संवैधानिक निकाय (उड़ान) # |
संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्य लोक सेवा आयोग |
निकाय | संघ लोक सेवा आयोग | राज्य लोक सेवा आयोग |
अनुच्छेद |
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नियुक्ति |
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योग्यता |
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1. योग्यता का कोई उल्लेख नहीं लेकिन आयोग के आधे सदस्यों को भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्ष काम करने का अनुभव होना चाहिए। |
सदस्य | • संविधान में आयोग के सदस्यों की संख्या का कोई उल्लेख नहीं किया गया है तथा इसे राष्ट्रपति के विवेक पर छोड़ दिया गया है
• अध्यक्ष को मिलाकर 9 से 11 सदस्य होते हैं। |
• संविधान में सदस्यों की संख्या का कोई उल्लेख नहीं तथा इसे राज्यपाल के विवेक पर छोड़ दिया गया है। |
कार्यकाल |
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वेतनमान |
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• राज्य की संचित निधि पर भारित |
त्यागपत्र | • राष्ट्रपति को | 1. राज्यपाल को |
निष्कासन प्रक्रिया |
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विविध | संघ लोक सेवा आयोग:
• ‘मेरिट सिस्टम’ का प्रहरी • दो या अधिक राज्य द्वारा अनुरोध करने पर संघ लोक सेवा आयोग राज्यों को संयुक्त भर्ती की योजना व प्रवर्तन करने में सहायता करता है। • राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के दायरे से किसी पद, सेवा व विषय को हटा सकता है। • संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष अपने कामों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। • अस्वीकृति के सभी मामलों को संघ कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा स्वीकृत कराया जाना चाहिए। • किसी स्वतंत्र मंत्रालय या विभाग को संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श को खारिज करने का अधिकार नहीं है। |
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राज्य लोक सेवा आयोग:
• जिला न्यायाधीश के अलावा न्यायिक सेवा में भर्ती से संबंधित नियम बनाने के मसले पर राज्यपाल, राज्य लोक सेवा आयोग से संपर्क करता है। • राज्यपाल राज्य लोक सेवा आयोग के दायरे से किसी पद, सेवा या विषय को हटा सकता है। |
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संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग: इसका गठन संसद द्वारा किया गया है। इस तरह यह एक सांविधिक संस्था है + राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्ति + कार्यकाल: 6 वर्ष या 62 वर्ष तक। |
चुनाव आयोग और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग ) |
निकाय | निर्वाचन आयोग | नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) |
अनुच्छेद |
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• भाग 5, अनुच्छेद 148 से 151 तक |
नियुक्ति |
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योग्यता | 1. संविधान के द्वारा किसी प्रकार की योग्यता निर्धारित नहीं कि गयी है। | |
सदस्य |
• सदस्यों की संख्या का उल्लेख नहीं, यह राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है।
• वर्तमान में, 3 सदस्य है। |
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कार्यकाल/वेतनमान |
• सेवा की शर्तें व पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है।
• वेतन उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश के समान होता है। • वर्तमान में 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक पद पर बना रह सकता है। • संविधान के द्वारा अन्य दूसरे नियुक्तियों पर रोक नहीं लगाई गई है। |
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त्यागपत्र |
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निष्कासन प्रक्रिया |
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विविध |
o सदस्यों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है।
o सांसद तथा विधायको की अयोग्यता के मामले में राष्ट्रपति को सलाह देता है। |
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अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए आयोग |
निकाय
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निम्न के लिए राष्ट्रीय आयोग | ||
अनुसूचित जाति | अनुसूचित जनजाति | पिछड़ा वर्ग | |
अनुच्छेद |
1978 में एक संकल्प के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए एक गैर सांविधिक बहु सदस्यीय आयोग की स्थापना की गई तथा 1990 में, 65वें संविधान संशोधन के माध्यम से आयोग की स्थापना तथा 2003 में, 89वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा अनुसूचित जाति आयोग एवं अनुसूचित जनजाति आयोग को अलग कर दिया गया। | मूल रूप से एक सांविधिक निकाय है। इसे 102वें संविधान संशोधन अधिनियम 2018 के तहत संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। | |
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o भाग 16, अनुच्छेद 3368क |
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नियुक्ति | • राष्ट्रपति द्वारा उसके आदेश या मुहर लगे आदेश द्वारा होता है। | ||
सदस्य |
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कार्यकाल |
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विविध |
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• कुछ मामलों में इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
• पेसा अधिनियम, 1996 का पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने संबंधी उपाय करता है। • जनजातियों द्वारा झूम खेती के प्रचलन को कम करने तथा अंततः समाप्त करने संबंधी उपाय करता है। |
• कुछ मामलों में इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती है।
• सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच करने व उनकी स्थिति में सुधार के लिए की जाने वाली कार्रवाई करने के लिए उतरदायी है। |
रिपोर्ट | • आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है। यदि आवश्यक समझा जाता है तो समय से पहले भी आयोग अपना प्रतिवेदन दे सकता है।
• राष्ट्रपति ऐसी सभी रिपोर्टो को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा तथा अगर कोई ऐसी रिपोर्ट या उसका कोई भाग किसी ऐसे विषय से संबंधित है जिसका किसी राज्य सरकार से संबंध है तो ऐसे रिपोर्ट की एक प्रति उस राज्य के राज्यपाल को भेजी जाएगी जो उसे राज्य के विधान मंडल के समक्ष रखवायेगा। |
भारत का महान्यायवादी तथा राज्य का अधिवक्ता |
निकाय | भारत का महान्यायवादी | राज्य का अधिवक्ता |
अनुच्छेद | • भाग- 5, अनुच्छेद 76 | • भाग-6, अनुच्छेद 165 |
नियुक्ति | o राष्ट्रपति के द्वारा |
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योग्यता |
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कार्यकाल |
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वेतन |
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• निश्चित नहीं, इसका निर्धारण राज्यपाल के द्वारा किया जाता है।
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इस्तीफा | 1. राष्ट्रपति को | • राज्यपाल को |
निष्कासन प्रक्रिया |
• संविधान में इसके हटाने की व्यवस्था तथा आधार का कोई वर्णन नहीं किया गया है।
• वह अपने पद पर राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत बना रहता है। |
· संविधान में इसे हटाने की व्यवस्था तथा आधार का कोई वर्णन नहीं किया गया है
· वह अपने पद पर राज्यपाल के प्रसादपर्यंत बना रहता है। |
विविध |
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• राज्य का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है।
• राज्य के किसी भी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार होता है। • विधानमंडल के दोनों सदनों या संबंधित समिति अथवा उस सभा में, जहां के लिए अधिकृत है, में बिना मताधिकार के बोलने व भाग लेने का अधिकार होता है। • उसे वे सभी विशेषाधिकार एवं भत्ते मिलते हैं, जो विधानमंडल के किसी सदस्य को मिलते हैं। |
जी.एस.टी. परिषद, वित्त आयोग तथा भाषायी अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी |
निकाय | जी.एस.टी. परिषद | वित्त आयोग | भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी |
अनुच्छेद |
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1.भाग-12, अनुच्छेद 280 |
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नियुक्ति | राष्ट्रपति के आदेश पर गठन | राष्ट्रपति के आदेश पर गठन
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राष्ट्रपति के द्वारा |
संरचना |
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1.1 अध्यक्ष + 4 अन्य सदस्य |
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योग्यता | —- | • संसद के द्वारा निर्धारण | |
कार्यकाल | —- | o नियमानुसार 3 वर्ष | |
विविध |
o कोरम – कुल सदस्यों का आधा|
o उपस्थित तथा वोट में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के तीन चौथाई बहुमत के द्वारा निर्णय लिया जाता है। o कुल दिए गए मत का केंद्र- 1/3 और राज्य- 2/3| |
• सिफारिशों की प्रकृति सलाहकारी होती है।
• यहां संघीय राजकोष के संतुलन में भूमिका निभाता है। |
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