Q. साझा समृद्धि प्राप्त करने के लिए भारत और ईरान अपनी पूरक शक्तियों और सामान्य हितों का लाभ किस प्रकार उठा सकते हैं? इस मार्ग में किन चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता होगी? (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • प्रस्तावना: भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों पर प्रकाश डालें।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • भारत के लिए ईरान के ऊर्जा संसाधनों और तेल व्यापार के महत्व को रेखांकित कीजिए।
    • क्षेत्रीय जुड़ाव हेतु चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर(INSTC) जैसी रणनीतिक पहलों का वर्णन कीजिए।
    • चर्चा कीजिए कि अमेरिकी प्रतिबंध भारत-ईरान ऊर्जा सहयोग और व्यापक व्यापार संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं।
    • अन्य प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय शक्तियों के साथ भारत और ईरान के संबंधों से उत्पन्न होने वाली राजनयिक चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
  • निष्कर्ष: क्षेत्रीय स्थिरता और विकास पर दोनों देशों के साझेदारी के संभावित प्रभाव को दर्शाते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

प्रस्तावना:

भारत और ईरान, दो प्राचीन सभ्यताएँ, सदियों पुराने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वाणिज्यिक संबंधों की एक समृद्ध विरासत साझा करते हैं। आपसी सम्मान और समझ के माध्यम से विकसित यह द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के भविष्य को बल्कि क्षेत्र की भू-राजनीतिक गतिशीलता को भी आकार देने की क्षमता रखता है। समकालीन वैश्विक व्यवस्था में, जहां आर्थिक परस्पर निर्भरता और रणनीतिक साझेदारी महत्वपूर्ण हैं, वहीं भारत और ईरान एक साथ खड़े हुए दिखाई देते हैं। अपनी पूरक शक्तियों और सामान्य हितों का लाभ उठाकर, ये राष्ट्र साझा समृद्धि के पथ सुनिश्चित सकते हैं। हालाँकि, इस क्षमता को साकार करने के लिए दोनों देशों को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

मुख्य विषयवस्तु:

पूरक शक्ति और सामान्य हित

  • ऊर्जा सहयोग: ईरान के समृद्ध तेल और गैस भंडार भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यधिक मायने रखते हैं। पश्चिमी प्रतिबंधों के पूर्व भारत ईरानी तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक था। संभवतः चीन के साथ ईरान के समझौते के ही समान नए समझौतों के तहत तेल व्यापार की बहाली से भारत को काफी लाभ हो सकता है, विशेषकर वैश्विक ऊर्जा बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच।
  • व्यापार और आर्थिक जुड़ाव: भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय व्यापार, जो 2007 में लगभग 13 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, एक मजबूत आर्थिक संबंध प्रदर्शित करता है। विशेषकर पेट्रोकेमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि जैसे क्षेत्रों में भविष्य में विकास की संभावना को जन्म देता है।
  • कनेक्टिविटी संबंधी परियोजनाएं: चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) का विकास पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुंच के लिए महत्वपूर्ण है। ये परियोजनाएं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और व्यापार को बढ़ा सकती हैं।
  • रणनीतिक और क्षेत्रीय स्थिरता: दोनों देशों के लिए अफगानिस्तान की स्थिरता काफी अहम है। दोनों देश अफगानिस्तान के साथ सहयोग कर आतंकवाद विरोधी प्रयासों और क्षेत्रीय शांति पहल में सहयोग कर सकते हैं। उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध राजनयिक और रणनीतिक जुड़ाव के लिए एक मजबूत आधार भी प्रदान कर सकते हैं।

चुनौतियाँ

  • भू-राजनीतिक पुनर्गठन और प्रतिबंध: ईरान और पश्चिमी देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव जगजाहिर है, विशेष रूप से ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत-ईरान ऊर्जा सहयोग और समग्र व्यापार संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। भारत को अमेरिका, इज़राइल और खाड़ी देशों जैसे अन्य प्रमुख साझेदारों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की आवश्यकता इस गतिशीलता को और जटिल बनाती है।
  • अन्य क्षेत्रीय प्रभुत्व के साथ भारत के संबंध: चीन और रूस के साथ ईरान के गठबंधन के विपरीत, इज़राइल और खाड़ी देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध, राजनयिक चुनौतियां पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, यमन में हूती के लिए ईरान का समर्थन, जिसका सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (भारत के साझेदार) ने विरोध किया है, जटिलता को बढ़ाता है।
  • ईरान में आर्थिक बाधाएँ: प्रतिबंधों और आंतरिक चुनौतियों से बुरी तरह प्रभावित ईरान की अर्थव्यवस्था, भारत के साथ व्यापक आर्थिक परियोजनाओं या व्यापार पहल में शामिल होने की उसकी क्षमता को सीमित कर सकती है।
  • परमाणु कार्यक्रम और सुरक्षा चिंताएँ: भारत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में चिंताएँ व्यक्त की हैं। इन चिंताओं को मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की आवश्यकता के साथ संतुलित करना भारत के लिए एक नाजुक राजनयिक कार्य है।

निष्कर्ष:

भारत और ईरान, अपने ऐतिहासिक संबंधों, सामान्य हितों और पूरक शक्तियों का लाभ उठाते हुए, साझा समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इसमें ऊर्जा सहयोग बढ़ाना, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव का विस्तार करना और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और स्थिरता पर सहयोग करना शामिल है। हालाँकि, यह यात्रा चुनौतियों से भरी है, जो मुख्य रूप से भू-राजनीतिक पुनर्गठन, प्रतिबंधों और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ भिन्न संबंधों से उत्पन्न हुई है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य की जटिलताओं को पहचानते हुए चतुर कूटनीति और संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यदि भारत और ईरान इन मुद्दों को सफलतापूर्वक संबोधित कर सकते हैं, तो उनकी साझेदारी क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण कारक बन सकती है।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.