Q. जनजातीय कल्याण के लिए बढ़ती पहुँच और उग्रवाद विरोधी अभियानों के तेज होने से भारत में माओवादी प्रभाव में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में इस दोहरे दृष्टिकोण की प्रभावशीलता की जाँच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • माओवादी प्रभाव में गिरावट पर जनजातीय कल्याण आउटरीच के प्रभाव के संबंध में चर्चा कीजिये।
  • माओवादी प्रभाव में गिरावट पर तीव्र आतंकवाद विरोधी अभियानों के प्रभाव के संबंध में चर्चा कीजिये।
  • वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में इन प्रयासों की कमियों का उल्लेख कीजिये।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

नक्सलवाद की शुरुआत वर्ष 1967 में नक्सलबाड़ी में हुए विद्रोह से हुई थी, जो सामाजिक-आर्थिक और भूमि संबंधी गहरी अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया थी। समय के साथ, यह राज्य की उपेक्षा का लाभ उठाते हुए आदिवासी इलाकों में फैल गया। हालाँकि, हाल ही में आदिवासी कल्याण और उग्रवाद विरोधी प्रयासों ने इसकी पकड़ को काफी कमजोर कर दिया है।

माओवादी प्रभाव में कमी पर जनजातीय कल्याण अभियान का प्रभाव

  • उन्नत बुनियादी ढाँचा विकास: बेहतर सड़क, दूरसंचार और बैंकिंग संपर्क ने माओवादी नियंत्रण को कम कर दिया है और राज्य तक पहुँच बढ़ा दी है।
  • केन्द्रित विकास योजनाएँ: लक्षित कार्यक्रम शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका में जनजातीय-विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित कर रहे हैं।
    • उदाहरण: वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए 245 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) स्वीकृत किए गए हैं।
  • वित्तीय सहायता में वृद्धि: वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को वित्तीय प्रोत्साहन से स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र और आंगनवाड़ियों का निर्माण संभव हुआ है।
    • उदाहरण: आकांक्षी जिला कार्यक्रम के अंतर्गत, मलकानगिरी (ओडिशा) जैसे कई वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में वर्ष 2018-2022 के बीच स्वास्थ्य और पोषण सूचकांक में 20% से अधिक सुधार हुआ।
  • सामुदायिक स्वामित्व और स्वशासन: ग्राम सभाओं को मजबूत करने और PESA अधिनियम के कार्यान्वयन से विश्वास बढ़ा है और माओवादियों का आकर्षण कम हुआ है।
  • माओवादी प्रसार में कमी: विकास और कल्याणकारी पहलों से माओवादी-प्रभावित क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने में मदद मिली है।\
    • उदाहरण: वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 45 (वर्ष 2022 में) होगी, जबकि वर्ष 2010 में यह संख्या 96 थी।

माओवादी प्रभाव में कमी पर तीव्र उग्रवाद-रोधी अभियानों का प्रभाव

  • नेतृत्व का निष्प्रभावीकरण: शीर्ष माओवादी नेताओं के खात्मे से कमांड चेन अस्थिर हो गई है।
  • बड़े पैमाने पर सामरिक अभियान: निरंतर आयोजित होने वाले अभियानों ने माओवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया है और रसद व्यवस्था को बाधित कर दिया है।
    • उदाहरण: वर्ष 2022 में सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल जैसे अभियानों के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की ।
  • आत्मसमर्पण में वृद्धि: पकड़े जाने के भय और बढ़ते असंतोष के कारण बड़ी संख्या में लोग आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
  • माओवादी बुनियादी ढाँचे का विनाश: भूमिगत सुविधाएँ और हथियार डिपो नष्ट कर दिए गए हैं।
  • बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय: CRPF, DRG और राज्य पुलिस के बीच खुफिया जानकारी साझा करने से हमले की दक्षता में सुधार हुआ है।
    • उदाहरण: संयुक्त कार्य बलों ने माओवादी क्षेत्रों को रणनीतिक रूप से लक्ष्य बनाने में सफलता प्राप्त की।

वामपंथी उग्रवाद को ख़त्म करने में इन प्रयासों की कमियाँ

  • सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन बरकरार: प्रमुख वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में बुनियादी सेवाएँ खराब बनी हुई हैं।
    • उदाहरण: सुकमा और मलकानगिरी में अभी भी साक्षरता दर <50% और बाल कुपोषण दर >40% है (नीति आयोग, 2023)।
  • कथित मानवाधिकार उल्लंघन: माओवादी विरोधी अभियानों के दौरान नागरिक हताहतों और सुरक्षा ज्यादतियों के कारण अलगाव और अविश्वास की भावना उत्पन्न हुई है।
  • कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ: कमजोर स्थानीय शासन के कारण सरकारी योजनाएँ अक्सर लक्षित लाभार्थियों तक पहुँचने में विफल हो जाती हैं।
  • युवाओं में माओवादी भर्ती जारी: रोजगार के अवसरों और न्याय की कमी से निराश होकर युवा माओवादी रैंकों में शामिल हो रहे हैं।
  • भूमि और वन अधिकारों पर सीमित ध्यान: FRA (वर्ष 2006) के अपर्याप्त कार्यान्वयन का माओवादी प्रचार द्वारा शोषण जारी है।

आगे की राह

  • एकीकृत शासन दृष्टिकोण: केंद्र और राज्यों के बीच समन्वित कार्य योजनाओं के माध्यम से सुरक्षा, विकास और अधिकार-आधारित पहलों का अभिसरण सुनिश्चित करना चाहिए।
  • जमीनी स्तर की संस्थाओं को मजबूत बनाना: स्थानीय विश्वास को बहाल करने के लिए PESA के तहत ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना तथा FRA के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकारों को तेजी से लागू करना चाहिए।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता: भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और सेवा वितरण में सुधार के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा और समुदाय आधारित सतर्कता के माध्यम से कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी करना।
  • मानव-केन्द्रित पुलिसिंग: सामुदायिक सहभागिता, कम से कम क्षति, तथा मानव अधिकारों के प्रति सम्मान के माध्यम से संवेदनशील आतंकवाद-रोधी कार्रवाई को बढ़ावा देना चाहिए।
  • सतत आजीविका और युवा कौशल: उग्रवाद के लिए सम्मानजनक विकल्प बनाने हेतु वन धन केंद्रों, कौशल केंद्रों और जनजातीय उद्यमिता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए।

माओवादी गतिविधियों में कमी को समावेशी विकास और अधिकार-आधारित शासन के माध्यम से बनाए रखा जाना चाहिए। SAMADHAN रणनीति सुरक्षा और विकास को मिलाकर एक संतुलित ढाँचा प्रदान करती है। इसका प्रभावी कार्यान्वयन वामपंथी उग्रवाद को स्थायी रूप से समाप्त करने की कुंजी है।

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