Q. भारत हाल ही में जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। घरेलू संरचनात्मक सुधारों और वैश्विक आर्थिक पुनर्संरेखण के संदर्भ में इस वृद्धि के चालकों का विश्लेषण कीजिये। इस गति को बनाए रखने के लिए क्या सबक सीखे जा सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • घरेलू संरचनात्मक सुधारों के संदर्भ में भारत की वृद्धि के चालकों पर चर्चा कीजिए।
  • वैश्विक आर्थिक पुनर्संरेखण के संदर्भ में भारत के विकास के चालकों पर चर्चा कीजिए।
  • इस गति को बनाए रखने के लिए क्या सबक सीखे जा सकते हैं?

उत्तर

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना संरचनात्मक सुधारों, मजबूत घरेलू माँग और वैश्विक आर्थिक बदलावों के बीच रणनीतिक स्थिति के प्रभाव को दर्शाता है। GST, वित्तीय समावेशन और डिजिटल परिवर्तन जैसी पहलों ने विकास को गति दी है। इन कारकों को समझना इस आर्थिक गति को बनाए रखने और बढ़ाने में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

भारत की वृद्धि के चालक: घरेलू संरचनात्मक सुधार

  • एकीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (GST): भारत के खंडित कर ढाँचे को सुव्यवस्थित किया गया, जिससे अनुपालन और राजस्व स्थिरता को बढ़ावा मिला।
    • उदाहरण: वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत में सकल GST संग्रह औसतन ₹1.84 लाख करोड़ प्रति माह रहा, जो साल-दर-साल 9.1 प्रतिशत अधिक है।
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: घरेलू मूल्य संवर्द्धन को प्रोत्साहित करके इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल में विनिर्माण को उत्प्रेरित किया गया।
    • उदाहरण: मोबाइल फोन का विनिर्माण मूल्य वित्त वर्ष 2014 में ₹18,900 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में ₹4,22,000 करोड़ हो गया है।
  • रिकॉर्ड अवसंरचना पूँजीगत व्यय: राजमार्ग, रेल और ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी, रसद लागत में कटौती और अड़चनों को कम करना।
    • उदाहरण: बुनियादी ढाँचे का पूँजीगत व्यय वित्त वर्ष 2014 में सकल घरेलू उत्पाद के 1 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 3.5 प्रतिशत हो गया।
  • डिजिटल सार्वजनिक-वस्तुएँ और वित्तीय समावेशन: UPI और संबंधित सुधारों ने भुगतान और ऋण तक पहुँच को व्यापक बनाया, जिससे उपभोग और SME गतिविधि को बढ़ावा मिला।
    • उदाहरण: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने एक ही महीने में 16.58 बिलियन वित्तीय लेन-देन संसाधित करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
  • श्रम एवं व्यवसाय सुगमता सुधार: सरलीकृत पंजीकरण, अनुपालन एवं विवाद समाधान, विनिर्माण एवं सेवाओं में निवेश आकर्षित करना।
    • उदाहरण: भारत की डूइंग बिजनेस रैंकिंग 2014 में 142वीं से सुधरकर 2019 में 63वीं हो गई।

भारत के विकास के चालक: वैश्विक आर्थिक पुनर्गठन

  • आपूर्ति-शृंखला विविधीकरण (‘चीन + 1’): बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने चीन पर अत्यधिक निर्भरता कम करने के लिए उत्पादन को भारत में स्थानांतरित कर दिया।
    • उदाहरण: फॉक्सकॉन ने वैश्विक आईफोन उत्पादन का बड़ा हिस्सा आपूर्ति करने के लिए 2025 में तमिलनाडु में 1.5 बिलियन डॉलर का डिस्प्ले-मॉड्यूल प्लांट स्थापित करने की घोषणा की है।
  • FDI प्रवाह में वृद्धि: उदारीकृत सीमा और निवेशक-अनुकूल नीतियों ने रिकॉर्ड विदेशी पूँजी को आकर्षित किया।
    • उदाहरण: भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 81 बिलियन डॉलर का FDI दर्ज किया, जो 2013-14 के स्तर से दोगुना से भी अधिक है।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश: युवा कार्यबल ने श्रम पूल का विस्तार किया, जिससे सेवाओं, विनिर्माण और उपभोग में वृद्धि को बल मिला।
    • उदाहरण: कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या का हिस्सा बढ़कर 65 प्रतिशत हो गया, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।
  • IT-BPM निर्यात में उछाल: भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक कंपनियाँ ऑफशोर टेक्नोलॉजी और बैक-ऑफिस कार्य के लिए भारत आ रही हैं।
    • उदाहरण: वित्त वर्ष 2024 में IT-BPM राजस्व 254 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जबकि निर्यात 200 बिलियन डॉलर को छू गया।
  • हरित ऊर्जा और जलवायु वित्त: वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन अभियान के तहत भारत के नवीकरणीय ऊर्जा निर्माण में अंतरराष्ट्रीय पूँजी प्रवाहित हुई।
    • उदाहरण: भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में नवीकरणीय ऊर्जा (RE) की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2021 में लगभग 1 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 8 प्रतिशत हो गई।

इस गति को बनाए रखने के लिए सबक

  • वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को गहन बनाना: दीर्घकालिक निवेश को वित्तपोषित करने के लिए एक जीवंत कॉरपोरेट बॉण्ड बाजार और पेंशन प्रणाली का निर्माण करना चाहिए।
  • गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना जारी रखना: लागत में वृद्धि और सुरक्षा संबंधी चूक से बचने के लिए पूँजीगत व्यय के साथ-साथ कठोर निगरानी भी रखनी चाहिए।
    • उदाहरण: हाल ही में हुई कई सरकारी पुलों के ढह जाने से बात पर ध्यान गया है कि रिकॉर्ड खर्च के साथ-साथ मजबूत गुणवत्ता नियंत्रण की भी आवश्यकता है।
  • कौशल विकास और अनुसंधान एवं विकास का विस्तार करना: मूल्य शृंखला में आगे बढ़ने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान अनुदान को उद्योग की आवश्यकताओं के साथ संरेखित करना चाहिए। ‌
    • उदाहरण: अनुसंधान एवं विकास कर प्रोत्साहन को दोगुना करने से भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत के करीब पहुँच सकता है।
  • व्यापक आर्थिक प्रत्यास्थता को मजबूत करना: वैश्विक समस्याओं से सुरक्षा के लिए राजकोषीय अनुशासन और मुद्रास्फीति नियंत्रण बनाए रखना चाहिए।
    • उदाहरण: राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.6 प्रतिशत से घटाकर 4.7-4.8 प्रतिशत करने से प्रतिचक्रीय व्यय सुनिश्चित होता है।
  • वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना: बाजार पहुँच और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुरक्षित करने के लिए व्यापार समझौतों और बहुपक्षीय मंचों का लाभ उठाना चाहिए।

भारत की वृद्धि निरंतर सुधारों, नवाचार और वैश्विक एकीकरण के मूल्य को रेखांकित करती है। इस गति को बनाए रखने के लिए, नीतिगत ध्यान बुनियादी ढाँचे, मानव पूँजी और एक प्रत्यास्थ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर बना रहना चाहिए। इन सबक का लाभ उठाने से भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने में मदद मिलेगी।

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