दूर करने और आपसी सम्मान बनाने के लिए विभिन्न समुदायों के नेताओं के बीच संवाद को बढ़ावा देना।
  • आर्थिक एकीकरण:
    • जिन नीतियों का लक्ष्य चिह्नित असमानताओं वाले क्षेत्रों का आर्थिक उत्थान करना है, वे प्रतिस्पर्धा-आधारित सांप्रदायिक तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  • नागरिक समाज की पहल:
    • गैर सरकारी संगठन और समुदाय-आधारित संगठन आउटरीच कार्यक्रमों और शांति स्थापना प्रयासों के माध्यम से विभाजन को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • शासन में पारदर्शिता:
    • पारदर्शी शासन यह सुनिश्चित करता है कि नीतियां और योजनाएं किसी विशेष समुदाय का पक्ष न लें, जिससे हिंसा के संभावित खतरे समाप्त हो जाएं।

निष्कर्ष

भारत को वैश्विक शक्ति बनने के अपने सपने को साकार करने के लिए यह जरूरी है कि देश अपनी विविधता में एकजुट रहे। हालाँकि सांप्रदायिक हिंसा की जड़ें गहरी और बहुआयामी हैं।  सरकार, नागरिक समाज और आम जनता के ठोस प्रयासों से, ऐसी हिंसा की आशंका को इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जा सकता है। इसलिए सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता केवल आदर्श नहीं बल्कि राष्ट्र की प्रगति के लिए मूलभूत शर्तें हैं।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.