Q. भारत ने ’इंडो-लंका अकॉर्ड’ के तहत 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन का लगातार समर्थन किया है, जिसने तमिल-बहुल क्षेत्रों सहित श्रीलंका के प्रांतों को सीमित स्वायत्तता प्रदान करते हुए प्रांतीय परिषदों की शुरुआत की है। श्रीलंका में तमिल मुद्दे के प्रति इस दृष्टिकोण पर चर्चा कीजिए और भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंधों पर इसके प्रभाव का आकलन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • परीक्षण कीजिए कि किस प्रकार भारत ने भारत-श्रीलंका समझौते के अंतर्गत 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन का निरंतर समर्थन किया है, जिसके अंतर्गत तमिल-बहुल क्षेत्रों सहित श्रीलंका के अन्य प्रांतों को सीमित स्वायत्तता प्रदान करने के लिए प्रांतीय परिषदों की स्थापना की गई थी।
  • श्रीलंका में तमिल मुद्दे के प्रति इस दृष्टिकोण पर चर्चा कीजिए।
  • भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंधों पर इसके प्रभाव का आकलन कीजिए।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

भारत-लंका समझौते (1987) का उद्देश्य 13वें संशोधन को लागू करके श्रीलंका में तमिल मुद्दे को संबोधित करना था जिससे प्रांतीय परिषदों को सीमित स्वायत्तता प्रदान की गई। भारत ने श्रीलंकाई तमिलों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु इसके पूर्ण कार्यान्वयन की लगातार सिफारिश की है। यह रुख भारत-श्रीलंका संबंधों को प्रभावित करता है और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक जुड़ाव को आकार देता है।

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13वें संशोधन के प्रति भारत का निरंतर समर्थन

  • कूटनीतिक दबाव: भारत ने तमिल स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए 13-A के पूर्ण और शीघ्र कार्यान्वयन की लगातार सिफारिश की है। भारतीय नेता अक्सर द्विपक्षीय बैठकों में इस मुद्दे को उठाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 में, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका के नेतृत्व से 13A के “शीघ्र, पूर्ण या प्रभावी कार्यान्वयन” का आग्रह किया।
  • ऐतिहासिक भूमिका: भारत ने भारत-लंका समझौते (1987) पर वार्ता करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप श्रीलंका के संविधान में 13A को शामिल किया गया, जिससे प्रांतों को सीमित स्वायत्तता मिली।
    • उदाहरण के लिए: तमिल अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 1987 में भारतीय शांति सेना (IPKF) को श्रीलंका में तैनात किया गया था, लेकिन उसे LTTE और सिंहली राष्ट्रवादियों दोनों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
  • बार-बार आश्वासन: भारत ने श्रीलंका के तमिल समुदाय और उनके नेताओं को तमिल राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बारे में आश्वस्त किया है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 में श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके की यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने प्रांतीय परिषद चुनाव कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • सहायता और विकास समर्थन: भारत ने बुनियादी ढाँचे, आवास और सांस्कृतिक परियोजनाओं में निवेश करके तमिल क्षेत्रों का समर्थन किया है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतीय शासन को मजबूती मिली है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने जाफना तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र को वित्त पोषित किया जो तमिल विरासत और क्षेत्रीय विकास के लिए उसके समर्थन को दर्शाता है।

श्रीलंका में तमिल मुद्दे पर भारत का दृष्टिकोण

  • हस्तांतरण और स्वायत्तता की सिफारिश: भारत ने श्रीलंका को 13A के तहत प्रांतीय शासन को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया है न कि केंद्रीकरण के लिए जो नृजातीय तनाव को बढ़ा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: तमिल नेशनल अलायंस (TNA) और भारत ने शासन में प्रांतीय परिषदों की सक्रिय भूमिका के लिए दबाव डाला है।
  • आर्थिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: भारत ने श्रीलंका के तमिल-बहुल क्षेत्रों को एकीकृत करने के लिए नरम कूटनीति, आर्थिक संबंधों और सांस्कृतिक परियोजनाओं का उपयोग किया है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने विस्थापित तमिलों के लिए आवास, रेलवे संपर्क और उत्तरी श्रीलंका में आर्थिक निवेश प्रदान किया है और श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान 2022 में 4 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता भी प्रदान की।
  • संवेदनशीलता को संतुलित करना: तमिल अधिकारों की वकालत करते हुए, भारत ने श्रीलंका के घरेलू राजनीतिक और सुरक्षा मामलों में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से परहेज किया है।
  • तमिल ईलम का समर्थन न करना: भारत, अलगाववादी माँगों को खारिज करता है और कोलंबो के साथ संघर्ष से बचते हुए श्रीलंका के भीतर स्वायत्तता को बढ़ावा देता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने वर्ष 1992 में LTTE पर प्रतिबंध लगा दिया और कहा कि तमिल आकांक्षाओं को श्रीलंका के संवैधानिक ढांचे के भीतर आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
  • राजनीतिक समझौतों को प्रोत्साहित करना: भारत ने श्रीलंका सरकार और तमिल नेताओं के बीच बहु-हितधारक वार्ता का समर्थन किया है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2017 में, भारत ने तमिल मातृभूमि विलय मुद्दे से आगे बढ़कर प्रांतीय सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।

भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव

  • कूटनीतिक तनाव: श्रीलंका की सरकारों, विशेषकर राष्ट्रवादी शासनों ने 13A के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए भारत की वकालत का विरोध किया है, जिसके कारण समय-समय पर तनाव उत्पन्न होता रहा है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता: तमिल मुद्दा सुरक्षा चिंताओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें मत्स्य पालन विवाद और समुद्री सुरक्षा सहयोग शामिल हैं। श्रीलंका में स्थिरता, भारत के दक्षिणी क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करती है, जिससे भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा नीति के लिए हस्तांतरण एक प्रमुख चिंता बन जाती है
  • भारत का बदलता रुख (बयानबाजी की बजाय व्यावहारिकता): जबकि भारत कूटनीतिक रूप से तमिल मुद्दे को उठाता रहा है, उसने श्रीलंका के साथ आर्थिक और सामरिक सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।
    • उदाहरण के लिए: हाल के वर्षों में हस्ताक्षरित हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना जैसे ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी समझौते तमिल चिंताओं से परे एक व्यापक जुड़ाव रणनीति का संकेत देते हैं।
  • हिंद महासागर में प्रभाव: तमिल अधिकारों के लिए भारत का समर्थन श्रीलंका में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने की इसकी रणनीतिक आवश्यकता के साथ संतुलित है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सीमित करने के लिए कोलंबो पोर्ट टर्मिनल में निवेश किया है ।
  • सुरक्षा सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता: तमिल मुद्दे पर भारत की भागीदारी ने उग्रवाद को श्रीलंका में अस्थिरता फैलाने और तमिलनाडु में फैलने से रोका है। 
    • उदाहरण के लिए: तमिलनाडु फैक्टर अक्सर क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत की श्रीलंका नीति को प्रभावित करता है ।
  • चुनाव आधारित द्विपक्षीय संबंध: श्रीलंका के सत्तारूढ़ गठबंधन आंतरिक चुनावी दबावों के आधार पर भारत के साथ संबंधों को आकार देते हैं, जिससे भारत-श्रीलंका संबंधों में उतार-चढ़ाव आता रहता है। 
    • उदाहरण के लिए: JVP के नेतृत्व वाली NPP सरकार का 13-A पर अस्पष्ट रुख, भविष्य के द्विपक्षीय संबंधों को बदल सकता है।

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आगे की राह 

  • प्रांतीय चुनावों को प्रोत्साहित करना: भारत को श्रीलंका के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रांतीय परिषद के चुनाव जल्द ही हों, जिससे तमिल प्रतिनिधित्व मजबूत हो। 
    • उदाहरण के लिए: भारत प्रांतीय नेताओं के लिए चुनावी निगरानी और शासन प्रशिक्षण का समर्थन कर सकता है।
  • आर्थिक कूटनीति का लाभ उठाना: भारत तमिल-बहुल क्षेत्रों में निवेश का उपयोग करके यह सुनिश्चित कर सकता है कि प्रांतीय परिषदों को स्थानीय शासन के लिए धन और स्वायत्तता मिले। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के कोलंबो-ईस्ट कंटेनर टर्मिनल सौदे को विकेंद्रीकरण पर भारत की प्रतिबद्धताओं से जोड़ा जा सकता है ।
  • 13-A के क्रियान्वयन के लिए बहुपक्षीय दबाव: भारत, UNHRC जैसी वैश्विक संस्थाओं से संपर्क कर सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रीलंका अपनी विकेंद्रीकरण प्रतिबद्धताओं के प्रति जवाबदेह बना रहे। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने तमिल अधिकारों की सिफारिश करने वाले UNHRC प्रस्तावों का समर्थन किया है लेकिन दबाव डालने से परहेज किया है।
  • लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करना: अधिक छात्रवृत्तियाँ, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और तमिलनाडु-श्रीलंका के बीच प्रत्यक्ष सहयोग, क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा दे सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: कच्चाथिवु उत्सव और सांस्कृतिक पहलें, भारत-तमिल संबंधों को मजबूत करती हैं।
  • कोलंबो के साथ लचीली कूटनीति: भारत को तमिल अधिकारों की वकालत और श्रीलंका की संप्रभुता संबंधी चिंताओं के बीच संतुलन बनाना चाहिए, ताकि संघर्ष के बजाय दीर्घकालिक सहयोग सुनिश्चित हो सके। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 1991 से श्रीलंका की घरेलू नीतियों में भारत के गैर-हस्तक्षेप ने संबंधों को स्थिर करने में मदद की है।

श्रीलंका में नृजातीय सद्भाव और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए 13वें संशोधन का प्रभावी क्रियान्वयन महत्त्वपूर्ण है । इस प्रक्रिया के लिए भारत की निरंतर वकालत, क्षेत्रीय शांति और तमिल अधिकारों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत होते हैं।

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