Q. तकनीकी प्रगति के बावजूद, ऑनलाइन स्पेस महिला नेताओं एवं राजनेताओं के लिए असुरक्षित बने हुए हैं। जबकि बड़ी टेक कंपनियों को ‘सेफ हार्बर’ संरक्षण प्राप्त है, वे अक्सर उत्पीड़न और डीप फेक कंटेंट को रोकने में विफल रहती हैं। डिजिटल स्पेस को महिलाओं के लिए लैंगिक-तटस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक उपायों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • उन कारणों पर चर्चा कीजिए कि क्यों तकनीकी प्रगति के बावजूद, ऑनलाइन स्पेस महिला नेतृत्वकर्ताओं और राजनेताओं के लिए असुरक्षित बने हुए हैं।
  • उन कारकों का परीक्षण कीजिए जिनके परिणामस्वरूप ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा के बावजूद भी बड़ी टेक कंपनियाँ अक्सर उत्पीड़न और डीप फेक सामग्री को रोकने में विफल रहती हैं।
  • डिजिटल स्पेस को लैंगिक रूप से तटस्थ और महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • महिलाओं के लिए लैंगिक रूप से तटस्थ और सुरक्षित डिजिटल स्पेस के निर्माण हेतु आवश्यक उपाय सुझाएँ।

उत्तर

जैसे-जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का विस्तार हो रहा है, ऑनलाइन स्पेस महिलाओं के लिए खतरनाक बनते जा रहे हैं, विशेष तौर पर महिला नेतृत्वकर्ताओं और राजनेताओं के लिए। तकनीकी प्रगति के बावजूद, साइबरबुलिंग, उत्पीड़न और डीपफेक कंटेंट जैसे खतरे महिलाओं की गरिमा और सार्वजनिक चर्चा में उनकी भागीदारी को कमजोर करती हैं। आनलाइन स्पेस में सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ऑनलाइन खतरे, नेतृत्वकारी महिलाओं के प्रतिनिधित्व में बाधा डालते हैं और डिजिटल युग में उनकी सुरक्षा को खतरे में डालते हैं।

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ऑनलाइन स्पेस महिला नेतृत्वकर्ताओं और राजनेताओं के लिए असुरक्षित क्यों हैं?

  • निरंतर लैंगिक आधारित उत्पीड़न: महिला नेतृत्वकर्ताओं को लक्षित उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, जो अक्सर महिला विरोधी मान्यताओं पर आधारित होता है, जिसका उद्देश्य समाज में उनकी स्थिति को बुरा करना होता है। 
    • उदाहरण के लिए: कमला हैरिस जैसी राजनेताओं के डीपफेक वीडियो बनाये गये जो उनकी छवि और विश्वसनीयता को विकृत करने के लिए डिजाइन किए गए थे।
  • बड़ी टेक कंपनियों की सीमित जवाबदेही: कई टेक फर्म सेफ हार्बरसुरक्षा के तहत जिम्मेदारी से बचती हैं , जिससे उत्पीड़न के खिलाफ किये जाने वाले उपाय अपर्याप्त रह जाते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: उपयोगकर्ता की शिकायतों के बावजूद अपमानजनक सामग्री को हटाने में विफल रहने के लिए कई प्लेटफार्म को आलोचना का सामना करना पड़ा है।
  • डीपफेक तकनीक का प्रसार: डीपफेक टूल्स, सुलभ और अक्सर अविनियमित, नकली और दुर्भावनापूर्ण सामग्री का सृजन करते हैं और इनके माध्यम से अक्सर मुख्य रूप से महिला नेताओं को लक्षित किया जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: AI मैनिपुलेशन का उपयोग करके वीडियो और चित्र तेजी से फैलते हैं। इसका प्रयोग करके निक्की हेली जैसी हस्तियों के खिलाफ अफवाहों को बढ़ावा दिया गया।
  • प्रभावी मॉडरेशन सिस्टम का अभाव: तकनीकी कंपनियों का मॉडरेशन अक्सर लैंगिक-आधारित दुर्व्यवहार का पता लगाने में विफल रहता है, जिससे द्वेषपूर्ण वातावरण को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण के लिए: कई प्लेटफॉर्म स्वचालित मॉडरेशन पर निर्भर करते हैं जो सामग्री के संदर्भ को अनदेखा करता है, जिससे महिला नेतृत्वकर्ताओं को निर्देशित करके फैलाई जा रही हानिकारक सामग्री की जाँच नहीं हो पाती है।
  • महिला नेतृत्वकर्ताओं पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव: अपमानजनक सामग्री के लगातार संपर्क में रहने से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, जिससे सार्वजनिक जीवन में उनकी भागीदारी कम होती है। 
    • उदाहरण के लिए: रिपोर्ट्स से पता चलता है कि निरंतर ऑनलाइन उत्पीड़न के कारण कुछ महिला राजनेताओं ने टॉक्सिसिटी से बचने हेतु सोशल मीडिया उपयोग को सीमित कर दिया है या उपयोग करना ही छोड़ दिया है।

सेफ हार्बर संरक्षण के बावजूद बड़ी टेक कंपनियों की विफलता के कारण

  • सुरक्षा के बजाय लाभ को प्राथमिकता देना : तकनीकी कंपनियाँ सुरक्षा से ज्यादा, यूजर एन्गेजमेंट मीट्रिक पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिससे उत्पीड़न विरोधी उपायों में निवेश सीमित हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: कई प्लेटफॉर्म महिलाओं की सुरक्षा के लिए जोखिम होने के बावजूद, ज्यादा सख्त मॉडरेशन नहीं लागू करते हैं क्योंकि इससे यूजर इंटरैक्शन कम हो सकता है।
  • उत्पीड़न पैटर्न की पहचान करने की जटिलता: सूक्ष्मभेद वाले उत्पीड़न को पहचानना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसके लिए सांस्कृतिक और लैंगिक पूर्वाग्रहों के प्रति संवेदनशीलता वाले एल्गोरिदम की आवश्यकता होती है। 
    • उदाहरण के लिए: AI उपकरण प्रायः अपशब्दों या कूट भाषा की गलत व्याख्या कर लेते हैं, तथा महिला नेतृत्वकर्ताओं पर लक्षित उत्पीड़न की पहचान नहीं कर पाते हैं।
  • अपर्याप्त विनियामक निरीक्षण: ‘सेफ हार्बर’ संरक्षण प्रतिरक्षा प्रदान करती है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर हानिकारक सामग्री के खिलाफ कमजोर प्रवर्तन होता है। 
    • उदाहरण के लिए: कानूनी ढाँचों के बावजूद, तकनीकी कंपनियों को महिला विरोधी सामग्री पर अंकुश लगाने में विफल रहने के लिए बहुत कम दंड का सामना करना पड़ता है, जिससे सुधार करने की  संभावना कम हो जाती है।
  • कंटेंट मॉडरेशन के लिए अपर्याप्त संसाधन: समर्पित मॉडरेटर और टूल्स की कमी के कारण फ्लैग्ड कंटेंट को संबोधित करने में देरी और विसंगतियाँ उत्पन्न होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: दुर्व्यवहार की रिपोर्ट की समीक्षा में कई दिन लग सकते हैं, जिससे महिला में लंबे समय तक हानिकारक कंटेंट के संपर्क में आ जाती है।
  • AI विकास में लैंगिक पूर्वाग्रह: AI सिस्टम, जो अक्सर पक्षपातपूर्ण डेटा पर प्रशिक्षित होते हैं, भेदभावपूर्ण पैटर्न को रोकने के बजाय उन्हें जारी रख सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: अध्ययनों से पता चलता है कि AI एल्गोरिदम महिलाओं की सामग्री को अनुपयुक्त के रूप में फ्लैग करने की अधिक संभावना रखते हैं, जबकि उनके लक्षित उत्पीड़न को अनदेखा कर देते हैं।

डिजिटल स्पेस को लैंगिक रूप से तटस्थ और महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने में चुनौतियाँ

  • सामाजिक दृष्टिकोण और पूर्वाग्रह: समाज में गहराई से व्याप्त लैंगिक पूर्वाग्रह ऑनलाइन स्पेस में भी देखे जा सकते हैं, जहाँ महिलाओं को वस्तुकरण  का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: राजनीति में महिलाओं को अक्सर ऑनलाइन बॉडी शेमिंग और रूढ़िवादिता का सामना करना पड़ता है, जिससे लैंगिक असमानता बढ़ती है ।
  • प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महिलाओं का सीमित प्रतिनिधित्व: निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में महिलाओं की कम संख्या, समावेशी और सुरक्षित डिजिटल टूल्स के विकास को प्रभावित करती है। 
    • उदाहरण के लिए: टेक कंपनियों में महिलाओं के दृष्टिकोण के बिना, प्रोडक्ट डिजाइनिंग के दौरान अक्सर महिलाओं द्वारा ऑनलाइन सामना किए जाने वाले विशिष्ट खतरों को संबोधित नहीं किया जाता है।
  • वैश्विक न्यायिक मुद्दे: अलग-अलग देशों में अलग-अलग विनियमन हैं, जिससे ऑनलाइन स्पेस में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एकीकृत दृष्टिकोण का होना जटिल हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म विभिन्न अधिकार क्षेत्रों में सुसंगत नीतियों को लागू करने के मामले में संघर्ष करते हैं, जिससे सुरक्षात्मक उपाय कमजोर हो जाते हैं।
  • AI-जेनरेटेड सामग्री को नियंत्रित करने में जटिलता: AI तकनीक में तेजी से हो रही प्रगति के कारण डीपफेक और मैनिपुलेटेड सामग्री को नियंत्रित करना मुश्किल है। 
    • उदाहरण के लिए: नए डीपफेक टूल तेजी से सामने आ रहे हैं, जिससे डीपफेक सामग्री की पहचान से संबंधित उपाय विकसित करना मुश्किल हो जाता है।
  • छोटे प्लेटफॉर्म पर आर्थिक बाधाएँ: छोटी कंपनियों के पास मजबूत मॉडरेशन सिस्टम लागू करने की वित्तीय क्षमता की कमी हो सकती है, जिससे उनकी समग्र सुरक्षा प्रभावित होती है। 
    • उदाहरण के लिए: स्टार्टअप बजट की कमी के कारण व्यापक सुरक्षा सुविधाओं को लागू करने में देरी कर सकते हैं, जिससे छोटे प्लेटफॉर्म पर महिलाएँ इन खतरों के प्रति सुभेद्य हो सकती हैं।

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महिलाओं के लिए लैंगिक रूप से तटस्थ और सुरक्षित डिजिटल स्पेस बनाने के लिए सुझाए गए उपाय

  • कंटेंट मॉडरेशन नीतियों को मजबूत करना: प्लेटफॉर्म को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए जो लिंग आधारित दुर्व्यवहार और गलत सूचना के खिलाफ त्वरित कार्रवाई को प्राथमिकता दें। 
    • उदाहरण के लिए: लक्षित उत्पीड़न के लिए शून्य-सहिष्णुता नीति लागू करने से सुरक्षा बढ़ सकती है, जैसा कि वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा हाल ही में किए गए अपडेट में देखा गया है।
  • उन्नत AI डिटेक्शन टूल्स में निवेश करना: कंपनियों को AI में निवेश करने की आवश्यकता है जो उत्पीड़न के पैटर्न को बेहतर ढंग से पहचान सके और डीप फेक कंटेंट की पहचान कर सके। 
    • उदाहरण के लिए: अपमानजनक सामग्री के संदर्भ का विश्लेषण करने वाले टूल्स महिला नेतृत्वकर्ताओं को लक्षित करने वाली हानिकारक पोस्ट को अधिक सटीक रूप से हटा सकते हैं।
  • टेक क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना: विविध नेतृत्व वाली टीमें अलग-अलग दृष्टिकोण ला सकती हैं, जिससे सुरक्षित और अधिक समावेशी डिजिटल वातावरण बन सकता है। ]
    • उदाहरण के लिए: वह कंपनियाँ जिनमें वरिष्ठ पदों पर महिलाएँ आसीन होती हैं, लिंग-आधारित उत्पीड़न के प्रति अधिक प्रभावी प्रतिक्रियाएँ करती हैं, जिससे उपयोगकर्ता का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • उन्नत विनियामक उपाय: सरकारें महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी प्लेटफॉर्म को अनिवार्य बनाने और गैर-अनुपालन को दंडित करने के लिए सख्त नियम लागू कर सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: अभद्र भाषा के लिए अनिवार्य रिपोर्टिंग कानून वाले देशों में ऑनलाइन उत्पीड़न की घटनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया देखी गई है।
  • जन जागरूकता अभियान: शैक्षिक कार्यक्रम, डिजिटल सम्मान और ऑनलाइन उत्पीड़न के परिणामों के संबंध में जागरूकता बढ़ा सकते हैं, और अधिक सम्मानजनक डिजिटल स्पेस को बढ़ावा दे सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार को बढ़ावा देने वाले अभियान सांस्कृतिक परिवर्तन में योगदान करते हैं, जिससे समय के साथ उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आती है।

महिलाओं के सशक्तिकरण और राजनीतिक तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में समान प्रतिनिधित्व के लिए लैंगिक रूप से तटस्थ और सुरक्षित डिजिटल स्थान सुनिश्चित करना आवश्यक है। कंटेंट मॉडरेशन को मजबूत करना, AI में सुधार करना और विनियमन लागू करना इसके कुछ प्रमुख उपाय हैं। समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर, सरकारें और तकनीकी कंपनियाँ एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण बनाने की दिशा में कार्य कर सकती हैं जो महिलाओं की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखता हो और अंततः लोकतांत्रिक विमर्श और सामाजिक प्रगति को समृद्ध करता है।

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