सहकारी समितियाँ (उड़ान) # |
2011 का 97वाँ संविधान संशोधन अधिनियम सहकारी समितियों को संवैधानिक स्थिति और संरक्षण प्रदान करता है, इस सिलसिले में इस विधेयक ने संविधान में निम्नलिखित तीन बदलाव किए :
- इसने सहकारी समितियां बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया( अनुच्छेद 19)।
- इसे बढ़ावा देने के लिए इसने एक नए राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत को जोड़ा(अनुच्छेद 43–B)।
- इसने संविधान में एक नया खंड IX-B जोड़ा जिसका नाम सहकारी समितियां (अनुच्छेद 243-ZH to 243-ZT)है।
संवैधानिक प्रावधान |
संविधान के भाग IX-B में सहकारी समितियों से संबंधित निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं:
सहकारी समितियों का संस्थापन: | • राज्य विधायिका सहकारी समितियों के निगमन, नियमन और समापन के लिए प्रावधान कर सकती है। (अनुच्छेद 243ZI) |
बोर्ड के सदस्यों एवं इसके पदाधिकारियों की संख्या एवं शर्तें🙁 अनुच्छेद 243 ZJ) |
• विधान मंडल द्वारा तय किए गए संख्या के अनुसार बोर्ड के निदेशक होंगे, लेकिन किसी सहकारी समिति के निदेशकों की अधिकतम संख्या 21 से ज्यादा नहीं होगी।
• बोर्ड के निर्वाचित सदस्यों के कार्यकाल और उसके पदाधिकारियों का कार्यकाल निर्वाचन की तिथि से पाँच वर्ष के लिए होगा और ऐसे निकाय द्वारा वर्तमान बोर्ड के कार्यकाल (अनुच्छेद 243 ZK) की समाप्ति से पहले एक बोर्ड का चुनाव किया जाएगा, जिसे राज्य विधायिका द्वारा तय किया जाएगा। |
पदों का आरक्षण: |
• जिस सहकारी समिति में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोग और महिला सदस्य होंगे वैसे प्रत्येक सहकारी समिति के बोर्ड में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए एक सीट और महिलाओं के लिए 2 सीटों के आरक्षण का प्रावधान राज्य विधानमंडल करेगा। |
सहयोजित सदस्य :
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• राज्य विधायिका बोर्ड के सदस्य के रूप में बैंकिंग, प्रबंधन, वित्त आदि के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले व्यक्तियों के सहयोजन का नियम बना सकता है, जिनकी संख्या मतदान के अधिकार के बिना (इक्कीस निदेशकों के अतिरिक्त ) दो से अधिक नहीं होगी। |
बोर्ड का विघटन एवं निलंबन तथा अंतरिम प्रबंधन (अनुच्छेद 243 ZL)
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• किसी भी बोर्ड को 6 माह से अधिक समय तक विघटित या निलंबित नहीं रखा जाएगा।(सहकारी बैंकों के मामले में, बहु-राज्य सहकारी बैंकों के अलावा, यह अवधि एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकती है)। हालांकि, ऐसे किसी भी सहकारी समिति के बोर्ड को अधिगृहीत नहीं किया जाएगा या उन्हें निलंबित नहीं रखा जाएगा, जहां कोई सरकारी हिस्सेदारी या ऋण या वित्तीय सहायता या सरकार द्वारा कोई गारंटी नहीं है। |
सहकारी समितियों के खातों का अंकेक्षण (अनुच्छेद 243 ZM)
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• राज्य विधान मंडल सहकारी समितियों के खातों का अनुरक्षण तथा हर वित्तीय वर्ष में कम से कम एक बार खाते के अंकेक्षण का नियम बनाएगा। (वित्तीय वर्ष के छह महीने के भीतर) |
बहु-राज्य सहकारी समितियों में इन कानूनों का कार्यान्वयन (अनुच्छेद 243 ZR)
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• इस खंड के प्रावधान बहु-राज्य सहकारी समितियों पर लागू होंगे और ये केंद्र सरकार के दायरे में आएंगे। |
केंद्र शासित प्रदेशों में कानूनों का कार्यान्वयन (अनुच्छेद 243 ZS) : |
• इस खंड के प्रावधान केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होंगे। लेकिन राष्ट्रपति यह निर्देश दे सकते हैं कि इस भाग के कोई खास प्रावधान किसी केंद्रीय क्षेत्र या उसके कुछ भाग पर लागू नहीं होंगे। (अनुच्छेद 243 ZS) |