Q. क्या शैक्षणिक कार्यक्रमों में ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य के लिए संभावित लाभों को ध्यान में रखते हुए, स्कूलों को कक्षाओं में स्मार्टफोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करना चाहिए? (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: भारत के डिजिटल परिवर्तन का परिदृश्य प्रस्तुत कीजिये और यूनेस्को द्वारा स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश से छिड़ी बहस का परिचय भी दीजिये।
  • मुख्य विषयवस्तु: 
    • सूचना तक त्वरित पहुंच से लेकर डिजिटल साक्षरता और इंटरैक्टिव शिक्षण को बढ़ावा देने तक, सकारात्मक प्रभावों का पता लगाइए।
    • विकर्षण, व्यसन, साइबरबुलिंग और बहुत कुछ को कवर करते हुए नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताइये।
    • स्मार्टफोन प्रतिबंध के पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिये।
    • प्रतिबंध के विरुद्ध दृष्टिकोण गिनाइए।
    • समग्र समाधान प्रस्तावित कीजिये जिसमें सभी हितधारकों की, आयु-आधारित दिशानिर्देश, डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम और डिजिटल विभाजन को संबोधित करना शामिल हो।
  • निष्कर्ष: डिजिटलीकरण के युग में संतुलन बनाने के महत्व को दोहराते हुए, शैक्षणिक अखंडता, छात्र कल्याण और न्यायसंगत तकनीकी पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालिए।

परिचय:

भारत में डिजिटल लहर है, जिसके केंद्र में स्मार्टफोन हैं। ये उपकरण विशाल शैक्षिक अवसर प्रदान करते हैं लेकिन कई बार ये चुनौतियाँ भी पेश करते हैं। स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने के यूनेस्को के हालिया प्रस्ताव ने देशभर में बहस को जन्म दिया है। इस संदर्भ में शिक्षकों, नीति निर्माताओं और अभिभावकों को समान रूप से कक्षा में ध्यान भटकने के संभावित खतरों के खिलाफ डिजिटल पहुंच के फायदों का आकलन करने के लिए चुनौती पेश की है।

मुख्य विषयवस्तु:

स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग के सकारात्मक प्रभाव:

  • सूचना तक पहुंच: स्मार्टफोन के प्रयोग से छात्र अपने ज्ञान के आधार को बढ़ाते हुए, सूचना के विशाल भंडार का उपयोग कर सकते हैं।
  • डिजिटल साक्षरता: राष्ट्रीय शिक्षा नीति(एनईपी) में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है, ऐसे में स्कूलों में स्मार्टफोन इसका मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
  • इंटरएक्टिव लर्निंग: क्यूआर कोड, शैक्षिक ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म अधिक आकर्षक शिक्षण अनुभव को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • लचीलापन और सुविधा: स्मार्टफ़ोन सीखने को कक्षा की सीमाओं से परे विस्तारित करने में सक्षम बनाता है।
  • शैक्षिक ऐप्स: अनुकूलित शिक्षण ऐप्स छात्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप अतिरिक्त संसाधन प्रदान करते हैं।

स्कूलों में स्मार्टफ़ोन के उपयोग के नकारात्मक प्रभाव:

  • ध्यान भटकाना: स्मार्टफोन की उपस्थिति भर मात्र से शैक्षणिक ध्यान पर असर पड़ सकता है।
  • लत और नींद की कमी: स्मार्टफोन की अत्यधिक निर्भरता व्यवहार संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकती है और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
  • साइबरबुलिंग और मानसिक स्वास्थ्य: इंटरनेट तक अप्रतिबंधित पहुंच छात्रों को हानिकारक ऑनलाइन इंटरैक्शन के संपर्क में ला सकती है।
  • भौतिक मेलजोल में कमी: अत्यधिक निर्भरता साथियों के बीच आपस में होने वाली वार्ताओं को कम कर सकती है।
  • शैक्षणिक पतन: सूचनाएं और गेम जैसे लगातार ध्यान भटकाने से शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

स्मार्टफ़ोन प्रतिबंध के पक्ष में तर्क:

  • उन्नत शैक्षणिक फोकस: स्मार्टफोन के बिना, छात्रों को अपने विषयों पर ध्यान केंद्रित करना आसान हो सकता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य: पहुंच सीमित करने से छात्रों को संभावित साइबरबुलिंग और संबंधित मनोवैज्ञानिक संकट से बचाया जा सकता है।
  • आमने-सामने बातचीत को बढ़ावा देना: छात्रों को प्रत्यक्ष संवाद करने के लिए प्रोत्साहित करना, पारस्परिक कौशल को बढ़ावा देना।
  • शैक्षणिक प्रदर्शन: गौरतलब है कि लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा सुझाव दिया गया है कि मोबाइल फोन को प्रतिबंधित करने से बेहतर शैक्षणिक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
  • स्वस्थ सीखने की आदतें: स्मार्टफोन के बिना, छात्र अधिक रचनात्मक सीखने की आदतें विकसित कर सकते हैं।

स्मार्टफ़ोन प्रतिबंध के विरुद्ध तर्क:

  • संसाधनों तक पहुंच: स्मार्टफोन छात्रों को ढेर सारी जानकारी प्रदान करते हैं।
  • वास्तविक-विश्व प्रौद्योगिकी उपयोग के लिए तैयारी: स्मार्टफोन का नियंत्रित उपयोग छात्रों को प्रौद्योगिकी-प्रधान भविष्य के लिए तैयार कर सकता है।
  • अनुकूलित शिक्षण: वैयक्तिकृत सामग्री व्यक्तिगत शिक्षण शैलियों को पूरा कर सकती है।
  • आर्थिक असमानताएँ: कुछ छात्रों के लिए, स्मार्टफ़ोन डिजिटल संसाधनों तक उनकी एकमात्र पहुँच हो सकता है।
  • माता-पिता की जिम्मेदारी: स्मार्टफोन के संतुलित उपयोग के बारे में शिक्षा घर से शुरू होनी चाहिए।

आगे की राह:

  • समग्र हितधारक जुड़ाव: सभी शामिल पक्षों के बीच आम सहमति से अधिक बारीकी पूर्ण नीति बनाई जा सकती है।
  • आयु-आधारित दिशानिर्देश: विभिन्न आयु समूहों के लिए अलग-अलग नियम अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
  • डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम: जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में डिजिटल साक्षरता को शामिल करना चाहिए।
  • शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों को कक्षाओं में स्मार्टफोन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और उपयोग करने के कौशल से लैस करना चाहिए।
  • डिजिटल विभाजन को संबोधित करना: इस अंतर को पाटने के लिए वैकल्पिक समाधानों की तलाश करना चाहिए, विशेष रूप से वंचित छात्रों के लिए।

निष्कर्ष:

जहां स्मार्टफोन दुनिया को एक छात्र की उंगलियों  पर रख देते हैं, वहीं वे कई चुनौतियां भी पेश करते हैं। संतुलन बनाने के लिए विचारशील विचार-विमर्श और नीतियों की आवश्यकता होती है जो छात्र आबादी की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हैं। जैसे-जैसे डिजिटल युग आगे बढ़ रहा है, एक लचीला, सूचित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग से होने वाले लाभ और चुनौतियों दोनों को पहचानते हुए शिक्षा प्रणाली को विकसित करना चाहिए।

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