अधिकरण (ट्रिब्यूनल) (उड़ान) # |
- मूल संविधान में अधिकरण के संबंध में उपबंध नहीं था ।
- 42 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में एक नया भाग XIV-A और अनुच्छेद 323A और 323B के साथ स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर जोड़ा गया। (समिति ने मौलिक कर्तव्यों की भी सिफारिश की थी)।
- ये दीवानी न्यायालय की कुछ शक्तियां रखते हैं।
- अधिकरण नैसर्गिक सिद्धांत पर कार्य करता है, जबकि नागरिक प्रक्रिया संहिता का पालन नहीं करता है।
अनुच्छेद323A | अनुच्छेद323B |
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अनुच्छेद 323A के अनुसार, संसद ने प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 पारित किया है, जो केंद्र सरकार को एक कैट(CAT) और सैट(SAT) स्थापित करने के लिए अधिकृत करता है।
मानदण्ड | केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) | राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (SAT) |
नियुक्ति |
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संरचना |
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अवधि |
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विविध |
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- अनुच्छेद323A– सिविल न्यायालयों और उच्च न्यायालय से सेवा मामलों से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए संसद को शक्ति प्रदान करता है और इसे प्रशासनिक अधिकरणों के समक्ष रखता है।
- चंद्र कुमार मामले में उच्चतम न्यायालय ने उन 2 अनुच्छेदों के उपबंधो को जिन्हें असंवैधानिक करार दिया गया उन्हें उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायक्षेत्र से बाहर कर दिया गया है| हालांकि अब इन अधिकारों के आदेशों के खिलाफ न्यायिक उपचार की व्यवस्था उपलब्ध है।
- इसमें यह भी निर्धारित किया गया है कि CAT के आदेशों के विरुद्ध संबंधित उच्च न्यायालय की खंड पीठ में भी याचिका दायर की जाएगी।
न्यायालय (court of law) | अधिकरण/ट्रिब्यूनल |
न्यायालय पारंपरिक न्यायिक प्रणाली का एक हिस्सा है। | प्रशासनिक ट्रिब्यूनल एक निकाय है, जिसे अधिनियम द्वारा बनाया गया है और न्यायिक शक्ति के साथ इसका गठन किया गया है। |
सिविल न्यायालयों के पास लोक प्रकृति के सभी मुकदमों को देखने की न्यायिक शक्ति (जब तक संज्ञान लेने की शक्तियां ख़त्म नहीं हो जाती है) होती है। | अधिकरणों को अर्ध न्यायिक निकाय के रूप में जाना जाता है। अधिकरणों को विशेष मामलों के मुकदमों को देखने की शक्ति होती है, जो उन्हें क़ानून द्वारा प्राप्त होती है। |
कोर्ट आफ लॉ के न्यायाधीश अपने कार्यकाल, सेवा और शर्तों आदि में कार्यपालिका से स्वतंत्र होते हैं,न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है। | प्रशासनिक अधिकरण के सदस्यों के कार्यकाल, सेवाओं के नियम और शर्तें पूरी तरह से कार्यपालिका के हाथों में होती हैं। |
न्यायलय कानूनी वायर्स (vires) का भी निर्धारण करती है। | प्रशासनिक अधिकरण ऐसा नहीं कर सकते हैं। |
न्यायालय सबूत और प्रक्रिया के नियमों से बंधी है। | एक प्रशासनिक अधिकरण नियमों से बंधे नहीं हैं बल्कि न्याय के स्वरूप के सिद्धांतों से बंधे हैं। |
न्यायालय के पीठासीन अधिकारी को कानून और कानूनी प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है। | अधिकरण के अध्यक्ष या सदस्य को कानून में प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता है। वह प्रशासनिक मामलों के क्षेत्र का एक विशेषज्ञ हो सकता है। |
न्यायलय को साक्ष्य के आधार पर सभी प्रश्नों का उद्देश्य तय करना होता है। | उद्देश्य के बजाय प्रशासनिक अधिकरण का निर्णय व्यक्तिपरक हो सकता है। प्रशासनिक अधिकरण विभागीय नीति को ध्यान में रखकर सवाल तय कर सकता है। |